छठ, श्रद्धा और सियासत, दिल्ली के वसुदेव घाट पर गंगा-यमुना के बहाने चुनावी बहस तेज़
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छठ, श्रद्धा और सियासत, दिल्ली के वसुदेव घाट पर गंगा-यमुना के बहाने चुनावी बहस तेज़

दिल्ली के वसुदेव घाट पर छठ पूजा की धूम के बीच गंगा-यमुना के पानी को लेकर सियासत गर्म है। क्या यह सब बिहार चुनाव से जुड़ा संयोग है या रणनीति?


Chhath Puja 2025: बिहार के साथ साथ दिल्ली में भी नहाए-खाए के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। छठ व्रती यमुना नदी के किनारे बने घाटों पर सूर्य देवता को अर्घ देने के लिए पहुंच रहे हैं। इन सबके बीच दिल्ली के एक खास घाट की चर्चा सबसे अधिक है जिसे वसुदेव घाट के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी वहां जा सकते हैं, हालांकि इसकी कोई औपचारिक या आधिकारिक जानकारी नहीं है।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि वसुदेव घाट पर दो तरह की व्यवस्था की गई है। अस्थाई तालाब में स्वच्छ पानी है। दिल्ली आप के संयोजक सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि वो पानी गंगा का है जिसे सोनिया विहार प्लांट से गुजर रही गंगा पाइपलाइन से लिया गया है तो कांग्रेस का आरोप है कि बिहार चुनाव के मद्देनजर बीजेपी सियासत कर रही है। इन आरोपों की जमीनी हकीकत समझने के लिए द फेडरल देश की टीम मौके पर पहुंची। मौके पर अस्थाई तालाब नजर आया, बगल में यमुना नदी अपनी चाल और रफ्तार से बहती हुई नजर आईं। अस्थाई तालाब का पानी, यमुना नदी से अधिक स्वच्छ नजर आया। ऐसे में कुछ लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि अस्थाई तालाब में पानी बोरिंग का है, कम से कम यमुना नदी का नहीं है। लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि इससे क्या फर्क पड़ता है कि पानी गंगा का है या यमुना का। आखिर यमुना जी और गंगा जी तो आपस में मिल ही जाती है।


छठ व्रतियों से दूसरा सवाल था कि क्या यमुना नदी का पानी पहले भी इतना ही साफ रहा करता था। इस सवाल के जवाब में छठ श्रद्धालुओं ने कहा कि जी नहीं पहले तो गंदे पानी में उतरकर सूर्य देवता को अर्घ देना पड़ता था। लेकिन इस दफा तस्वीर बदली हुई है। पहले आप यमुना के पानी में 10 मिनट तक खड़े नहीं रह सकते थे। लेकिन इस दफा बहता हुआ पानी नजर आ रहा है, नदी भी पहले से अधिक भरी हुई है। दुर्गंध नहीं है। बिहार के दरभंगा के रहने वाले राम शरण ने कहा कि वो दिल्ली में पिछले 20 साल से रह रहे हैं। छठ के मौके पर पिछली सरकारें भी व्यवस्था करती थीं। लेकिन अब थोड़ा सा बदलाव नजर आ रहा है। वो किसी सरकार को दोष नहीं देंगे। आम श्रद्धालु का मतलब सिर्फ इस बात से है कि उसे अर्घ देने के लिए सही जगह मिले। सियासत से उसका क्या लेना देना।

अब बात जब सियासत की आई तो अगला सवाल यह था कि क्या बीजेपी यह सबकुछ बिहार चुनाव के मद्देनजर कर रही है। इस सवाल के जवाब में बिहार के सीतामढ़ी की रहने वाली प्रियंका जो वसुदेव घाट पर थीं, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि देखिए चुनाव दिल्ली में होता तो बात समझ में आती है। अब यहां जो लोग आए हैं वो बिहार नहीं जा रहे हैं। दरअसल सियासी दलों का तो यही काम है, यह उनका धंधा है। अगर वो इस तरह के आरोप- प्रत्यारोप नहीं लगाएंगे तो उनकी दुकान कैसे चलेगी।

प्रियंका की बात को आगे बढ़ाते हुए दरभंगा के कपिल कुछ उदाहरण भी पेश करते हैं। मसलन वो 2020 और 2024 के चुनाव का जिक्र करते हैं। कपिल कहते हैं कि साल 2020 में जब बिहार में चुनाव हुआ उस वक्त छठ की तारीख चुनाव के बाद थी। 2024 आम चुनाव अप्रैल और मई के महीने में कराए गए थे जबकि आप जानते हैं कि छठ का पर्व अक्तूबर या नंवबर के महीने में होता है। अगर आप 2025 की बात कर रहे हैं तो आपको समझना होगा कि वैधानिक तौर पर बिहार में अगली सरकार का गठन 25 नवंबर से पहले होना है लिहाजा चुनाव नवंबर में होते। इसके साथ साथ आप यह भी जानते हैं कि दीवाली के 6 दिन बाद छठ का पर्व मनाया जाता है, लिहाजा इस साल यह पर्व अक्तूबर के महीने में मनाया जा रहा है। आप इसे महज संयोग कह सकते हैं कि चुनाव से ठीक पहले छठ का पर्व मनाया जा रहा है, लिहाजा इस दफा सियासत हो रही है।

दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित आईएसबीटी की दूसरी तरफ वसुदेव घाट है। इसका उद्घाटन 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने किया था। करीब 14 हेक्टेअर में फैले इस घाट को हरिद्वार और ऋषिकेश के तौर पर विकसित किया गया है। यह घाट साल 2025 में उस समय और चर्चा में आया जब दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता और उनकी कैबिनेट ने इसी घाट पर यमुना आरती की थी। बता दें कि इस घाट पर सप्ताह में दो बार आरती की जाती है। इसे लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तंज कसती रहती है।

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