तेलंगाना में एथेनॉल प्लांट को लेकर बढ़ी चिंता, रेवंत रेड्डी की योजना पर विवाद
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तेलंगाना में एथेनॉल प्लांट को लेकर बढ़ी चिंता, रेवंत रेड्डी की योजना पर विवाद

विशेषज्ञ और कार्यकर्ता अपील कर रहे हैं कि मोमिनपेट और अन्य हिस्सों में प्रस्तावित एथेनॉल उद्योग को बिना सख्त जांच, पारदर्शिता और पर्याप्त सुरक्षा उपायों के स्वीकार नहीं किया जाए।


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तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के द्वारा विकराबाद में एथेनॉल प्लांट स्थापित करने के प्रस्ताव ने लोगों और पर्यावरणविदों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। आलोचकों का कहना है कि इस परियोजना से कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं। सरकारी अधिकारियों ने हाल ही में घोषणा की थी कि 30 दिसंबर को मोमिनपेट मंडल में सार्वजनिक परामर्श आयोजित किया जाएगा, जिसमें 60 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता वाले फ्यूल एथेनॉल प्लांट की स्थापना पर चर्चा होगी। हालांकि, इस प्रस्ताव ने स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में असंतोष और चिंता बढ़ा दी है। लोग निर्णय की पारदर्शिता, पर्यावरणीय प्रभाव और इसके पीछे के उद्देश्य पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रदूषण नियंत्रण नियम

कानून के अनुसार, कोई भी उद्योग जो पर्यावरण पर प्रभाव डालता है, उसे स्थापित करने से पहले सख्त प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PCB) के नियमों के अनुसार, सार्वजनिक परामर्श के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:-

1. कम से कम 30 दिन पहले स्थानीय भाषा के प्रमुख समाचार पत्रों में विस्तृत नोटिस प्रकाशित करना।

2. स्थानीय रेडियो और टीवी चैनलों पर सूचना प्रसारित करना।

3. प्रस्तावित साइट के 10 किमी के दायरे में सभी गांवों में, विशेषकर ग्राम पंचायत कार्यालयों में नोटिस लगाना।

4. ग्रामीणों, स्थानीय प्रतिनिधियों और पर्यावरण संगठनों को अपनी राय व्यक्त करने और सवाल पूछने का अवसर देना। उन्हें स्थानीय भाषा में परियोजना के लाभ और हानियों की जानकारी भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

5. पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि समुदाय सक्रिय रूप से भाग ले सके।

वास्तविक स्थिति

24 दिसंबर को तेलंगाना पीपुल्स जॉइंट एक्शन कमेटी की एक टीम ने मोमिनपेट का दौरा किया और पाया कि स्थानीय लोग पूरी तरह अनजान थे। गांववासियों, सरपंचों और कृषि अधिकारियों को इस परियोजना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। न कोई नोटिस, न कोई घोषणा, न कोई जागरूकता अभियान हुआ — यह कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।

मौजूदा एथेनॉल प्लांट और समस्याएं

विक्राबाद में पहले से ही जक्केपल्ली गांव में रेडिकल बायो-ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (RBOL) का एथेनॉल प्लांट है। यह प्लांट बायोमास से एथेनॉल उत्पादन करता है, लेकिन ज्यादातर इसका उपयोग शराब निर्माण में किया जाता है।

एथेनॉल प्लांट से जुड़े प्रमुख जोखिम

* 20% एथेनॉल मिश्रण के बावजूद तेल बचत नगण्य

* पेट्रोल की तुलना में एथेनॉल की ऊर्जा कम

* उत्पादन प्रक्रिया से **वायु और जल प्रदूषण**

* हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन

* खाद्य फसलों पर निर्भरता, किसानों की आय पर असर

* अधिक पानी की खपत, सूखे क्षेत्रों में संकट बढ़ाता है

स्थानीय लोग बार-बार खराब गंध और जल प्रदूषण की शिकायत कर चुके हैं। प्लांट से निकला अपशिष्ट पानी खेती की जमीन और भूजल को प्रदूषित कर रहा है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया।

दोषपूर्ण एथेनॉल नीति

2021 में केंद्र सरकार ने ‘E20’ नीति*की घोषणा की थी, जिसमें 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देना था। इसका उद्देश्य भारत की ईंधन जरूरतों को पूरा करना, आयातित पेट्रोल पर निर्भरता कम करना और वायु गुणवत्ता सुधारना था। लेकिन इस नीति में कई मूलभूत दोष हैं:-

* 20% एथेनॉल मिश्रण से तेल बचत केवल 2.67%

* उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर पानी, भूमि और ऊर्जा की आवश्यकता

* वास्तविक ऊर्जा बचत नगण्य, लेकिन पर्यावरणीय और सामाजिक लागत अधिक

एथेनॉल उत्पादन के खतरे

* वायु, जल और पर्यावरण प्रदूषण

* हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन: एसीटैल्डीहाइड, फॉर्मलडीहाइड, मेथनॉल

* खाद्य फसलों (चावल, गेहूं, मकई) पर निर्भरता, किसानों की आमदनी प्रभावित

* पानी की अत्यधिक खपत (प्रति लीटर एथेनॉल 8 लीटर पानी)

स्थानीय अनुभव बताता है कि अपशिष्ट जल अक्सर पास की नदियों और खेतों में डाला जाता है, जिससे स्वास्थ्य और कृषि पर गंभीर असर पड़ता है।

दोषपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव आकलन

* बायोडाइवर्सिटी अध्ययन अधूरा और वैज्ञानिक दृष्टि से विश्वसनीय नहीं

* कार्बन उत्सर्जन कम आंकड़े गए (असली आंकड़ा 46 टन/दिन, रिपोर्ट में 30 टन)

* सुरक्षा उपाय, फैलाव नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं का उल्लेख नहीं

* आग और विस्फोट के जोखिम पर्याप्त रूप से नहीं मापे गए

नागरिकों और पर्यावरणविदों की मांग

विशेषज्ञ और कार्यकर्ता अपील कर रहे हैं कि मोमिनपेट और अन्य हिस्सों में प्रस्तावित एथेनॉल उद्योग को बिना सख्त जांच, पारदर्शिता और पर्याप्त सुरक्षा उपायों के स्वीकार नहीं किया जाए। किसानों, महिलाओं, ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं से कहा गया है कि वे इस प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ आवाज उठाएं, क्योंकि ये उद्योग स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि भविष्य के लिए गंभीर खतरा हैं।

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