
डीटीसी की लचर योजना से करोड़ों का नुकसान, आधी दिल्ली बस सेवाओं से वंचित
दिल्ली की भाजपा सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया कि CAG रिपोर्ट के अनुसार आप सरकार ने महज 2 ही नयी बसें खरीदी और बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट पर बसें ली गयीं, जिससे डीटीसी को नुक्सान हुआ.
DTC CAG Report : दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को खराब योजना के कारण न केवल भारी घाटा उठाना पड़ा, बल्कि राजधानी के लगभग आधे हिस्से में बस सेवाओं का संचालन ही नहीं हो पाया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में वर्ष 2015 से 2022 तक के आंकड़ों के विश्लेषण में यह खुलासा हुआ है।
814 रूटों में से सिर्फ 468 पर ही बसों का संचालन
सीएजी द्वारा विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी के लिए 814 रूट तय किए गए थे, लेकिन इनमें से केवल 468 रूटों पर ही बसें चलाई गईं। यानी 346 (43 प्रतिशत) रूटों पर बसों का संचालन नहीं किया गया, जिससे राजस्व में भारी कमी आई। इसके अलावा, लो-फ्लोर बसों का माइलेज तय मानकों से कम रहा, बसों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ीं और बिना कार्य किए भुगतान होने के कारण भी डीटीसी का घाटा बढ़ता गया।
डीटीसी का घाटा सात साल में दोगुना से अधिक
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 में डीटीसी का सालाना घाटा 3,411 करोड़ रुपये था, जो 2022 तक बढ़कर 8,498 करोड़ रुपये हो गया। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि डीटीसी की बसों ने रोजाना तय किए गए निर्धारित किलोमीटर पूरे नहीं किए। निगम की बसें औसतन 7.06% से 16.59% कम चलीं, जिससे परिचालन लागत बढ़ी। ओवर-एज बसों की संख्या अधिक होने के कारण उनकी बार-बार खराबी हुई और प्रति 10,000 किलोमीटर संचालन में बसों की खराबी के मामले 2.90% से बढ़कर 4.57% तक पहुँच गए। इसके कारण 2015 से 2022 के बीच डीटीसी को 668.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बसों की संख्या घटी, नई बसों की खरीद में देरी
डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या में गिरावट आई है। 2015-16 में डीटीसी के पास 4,344 बसें थीं, जो 2022-23 में घटकर 3,937 रह गईं। इस दौरान दिल्ली सरकार ने नई बसों के लिए फंड उपलब्ध कराया था, लेकिन परिवहन निगम केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सका। नई बसों की आपूर्ति में देरी के लिए ऑपरेटरों पर 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना भी नहीं लगाया गया।
स्वचालित किराया वसूली प्रणाली का भुगतान, लेकिन काम नहीं हुआ
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया कि किराया वसूली के लिए 2017 में स्वचालित किराया वसूली प्रणाली (एएफसीएस) शुरू की गई थी, लेकिन सिस्टम इंटीग्रेटर की कमी के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। इसके बावजूद, मार्च 2021 में 3,697 बसों में यह प्रणाली लगाई गई और ठेकेदार को 52.45 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। लेकिन मई 2023 तक भी यह प्रणाली कार्यशील नहीं हो सकी।
2009 के बाद नहीं हुआ किराए में संशोधन
रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी को किराया निर्धारित करने की स्वायत्तता नहीं है, जिससे वह परिचालन लागत की पूरी वसूली नहीं कर पाया। डीटीसी ने आखिरी बार 3 नवंबर 2009 को किराए में संशोधन किया था। नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार वार्षिक राजस्व अनुदान, रियायती पास की प्रतिपूर्ति और महिलाओं की मुफ्त यात्रा के लिए सब्सिडी देती है।
लापरवाही से हुआ करोड़ों का नुकसान
डीटीसी ने राजस्व बढ़ाने के कई मौकों को गंवा दिया। विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो के व्यावसायिक उपयोग की योजना नहीं बनने के कारण करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। गलत टैक्स क्रेडिट लेने की वजह से भी 63.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ब्याज और जुर्माना भरना पड़ा। इसके अलावा, बसों की खरीद में देरी और प्रशासनिक समन्वय की कमी के कारण भी निगम को वित्तीय हानि उठानी पड़ी।
सीएजी के सुझाव
सीएजी ने डीटीसी को घाटे से उबारने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:
- बेहतर योजना और संचालन: बसों के संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई जाएं।
- राजस्व बढ़ाने के प्रयास: गैर-यातायात राजस्व के नए स्रोतों को तलाशा जाए और लंबित व्यावसायिक परियोजनाओं को लागू किया जाए।
- बसों की संख्या बढ़ाई जाए: दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जल्द से जल्द नई बसें लाई जाएं।
- रूटों का पुनर्गठन: लोड फैक्टर की समीक्षा कर बसों के रूटों का पुनर्गठन किया जाए।
- डिम्ट्स और डीटीसी के प्रदर्शन की समीक्षा: दोनों संस्थाओं के कार्यों का विश्लेषण कर सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।
- एएफसीएस प्रणाली को लागू किया जाए: स्वचालित किराया वसूली प्रणाली को जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
वर्षवार घाटे की रकम (करोड़ रुपये में)
वर्ष | घाटा |
---|---|
2015-16 | 3,411.10 |
2016-17 | 3,843.62 |
2017-18 | 4,329.42 |
2018-19 | 5,280.55 |
2019-20 | 6,147.05 |
2020-21 | 7,342.15 |
2021-22 | 8,498.35 |
इस रिपोर्ट से साफ है कि दिल्ली परिवहन निगम को बेहतर योजना, संसाधनों के सही उपयोग और प्रभावी प्रशासन की सख्त जरूरत है। यदि सुधारात्मक कदम जल्द नहीं उठाए गए, तो निगम का घाटा और बढ़ सकता है, जिससे आम जनता को भी बेहतर परिवहन सेवाओं से वंचित रहना पड़ेगा।