दिल्लीवालों की सेहत से भी खिलवाड़ ? CAG रिपोर्ट में क्या है?
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दिल्लीवालों की सेहत से भी खिलवाड़ ? CAG रिपोर्ट में क्या है?

दिल्ली विधानसभा में औपचारिक तौर सीएजी की दूसरी रिपोर्ट पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट का नाता दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं से है।


CAG Report: दिल्ली विधानसभा में आज सीएजी की दूसरी रिपोर्ट पेश की जाएगी। इससे पहले सीएजी की पहली रिपोर्ट में दिल्ली शराब घोटाले का जिक्र किया गया था। सदन में पेश सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि किस तरह नई आबकारी नीति से दिल्ली के खजाने को 2 हजार करोड़ का चुना लगा। इस रिपोर्ट को आगे की चर्चा के लिए पब्लिक अकाउंट्स कमेटी को भेजा गया है। पीएसी को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। आज पेश की जाने वाली रिपोर्ट दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मामले हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया। 14 अस्पतालों में आईसीयू नहीं है, 12 से अधिक एंबुलेंस के बारे में जानकारी नहीं है।

दिल्ली के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सर्जरी और आवश्यक चिकित्सा सेवाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। मरीजों को सर्जरी के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ रहा है, वहीं कई अस्पतालों में जरूरी उपकरण और बुनियादी सुविधाओं की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है।

सर्जरी के लिए लंबा इंतजार

लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न व प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ रहा है।चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय (CNBC) में पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए 12 महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है।

CNBC, RGSSH और JSSH जैसे अस्पतालों में कई एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड मशीनें खराब पड़ी हुई हैं, जिससे मरीजों को बड़ी परेशानी हो रही है।

जरूरी सेवाओं की भारी कमी

दिल्ली के अस्पतालों में आईसीयू, ब्लड बैंक, ऑक्सीजन और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है:27 में से 14 अस्पतालों में ICU सेवा उपलब्ध नहीं है।16 अस्पतालों में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है।8 अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की कमी है।12 अस्पतालों में एंबुलेंस सेवाएं मौजूद नहीं हैं।CATS एंबुलेंस भी बिना जरूरी चिकित्सा उपकरणों के चलाई जा रही हैं, जिससे इमरजेंसी मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है।

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के लिए लंबा इंतजार, मशीनों की खराबी और जरूरी सेवाओं की कमी जैसी समस्याएं मरीजों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर रही हैं। सरकार को जल्द से जल्द इन बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने और चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है।

दिल्ली की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार के आरोप, बेड की भारी कमी और अधूरी अस्पताल परियोजनाओं जैसी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं। महामारी के दौरान इन कमियों के कारण जनता को इलाज में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से 30.52 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए, जिससे यह साफ होता है कि सरकार ने आवश्यक स्टाफ की भर्ती पर ध्यान नहीं दिया।

दवाओं, पीपीई किट और मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए, जिससे महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी

दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ 1,357 बेड ही जोड़े गए, जो लक्ष्य का मात्र 4.24% है।राजधानी के कई अस्पतालों में बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही, यानी एक ही बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज हुआ या मरीजों को फर्श पर भर्ती किया गया।

अस्पताल परियोजनाओं में देरी और बढ़ती लागत

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में तीन नए अस्पताल बनाए गए, लेकिन सभी प्रोजेक्ट पिछली सरकार के कार्यकाल में शुरू हुए थे।इन अस्पतालों के निर्माण में 5 से 6 साल की देरी हुई और निर्माण लागत में भारी बढ़ोतरी देखी गई।दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में फंड के सही इस्तेमाल की कमी, अस्पतालों में बेड की भारी किल्लत और चिकित्सा परियोजनाओं में देरी जैसी समस्याएं सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। सरकार को जल्द से जल्द इन बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

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