गुजरात से केरल तक उपचुनाव, विपक्ष और सत्ता दोनों की अग्निपरीक्षा
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केरल, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब में विधानसभा की पांच सीटों पर मतदान हो रहा है।

गुजरात से केरल तक उपचुनाव, विपक्ष और सत्ता दोनों की अग्निपरीक्षा

चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव सिर्फ संख्या नहीं, केजरीवाल, ममता, विजयन और भगवंत मान जैसी शख्सियतों की साख की परीक्षा बन गए हैं।


वैसे तो चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। लेकिन यह चुनाव सिर्फ कुछ खास सीटों के लिये नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए मान सम्मान का विषय बन चुके हैं। केरल में जहां सीपीआई-एम सरकार के मुखिया पी विजयन की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, पंजाब में भगवंत मान और गुजरात में भूपेंद्र पटेल की साख से जोड़ा जा रहा है। यहां बता दें कि साल 2026 में केरल और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं साल 2027 में पंजाब और गुजरात चुनावी मोड में होंगे। इस चुनावी घमासान के और क्या मायने हैं उसे समझने से पहले उन सीटों के बारे में बताएंगे कि वहां उपचुनाव क्यों और किन हालात में कराने पड़ रहे हैं।

चार राज्यों में उपचुनाव

देश के चार राज्यों में पांच विधानसभा सीटों के लिए मतदान।

गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब में उपचुनाव।

गुजरात की कादी और विसावदर सीट पर उपचुनाव।

केरल की नीलांबुर, पंजाब में लुधियाना वेस्ट, पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट।

इन सभी पांच सीटों पर मतगणना 23 जून को होगी।

राजनीतिक दलों की साख दांव पर लगी।

केरल की सीपीआई एम,पंजाब की आप सरकार, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और गुजरात की बीजेपी सरकार की परीक्षा की घड़ी है।

अब आप को बताते हैं कि इन राज्यों में उपचुनाव की जरूरत क्यों पड़ी। गुजरात में कादी सीट के विधायक का निधन हो गया था, वहीं विसावदर सीट से आप विधायक ने इस्तीफा दे दिया था। केरल की नीलांबुर सीट से पी वी अनवर ने इस्तीफा दिया था। पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट से आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी का निधन हो गया था। पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट से मौजूदा विधायक का निधन हो गया था। यानी कि इन सभी सीटों पर उपचुनाव विधायकों के इस्तीफे या निधन की वजह से हो रहे हैं।

सवाल यह है कि इन उपचुनाव को लेकर इतनी सरगर्मी क्यों बढ़ी हुई है। अगर बात पंजाब के लुधियाना वेस्ट की करें तो यह उपचुनाव भगवंत मान के लिए खास तो है लेकिन उससे कहीं अधिक महत्व आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए है। अब आप सोच सकते हैं कि ऐसा क्यों। इस सवाल का जवाब राजनीति के जानकार कुछ यूं देते हैं। वो कहते हैं कि आप के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को उतारा है जो राज्यसभा सांसद है। इनके बारे में पंजाब के सीएम भगवंत मान कह चुके हैं कि अगर संजीव अरोड़ा की जीत होती है तो उन्हें मंत्री बनाएंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि संजीव अरोड़ा राज्यसभा के सांसद नहीं रह जाएंगे और केजरीवाल के संसद तक पहुंचने का रास्ता साफ हो सकता है।

केरल की नीलांबुर सीट पर लड़ाई इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच है। सीपीआई-एम और कांग्रेस एकदूसरे के आमने सामने हैं। बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में दोनों दल एका की बात करते हैं। लेकिन यहां बंदूक ताने हुए हैं। खास बात यह भी है कि केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में दोनों में से किसी भी दल की जीत या हार माहौल बनाने का काम करेगा।

पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है। सीएम ममता बनर्जी पहले से कह रही हैं कि उनके लिए महज यह चुनाव है जबकि बीजेपी की तरफ से 2026 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। वहीं बात अगर गुजरात की करें तो सियासी पंडित इस लड़ाई को सिर्फ सांकेतिक बता रहे हैं। इस लड़ाई को बीजेपी से कहीं अधिक कांग्रेस और आप की जमीनी ताकत को तौलना बताया जा रहा है।

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