तू आगे-आगे मैं पीछे-पीछे, कांग्रेस चली BJP की राह, अब हिमाचल में भी दुकानों पर होगा मालिक का नाम
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तू आगे-आगे मैं पीछे-पीछे, कांग्रेस चली BJP की राह, अब हिमाचल में भी दुकानों पर होगा मालिक का नाम

यूपी सरकार के एक फैसले को अब हिमाचल प्रदेश लागू करने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के बाद अब हिमाचल में भी खाने-पीने की दुकानों के बाहर नाम लिखना अनिवार्य होगा.


Himachal Pradesh write name outside food shops: लगता है अब कांग्रेस भी बीजेपी की नक्शेकदम पर चलने लगी है. ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रही है. इसके पीछे एक बड़ी वजह है. क्योंकि, यूपी सरकार के एक फैसले को अब हिमाचल प्रदेश लागू करने जा रहा है. यानी कि उत्तर प्रदेश के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी खाने-पीने की दुकानों के बाहर नाम लिखना अनिवार्य होगा. इसको लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है.

बता दें कि जब यूपी की योगी सरकार ने दुकान के बाहर मालिकों का नाम लिखने वाला आदेश जारी किया था, तब कई तबकों इसका विरोध किया था. वहीं, अब कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश यही आदेश लागू करने जा रही है. राज्य सरकार के आदेश में सभी स्ट्रीट वेंडरों और खाने-पीने की दुकानों में मालिकों और स्टाफ सदस्यों का नाम बताना होगा. इस आदेश को योगी सरकार का नकल कहा जा रहा है.

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बुधवार को एक आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया है कि सभी विक्रेताओं को अपनी दुकानों पर अपना नाम और आईडी कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा. यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया द्वारा उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के नेतृत्व में स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नीति विकसित करने के लिए सात सदस्यीय समिति गठित करने के ठीक पांच दिन बाद आया है. समिति का गठन सदन द्वारा 10 सितंबर को 'स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी' बनाने के निर्णय के बाद किया गया है.

वहीं, हिमाचल के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस कदम के पीछे के कारणों को बताया. उन्होंने कहा कि हमने शहरी विकास विभाग और नगर निगम के साथ बैठक की, यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए. हमने निर्णय लिया है कि सभी स्ट्रीट वेंडर्स, विशेष रूप से खाद्य पदार्थ बेचने वाले को अपना नाम और आईडी काई दिखाना होगा. यह निर्णय जनता द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के बाद लिया गया है और हमने उत्तर प्रदेश की तरह ही एक नीति लागू करने का विकल्प चुना है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार का यह निर्णय प्रवासी श्रमिकों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन की बढ़ती मांगों के साथ भी मेल खाता है. क्योंकि राज्य में अनधिकृत मस्जिदों पर विवादों ने तूल पकड़ा है. यह मुद्दा 30 अगस्त को शिमला के उपनगर मलयाना इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय के एक नाई और एक स्थानीय व्यापारी के बीच हाथापाई से उठा था और जल्द ही सांप्रदायिक मुद्दे में बदल गया. इसके बाद हिंदू समूहों ने अनधिकृत मस्जिदों को गिराने और राज्य में प्रवेश करने वाले बाहरी लोगों की पहचान और सत्यापन की मांग की.

पिछले हफ्ते, शिमला के संजौली इलाके में एक मस्जिद के हिस्से को गिराने की मांग को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान दस लोग घायल हो गए थे. प्रदर्शनकारियों ने हिमाचल प्रदेश में काम करने के लिए आने वाले प्रवासी श्रमिकों की पहचान और पंजीकरण की मांग की. इसके अलावा, मांग की गई है कि लाइसेंस केवल स्थानीय 'तहबाजारियों' (स्ट्रीट वेंडर्स) को जारी किए जाएं और प्रवासी श्रमिकों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की जाए. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि स्ट्रीट वेंडर्स और एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई है और सुरक्षा उपाय के रूप में वे इन व्यक्तियों के वेरिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन की मांग कर रहे हैं.

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