Badlapur Assault: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल, कहा- स्कूल सुरक्षित नहीं तो शिक्षा की क्या जरूरत?
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Badlapur Assault: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल, कहा- स्कूल सुरक्षित नहीं तो शिक्षा की क्या जरूरत?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में दो किंडरगार्टन छात्राओं पर यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की और सवाल उठाया कि अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं तो शिक्षा की क्या जरूरत है?


Badlapur Kindergarten Students Sexual Assault Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार (22 अगस्त) को महाराष्ट्र में दो किंडरगार्टन छात्राओं पर यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की और सवाल उठाया कि अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं तो शिक्षा की क्या जरूरत है? जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने बदलापुर कस्बे के एक स्कूल में हुए अपराध के संबंध में एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि "यह कैसी स्थिति है, यह बेहद चौंकाने वाली है."

शिक्षा के अधिकार का क्या मतलब?

जस्टिस ने स्पष्ट रूप से पूछा कि अगर स्कूल सुरक्षित स्थान नहीं हैं तो 'शिक्षा के अधिकार' के बारे में बात करने का क्या मतलब है? कोर्ट ने उस घटना का स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें ठाणे जिले के बदलापुर स्थित एक स्कूल के शौचालय में 12 और 13 अगस्त को कथित तौर पर एक पुरुष अटेंडेंट द्वारा चार साल की दो लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था. मामले में प्राथमिकी 16 अगस्त को दर्ज की गई और आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया.

कोर्ट ने लगाई पुलिस को फटकार

जस्टिस ने कहा कि घटना की जानकारी होने के बावजूद रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस की भी आलोचना की. पीठ ने यह भी जानना चाहा कि अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल प्राधिकारियों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पीएससीओ) अधिनियम के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया. जब महाराष्ट्र सरकार की ओर से दलील देते हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि अब मामला दायर किया जाएगा तो जस्टिस ने स्पष्ट कर दिया कि वे इससे खुश नहीं हैं.

परामर्श पर जोर

पीठ ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पीड़ितों और उनके परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाए. इसमें कहा गया कि पीड़ितों को और अधिक परेशान नहीं किया जाना चाहिए. इस मामले में, जैसा कि लड़कियों ने शिकायत की है, ऐसे कई मामले हो सकते हैं, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया होगा. कोर्ट ने कहा कि लड़कियों के परिवारों को पुलिस द्वारा कुछ सहयोग दिया जाना चाहिए था. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.

पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत: कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि पहली बात तो यह कि पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी. स्कूल प्रशासन चुप था. इससे लोग आगे आने से हतोत्साहित होते हैं. लोगों को पुलिस व्यवस्था या न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं खोना चाहिए. अगर लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा तो भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. इसमें पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए पुलिस तंत्र में कदम उठाने का भी आह्वान किया गया.

कोर्ट यह भी जानना चाहती थी कि क्या नाबालिग लड़कियों को शारीरिक और मानसिक आघात से निपटने के लिए सरकार से परामर्श मिला था. हाई कोर्ट ने जांच की समय-सीमा के बारे में विवरण मांगा, जिसमें यह भी शामिल था कि विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कब किया गया तथा पुलिस ने सभी दस्तावेज क्यों नहीं सौंपे. ॉ

एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट करे दाखिल

पीठ ने मामले की जांच कर रही एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया जाए कि लड़कियों और उनके परिवारों के बयान दर्ज करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बदलापुर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने और दूसरे पीड़ित का बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई. पीठ ने कहा कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि बदलापुर पुलिस ने आज तक दूसरी लड़की का बयान लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

कोर्ट ने कहा कि अगर उसे पता चला कि मामले को दबाने का प्रयास किया गया है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी. हाई कोर्ट ने कहा कि हमें यह भी बताएं कि लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है. इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.

दूसरी लड़की का नाम एफआईआर में क्यों नहीं दर्ज

महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पीठ को कहा कि एक लड़की का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है और दूसरी पीड़ित लड़की का बयान गुरुवार को लिया जाएगा. जस्टिस ने जानना चाहा कि दूसरी लड़की का नाम एफआईआर में क्यों नहीं दर्ज किया गया. कोर्ट ने पूछा कि बदलापुर पुलिस ने एसआईटी को पूरा रिकॉर्ड क्यों नहीं सौंपा? आप हमसे तथ्य क्यों छिपा रहे हैं? हमें नहीं पता कि पुलिस ने मामले की जांच कैसे की. उसने कुछ भी नहीं किया. पीठ ने एसआईटी को बदलापुर पुलिस द्वारा तैयार की गई मूल केस डायरी, एफआईआर की प्रति और मामले से संबंधित अन्य कागजात भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. सराफ ने कोर्ट को बताया कि बदलापुर थाने के दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. पीठ ने कहा कि निलंबन पर्याप्त नहीं है.

26 अगस्त तक हिरासत में आरोपी

एक पुरुष सहायक द्वारा दो किंडरगार्टन छात्राओं पर कथित यौन उत्पीड़न के कारण मंगलवार को बदलापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था. 17 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पुरुष अटेंडेंट ने कथित तौर पर स्कूल के शौचालय में बच्चों के साथ मारपीट की थी. बुधवार को स्थानीय अदालत ने उसकी पुलिस हिरासत 26 अगस्त तक बढ़ा दी.

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