जाति जनगणना क्या अभी भी है विभाजनकारी? कांग्रेस का पीएम मोदी पर हमला
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जाति जनगणना क्या अभी भी है विभाजनकारी? कांग्रेस का पीएम मोदी पर हमला

कांग्रेस ने बिहार से जुड़े मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया और जानना चाहा कि क्या वह अब भी सोचते हैं कि जाति जनगणना विभाजनकारी है.


Congress attack PM Modi: कांग्रेस ने बिहार से जुड़े मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया और जानना चाहा कि क्या वह अब भी सोचते हैं कि जाति जनगणना विभाजनकारी है. बिहार में मोदी के कार्यक्रमों से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उनसे चार प्रश्न पूछे, जिनमें दरभंगा में एम्स खोलने में हो रही देरी तथा पूर्णिया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में वादा किए गए एयरपोर्ट के बारे में सवाल शामिल हैं.

बिहार जाति सर्वेक्षण

उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार सरकार ने कांग्रेस और आरजेडी के दबाव में अक्टूबर 2023 में बिहार जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए तो मोदी ने कहा कि यह देश को “जाति के नाम पर” बांट देगा. नीतीश से हाथ मिलाने के बाद रमेश ने एक्स पर पूछा कि प्रधानमंत्री बिहार के जाति आधारित सर्वेक्षण के बारे में क्या सोचते हैं? क्या वह इसे दशकीय जनगणना में आगे बढ़ाएंगे जो 2021 में होनी थी लेकिन जल्द ही होने की संभावना है? क्या वह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर मनमानी और कृत्रिम 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे?

वादा किया गया एम्स

कांग्रेस नेता ने कहा कि दरभंगा में एम्स की घोषणा 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की थी. लेकिन काम शुरू होने में ही नौ साल लग गए. रमेश ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि देरी आंशिक रूप से केंद्र द्वारा इसका राजनीतिक श्रेय लेने की जिद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसका लाभ सुनिश्चित करने के प्रयासों के कारण हुई है. रमेश यह भी जानना चाहते थे कि भाजपा ने मैथिली भाषा की उपेक्षा क्यों की है.

मैथिली भाषा

उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में भाजपा ने मैथिली के विकास, संरक्षण या संवर्धन के लिए कुछ भी नहीं किया गया. जबकि यह एक अनुसूचित भाषा है और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है. रमेश ने कहा कि बीजेपी ने केंद्र में 10 साल और बिहार में 13 साल सत्ता में रहने के दौरान प्राथमिक स्कूलों में मैथिली भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने से इनकार कर दिया और राज्य की मैथिली अकादमी एक भूतिया संगठन में बदल गई है, जिसके पास वर्षों से न तो कोई फंड है, न ही कोई अध्यक्ष, न ही कोई कर्मचारी और न ही कोई प्रकाशन है.

बिहार में एयरपोर्ट

उन्होंने मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और भागलपुर के लिए वादा किये गये एयरपोर्ट के बारे में भी पूछा. उन्होंने कहा कि गैर-जैविक पीएम ने 18 अगस्त 2015 को पूर्णिया में एक हवाई अड्डे का वादा किया था. छह साल और नीतीश कुमार के तीन यू-टर्न के बाद, उनकी सरकार ने अभी तक वादा पूरा नहीं किया है. साल 2019 की एक रैली में मोदी ने मुजफ्फरपुर में पताही हवाई अड्डे को खोलने का वादा किया था. 2023 में अमित शाह ने भी पताही एयरपोर्ट पर परिचालन शुरू करने का वादा किया. जबकि भाजपा ने दिवाली 2023 तक पूरी तरह से चालू हवाई अड्डे का वादा किया.

रमेश ने देरी पर उठाए सवाल

हालांकि, रमेश ने बताया कि इस वर्ष मार्च में एक केंद्रीय टीम ने पाया कि भूमि की चारदीवारी टूटी हुई थी और रनवे पर भैंसें घूम रही थीं. उन्होंने कहा कि सरकार 10 वर्षों से क्या कर रही थी? मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और भागलपुर के साथ उन शहरों में शामिल हो गया है, जिन्हें हवाईअड्डे की जरूरत है और वे इसके हकदार भी हैं. लेकिन भारतीय जुमला पार्टी के शासन में उन्हें केवल टूटे हुए वादे ही मिलते हैं.

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