क्यों नहीं हटेंगे सिद्धारमैया? DK शिवकुमार को CM बनाने से क्यों डर रही कांग्रेस
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क्यों नहीं हटेंगे सिद्धारमैया? DK शिवकुमार को CM बनाने से क्यों डर रही कांग्रेस

कर्नाटक में जितनी भी अटकलें लगी हों, फिलहाल किसी भी तरह की CM परिवर्तन की चर्चाओं को कांग्रेस की उच्च कमान ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। विधायक नाराज़ जरूर हैं, लेकिन नाराजगी सिद्दारमैया के प्रति नहीं, बल्कि विकास और संसाधनों के बंटवारे के मुद्दे पर है।


कांग्रेस के अंदर कर्नाटक में हाल ही में बढ़ी चर्चाओं ने संकेत दिया कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को बदला जा सकता है। कुछ नेता असंतुष्ट हैं और कुछ विधायक स्पष्ट रूप से अपनी नाराज़गी जता चुके हैं। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह अशांति CM हटाने की नहीं, बल्कि मंत्रिमंडल फेरबदल और डेवलपमेंट कोष को लेकर है। वहीं, सरकार गैर-क़रार योजना के वित्तीय दबाव से भी दबाव में है।

हाई कमान ने सभी अटकलों को किया खारिज

कांग्रेस की सर्वोच्च कमान ने साफ कहा है कि सिद्दारमैया को हटाने का कोई इरादा नहीं है। उन्हें राज्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की रीढ़ माना जा रहा है। AICC के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला कुछ दिनों पहले बेंगलुरु आए थे और कई विधायक नेताओं से मिले। ये बैठकें इसी माहौल के बीच बुलाई गईं, क्योंकि कई विधायक ‘फंड न मिलने’ और ‘कुछ मंत्रियों की गैर-रूचि’ की शिकायत कर चुके थे। अधिकतर आलोचना सिद्दारमैया की नहीं, बल्कि कुछ मंत्रियों पर केन्द्रित रही, जिन्होंने विकास कार्यों को पीछे खींचा दिया।

सिद्दारमैया की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री ने इन फीडबैक्स को खुले दिल से स्वीकार किया और विधायकों को सुरजेवाला से मिलने की अनुमति दी, जिससे यह संकेत मिला कि वे नियंत्रण में हैं और अभी भी मजबूत स्थिति में हैं। कांग्रेस के एक मंत्री ने कहा कि बदलाव की बात नहीं, बल्कि संतुलन की जरूरत है। कुछ विधायक मंत्री पद नहीं पा रहे, कुछ मंत्री सहयोग नहीं कर रहे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बयान दिया कि मुख्यमंत्री का चयन सिर्फ हाई कमान करेगी, विधायक इसे चर्चा में न लाएं। सिद्दारमैया ने भी स्पष्ट किया कि वे पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री पद पर कायम रहेंगे।

DK शिवकुमार, जो लंबे समय से इस पद के सपने देख रहे थे, उन्हें निराशा हाथ लगी। उन्होंने उम्मीद की थी कि फिर से माहौल बन जाएगा, लेकिन सिद्दारमैया की स्थिति दूसरी जगह से मजबूत साबित हुई और उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।

सिद्दारमैया का प्रमुख आधार है AHINDA (अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग, दलित) वोट बैंक— ये तीनों समूह कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक हैं और सिद्दारमैया ने वर्षों में इनसे मजबूती से जुड़ाव बनाए रखा है। पार्टी को डर है कि अगर उन्हें हटाया गया ता यह AHINDA वोट्स पर बड़ा असर पड़ेगा।

राष्ट्रीय भूमिका

कांग्रेस उनकी राष्ट्रीय भूमिका को भी बढ़ावा दे रही है। OBC सलाहकार परिषद जैसी योजनाओं के साथ उन्हें पार्टी में एक राष्ट्रीय चेहरे के रूप में गढ़ा जा रहा है। साथ ही, जाति जनगणना की अगुवाई का जिम्मा भी उन्हें दिया गया है। पार्टी यह समझती है कि उनके बिना, OBC–दलित–अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लग सकती है।

DK शिवकुमार के आसपास विवाद

RCB स्टेडियम में हुई भगदड़ में उनके संलिप्त होने के आरोप और ‘हनीट्रैप’ जैसे विवादों ने उनकी छवि को कमजोर किया। ऐसे में हाई कमान उनके मुख्यमंत्री बनने पर जोखिम नही लेना चाहती। खबर है कि उन्होंने खड़गे को समर्थन का प्रस्ताव रखा, लेकिन खड़गे राज्य राजनीति में रुचि नहीं रखते।

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