बंगाल में मतुआ संग कांग्रेस का जुड़ाव, बदल सकती है सियासी दिशा
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बंगाल में मतुआ संग कांग्रेस का जुड़ाव, बदल सकती है सियासी दिशा

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को मतुआ समुदाय से नए संकेत मिले हैं। नागरिकता मुद्दे-सत्याग्रह कार्यक्रम के सहारे पार्टी खोए जनाधार को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है।


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पश्चिम बंगाल की राजनीति में लगभग मिट चुकी कांग्रेस को मतुआ समुदाय से मिले हालिया सकारात्मक संकेतों ने नई उम्मीद दी है। राज्य का यह दूसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जाति समुदाय न केवल जनसंख्या के लिहाज से अहम है, बल्कि मुस्लिम वोट बैंक के बाद सबसे अधिक राजनीतिक महत्व भी रखता है। लंबे समय से बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच बंटे इस समुदाय के एक हिस्से का कांग्रेस की ओर झुकाव पार्टी के लिए खोए हुए जनाधार को फिर से खड़ा करने का अवसर माना जा रहा है।

ठाकुरनगर में सत्याग्रह और कांग्रेस की सक्रियता

रविवार (14 सितंबर) को ठाकुरनगर स्थित ठाकुरबाड़ी मतुआ धाम समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है।कांग्रेस द्वारा आयोजित सत्याग्रह कार्यक्रम ने इस उम्मीद को और मजबूत किया। इस गैर-हिंसक विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस ने राजनीतिक ध्रुवीकरण और विभाजन के खिलाफ आवाज उठाई। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष सुभंकर सरकार इस मौके पर मौजूद रहे। यह लगभग दो दशकों में पहला मौका था जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मतुआ बहुल ठाकुरनगर का दौरा किया।

कांग्रेस नेताओं से लगातार बैठकें

इससे पहले मतुआ प्रतिनिधियों और कांग्रेस नेताओं के बीच राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई बैठकें हुई थीं। 30 अगस्त को बिहार में राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के दौरान बीजेपी से जुड़े तपन हलदार के नेतृत्व में एक माटुआ प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की। इसके अलावा समुदाय के प्रतिनिधियों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और बंगाल के पार्टी प्रभारी गुलाम अहमद मीर से भी बातचीत की।

अपनी दो दिवसीय राज्य यात्रा के दौरान वेणुगोपाल ने अखिल भारतीय माटुआ महासंघ के वरिष्ठ नेता सुकृति रंजन विश्वास से भी मुलाकात की।

नागरिकता का बुनियादी मुद्दा

राज्य कांग्रेस अध्यक्ष सुभंकर सरकार के मुताबिक, “मतुआ समुदाय बीजेपी और टीएमसी दोनों से असंतुष्ट है क्योंकि वे उनके नागरिकता संबंधी बुनियादी मुद्दे का सही समाधान नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस शासन में माटुआ नागरिकता से जुड़ी किसी समस्या का सामना नहीं करते थे। उनके पास वोटिंग अधिकार थे और वे पासपोर्ट भी रखते थे। अब ये पार्टियाँ पहले समस्या पैदा करती हैं और फिर हल करने का दिखावा करती हैं।

उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सावधानीपूर्वक रणनीति बना रही है। पार्टी समुदाय के अलग-अलग वर्गों से राय जुटा रही है और जल्द ही एक समिति बनाकर नागरिकता संबंधी चिंताओं पर काम करेगी।

राहुल गांधी का संभावित दौरा

16 सितंबर को पूर्व CPI(M) नेता प्रसेंजित बोस कांग्रेस में शामिल हो गए। यह कदम स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस का अभियान हाशिए पर पड़े समुदायों के वोटिंग अधिकार सुरक्षित करने के लिए राज्य में पकड़ बना रहा है।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, आने वाले दिनों में ठाकुरबाड़ी मतुआ धाम में सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित होगी, जो दुर्गा पूजा के बाद 2 अक्टूबर को रखी गई है। पार्टी हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि राहुल गांधी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बंगाल दौरे पर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस माटुआ बहुल इलाकों में उनके कार्यक्रम की योजना बना रही है।

कांग्रेस की राजनीतिक पृष्ठभूमि और मतुआ समुदाय

कांग्रेस और मतुआ समुदाय का संबंध नया नहीं है। माटुआ संप्रदाय के संस्थापक हरिचंद ठाकुर के प्रपौत्र प्रमथ रंजन ठाकुर 1946 में कांग्रेस के समर्थन से संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे। वे 1957 और 1962 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर बंगाल विधानसभा भी जीते और मंत्री बने।

आज लगभग डेढ़ करोड़ वोटरों वाले मतुआ समुदाय का प्रभाव राज्य की कम से कम 30 विधानसभा सीटों पर निर्णायक है और 50 से अधिक सीटों पर असर डाल सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस एक बार फिर इस समुदाय से जुड़ाव बनाकर अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है।

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