
चिराग पासवान क्या बिहार चुनाव के सबसे बड़े लाभार्थी हैं? मोदी के 'हनुमान' ने स्ट्राइक रेट से चौंंकाया
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए के साथ उतरकर चिराग पासवान फायदे में रहे। अभी तक के रुझानों में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट शानदार दिख रहा है।
चिराग पासवान की पार्टी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और अभी तक के रुझानों के मुताबिक 22 सीटों पर उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं। ज़रा उनका जीत का स्ट्राइक रेट देखिए। ऐसा लग रहा है कि चिराग पासवान बिहार में एनडीए की चुनावी जीत के एक बड़े लाभार्थी बनकर उभरे हैं।
चिराग पासवान की पार्टी का यह प्रदर्शन इसलिए भी अहम है क्योंकि साल 2020 में हुए पिछले चुनाव में उनकी पार्टी को महज 1 सीट ही मिल पाई थी। हालांकि उन्होंने तब बिहार की 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के बजाय नीतीश कुमार का खेल खराब कर दिया। तब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ा था और खुद को मोदी का हनुमान बताकर सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था नीतीश की पार्टी यानी जेडीयू को।
पिछले बिहार चुनाव में खुद को 'पीएम मोदी का हनुमान' बताने वाले चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया था (फौटो : X/@iChiragPaswan )
2020 में चिराग पासवान ने जेडीयू को दूसरे नंबर की पार्टी से धकेलकर तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया था। पिछले चुनाव में तो चिराग के चक्कर में नीतीश की पार्टी का संख्याबल आधा हो गया था। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में 71 सीट जीतकर आई थी। वहीं पांच साल बाद यानी 2020 के चुनाव में चिराग फैक्टर की वजह से जेडीयू की सीटें घटकर 43 रह गईं थीं।
हालांकि खुद चिराग पासवान कोई कमाल नहीं कर पाए थे और 135 सीटों पर कैंडिडेट उतारकर भी उनके हाथ सिर्फ एक ही सीट लग पाई थी। वोट भी वो 5.66 परसेंट ही ला पाए थे। लेकिन कई बार चुनाव सिर्फ जीतने के लिए नहीं लड़े जाते, दूसरों का खेल खराब करने के लिए भी लड़े जाते हैं। चिराग पासवान ने वो काम 2020 के चुनाव में नीतीश की पार्टी की ताकत कम करके किया था।
पिछले चुनाव में नीतीश की पार्टी का खेल खराब करने में अहम भूमिका निभाने वाले चिराग पासवान इस बार एनडीए के घटक दल के तौर पर लड़े (फौटो : X/@iChiragPaswan )
इस बार तो खैर चिराग पासवान एनडीए के सहयोगी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे। हालांकि पहले वो नीतीश सरकार के खिलाफ कड़े तेवर अपनाए हुए थे। नीतीश कुमार भी चिराग पासवान की पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव रैली करने नहीं गए।
बहरहाल, चिराग पासवान फायदे में दिख रहे हैं। जिस वक्त़ यह रिपोर्ट लिखी जा रही है, तब तक चुनाव आयोग की तरफ से सीटों के जो रुझान सामने आए हैं, उसमें चिराग पासवान की पार्टी के उम्मीदवार 21 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थे। यही नहीं, उनकी पार्टी के खाते में 5.11% वोट शेयर आ चुका था। इस बार का बिहार चुनाव चिराग पासवान का कद बढाने का काम कर गया।

