कर्नाटक: नौकरी की तलाश में भटकते युवा, राज्यभर में बड़े प्रदर्शन की योजना
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कर्नाटक: नौकरी की तलाश में भटकते युवा, राज्यभर में बड़े प्रदर्शन की योजना

राज्य सरकार द्वारा दी गई 3 साल की आयु छूट को अभ्यर्थी निरर्थक मान रहे हैं, क्योंकि पिछले 5 वर्षों में कोई बड़ी भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई, खासकर कोविड-19 महामारी के कारण।


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कर्नाटक में सरकारी नौकरियों की भर्ती में लगातार देरी से लाखों प्रतियोगी परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। देरी के चलते कई उम्मीदवार ऊपरी आयु सीमा पार करने के कगार पर हैं। इस बीच राज्य भर में उम्मीदवारों ने कम से कम 5 साल की आयु सीमा में छूट की मांग की है।

अभ्यर्थियों की नाराज़गी

राज्य सरकार द्वारा दी गई 3 साल की आयु छूट को अभ्यर्थी निरर्थक मान रहे हैं, क्योंकि पिछले 5 वर्षों में कोई बड़ी भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई, खासकर कोविड-19 महामारी के कारण। जस्टिस नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट के आधार पर अनुसूचित जातियों (SCs) के लिए भीतरी आरक्षण लागू करने के चलते सरकार ने लगभग एक साल तक भर्तियों की अधिसूचना को रोके रखा। हालांकि, नीति लागू हुए कई महीने बीत गए हैं, लेकिन अब तक नई भर्तियों की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। राज्य में 7.76 लाख स्वीकृत पदों में से 4.91 लाख पद भरे हुए हैं। जबकि 2.84 लाख पद खाली हैं और 80,000 पद आउटसोर्सिंग से संचालित हो रहे हैं।

बड़े पैमाने पर प्रदर्शन

25 सितंबर को धरवाड़ में 25,000 से अधिक उम्मीदवारों ने प्रदर्शन कर सरकार से मांग की कि भर्तियां चरणबद्ध तरीके से की जाएं और आयु सीमा बढ़ाई जाए। 30 सितंबर को विजयपुरा में दलित छात्र संघ समेत कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर कम से कम एक लाख पदों की अधिसूचना जारी करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर चुनाव पूर्व वादों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और उत्तर कर्नाटक में शिक्षक व अन्य विभागीय पदों की भारी कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया।

कर्नाटक में पुलिस भर्ती में अभी सामान्य वर्ग के लिए आयु सीमा 25 वर्ष और OBC/SC/ST के लिए 27 वर्ष है। कोविड काल में 2 साल की एकमुश्त छूट दी गई थी, लेकिन पिछले साल से कोई नई भर्ती नहीं हुई। उम्मीदवारों की मांग है कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आयु सीमा सामान्य वर्ग के लिए 30 साल और आरक्षित वर्ग के लिए 33 साल है। कर्नाटक को भी यही करना चाहिए।

मानसिक दबाव और आर्थिक बोझ

धरवाड़, बेलगावी, कालबुर्गी और बेंगलुरु जैसे शहरों में लाखों उम्मीदवार 10,000 रुपये प्रति माह खर्च कर तैयारी कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश मध्यम वर्ग या गरीब परिवारों से हैं और कुछ पार्ट टाइम जॉब करके खर्च चला रहे हैं। अभ्यर्थी देवराज सिद्दापुर ने कहा कि भविष्य को लेकर भारी मानसिक तनाव है।

प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी

धरवाड़ में 15 से अधिक कोचिंग सेंटर और 200 लाइब्रेरी हैं, जो अब विरोध प्रदर्शनों के केंद्र बनते जा रहे हैं। छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द अधिसूचना जारी नहीं की गई तो बेलगावी, कालबुर्गी, कोप्पल और बेंगलुरु में बड़े प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके अलावा छात्र संगठनों ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनावों में सरकार को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

चुनाव आचार संहिता

सरकार ने हाल ही में 80,000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दी है, लेकिन अभ्यर्थियों को डर है कि दिसंबर में प्रस्तावित स्थानीय निकाय चुनावों के चलते लागू होने वाली आचार संहिता से प्रक्रिया फिर अटक सकती है। इन चुनावों में जिला पंचायत, तालुक पंचायत, ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका और 5,958 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

वित्तीय संकट से भी संकट

भर्ती प्रक्रिया के लिए पर्याप्त फंडिंग की आवश्यकता है, लेकिन वित्त विभाग ने अब तक कोई विशेष बजटीय आवंटन नहीं किया है। इससे भर्ती प्रक्रिया और अधिक टलने का खतरा है। कर्नाटक स्टूडेंट्स एंड रिसर्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष मरूर ने बताया कि सरकार ने पहले भी भीतरी आरक्षण के नाम पर भर्ती रद्द की थी, जिससे हज़ारों को नुकसान हुआ। अब अगर चुनाव बहाना बना तो ये ‘डबल झटका’ होगा। प्रतियोगी परीक्षा अभ्यर्थी रंजीत कुमार ने कहा कि कई उम्मीदवारों ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर तैयारी की है। अगर और देरी हुई तो निराशा जानलेवा भी बन सकती है।

नई कानूनी चुनौती

नई आरक्षण नीति के तहत घुमंतू समुदायों को प्रभावशाली SC उप-जातियों में शामिल करने को लेकर भी विवाद बढ़ गया है। इस पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है और यदि इस पर स्थगन आदेश (stay) आता है तो भर्ती प्रक्रिया फिर से ठप हो सकती है।

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