हरियाणा के 'घोष्ट' छात्रों के विषय में सीबीआई ने दर्ज किया केस
हरियाणा के प्राथमिक स्कूलों से लगभग एक साल में अचानक से 4 लाख बच्चों के रहस्मय तरीके से कम हो जाने के मामले में अब सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है.
Haryana 4 lakh Students case: हरियाणा के प्राथमिक स्कूलों से लगभग एक साल में अचानक से 4 लाख बच्चों के रहस्मय तरीके से कम हो जाने के मामले में अब सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है. ये मामला सरकारी स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में पढने वाले लाख बच्चों के फर्जी दाखिले से जुड़ा है, जिसमें ये आरोप है कि हरियाणा सरकार के प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयों की मिलिभगत से सिर्फ कागजों में बच्चों की संख्या दिखाई गयी.
क्या है मामला
हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में 4 लाख छात्रों के फर्जी दाखिले का मामला सामने आया था. दूसरे मायनों में कहें तो घोस्ट स्टूडेंट्स का मामला, जिसमें कागजों पर तो छात्र थे, लेकिन वास्तव में नहीं. इसका खुलासा पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के सामने उस समय हुआ था, जब 2016 में गेस्ट टीचरों के मामले में हरियाणा सरकार ने कोर्ट में अपील दाखिल की थी. कोर्ट के सामने सरकार की तरफ से कुछ आंकड़े रखे गए थे. कोर्ट ने पाया था कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे, जबकि एक साल के अंदर (2015-2016) ही ये आंकड़ा घट कर महज 18 लाख रह गया था. कोर्ट ये देख कर अचंबित रह गयी कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक साल के अन्दर ही राज्य से सरकारी स्कूलों से 4 लाख बच्चे कम हो गए. जब सरकार से इस विषय में पूछा गया तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाया. जिसके बाद अदालत ने तुरंत इस मामले की जाँच के लिए निर्देश दिए थे.
5 साल बाद हुआ मामला दर्ज
सीबीआई को इस मामले की जांच वर्ष 2019 में दी गयी थी. 2019 से लेकर अब तक सीबीआई पीई( प्रिलिमिनरी इन्क्वारी ) ही कर रही थी. अब जाकर सीबीआई ने इस बाबत केस दर्ज किया है. ये केस प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन ( भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम ) एक्ट के तहत दर्ज किया गया है.
प्राथमिक शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाली सहायता राशी की गड़बड़ी का आरोप
सूत्रों का कहना है कि ये मामला भ्रष्टाचार का है. दरअसल, प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की तरफ से सहायता राशी मिलती है, उनकी स्कूल ड्रेस आदि के लिए. इसके अलावा प्रतिदिन छात्रों को सरकार की तरफ से खाने का सामन भी उपलब्ध कराया जाता है. ऐसे में 4 लाख बच्चों का सिर्फ कागजों पर होना, ये दर्शाता है कि 4 लाख बच्चों के नाम पर जो सरकारी राशी मिली उसे हड़प लिया गया.
2 साल के अन्तराल में हुआ ये फर्जीवाड़ा
सीबीआई के अनुसार ये फर्जीवाड़ा 2 साल के बीच हुआ, जिसकी शुरुआत 2014 से हुई और अदालत ने ये गडबड़ी 2016 में पकड़ी.
प्राथमिक सिक्षा विभाग के अधिकारी हैं निशाने पर
सूत्रों का कहना है कि इस पुरे घोटाले में फिलहाल प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ही संदेह के घेरे में हैं. जाँच जारी है और जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्रवाई भी होगी. अगर किसी बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई होगी तो वो भी सामने आएगी.