मोदी के 'हनुमान' की हाजीपुर में परीक्षा, चिराग के सामने क्या है चुनौती
हाजीपुर लोकसभा सीट राम विलास पासवान का गढ़ रहा है. इस सीट पर पशुपति पारस और चिराग पासवान में मतभेद रहा है, हालांकि अब चिराग पासवान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.
Chirag Paswan News: बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान अब शारीरिक तौर पर भले ही ना हों. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उनकी चर्चा चाहे पक्ष हो या विपक्ष करता है. राम विलास पासवान के निधन के बाद चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच खींचतान को देश और दुनिया ने देखा. चिराग पासवान जो खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहा करते थे. वो उनके बचाव में नहीं आए. राजनीति में कहा जाता है कि फैसले कड़वी सच्चाई को देखते हुए लिए जाते हैं. लेकिन वो बातें अब बीत चुकी हैं. चिराग पासवान अब एनडीए के साथ हैं. इन सबके बीच हम एक खास सीट की चर्चा करेंगे जिसे लेकर पासवान परिवार एक दूसरे के आमने सामने था. हालांकि चिराग पासवान खुद हाजीपुर से ताल ठोंक रहे हैं.
विरासत बचाए रखने की लड़ाई
हाजीपुर लोकसभा और राम विलास पासवान का अटूट रिश्ता रहा है. चिराग पासवान के सामने उस विरासत को बचाए रखने की चुनौती है. क्या वो उस विरासत को बचाए रखते हुए आगे की राजनीति में चमकता चेहरा होंगे भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है. पिछले हफ्ते हाजीपुर से नामांकन भरने के बाद चिराग पासवान ने कहा कि यह संसदीय क्षेत्र सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है बल्कि कर्मभूमि है. इस संसदीय क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा गंडक नदी के किनारे वैशाली जिले में पड़ता है.
चिराग के सामने क्या है चुनौती
बिहार की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले कहते हैं कि चिराग पासवान भी इस बात को समझते हैं कि चुनौती कितनी बड़ी है. इन्हें ना सिर्फ आरजेडी की चुनौती को ध्वस्त करना है बल्कि चाचा पशुपति पारस को भी संभाले रखना है ताकि वोटों का बंटवारा ना हो सके. वैसे तो जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा है लेकिन नीतीश कुमार के खिलाफ चिराग ने कितना विषवमन किया था वो उन्हें पता है. इलाके के लोग कहते हैं कि चिराग पासवान बेशक पढ़े लिखे हैं, समझदार हैं लेकिन राम विलास जी के निधन के साढ़े चार साल बाद वो यहां आ रहे हैं. हालांकि चिराग पासवान कहते हैं कि हाजीपुर सिर्फ उनके लिए लोकसभा नहीं है, वो इस मिट्टी के बेटे और भाई हैं.वो अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करने के लिए चुनावी लड़ाई में हैं.
बिहार में 5.3 फीसद पासवान आबादी
चिराग पासवान की पार्टी कुल पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. लेकिन सबकी नजर हाजीपुर पर है. 2014 और 2019 के चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी को कुल 6 सीटें मिली थीं जिसमें हाजीपुर सीट भी शामिल थी. 2019 में राम विलास पासवान ने खराब सेहत की वजह से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. उस वक्त भी चिराग पासवान हाजीपुर सीट से ही किस्मत आजमाना चाहते थे. लेकिन उस समय बेटे की जगह उन्होंने भाई पशुपति कुमार पारस को चुना.राम विलास पासवान के निधन के बाद पारस ने विद्रोह कर दिया. पारस ने राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी बनाई और मोदी सरकार को समर्थन दिया. लेकिन 2024 में चुनावी बेला ने बीजेपी ने चिराग पासवान को हाजीपुर सीट दे दी. नतीजा यह हुआ कि पशपुति पारस सरकार से अलग हो गए हालांकि अब वो मान चुके हैं, बिहार में पासवान समाज की आबादी करीब 5.3 फीसद है.