MVA की महाराष्ट्र में ताकत कमजोर, एकनाथ शिंदे-अजित पवार पर डाल रहे डोरे
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MVA की महाराष्ट्र में ताकत कमजोर, एकनाथ शिंदे-अजित पवार पर डाल रहे डोरे

महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों अलग तरह की चर्चा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि यदि शिंदे और पवार सीएम बनना चाहें तो समर्थन दे सकते हैं।


Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में इस समय सीएम पद के लिए ऑफर दिया जा रहा है। आप भी सोच रहे होंगे कि कौन किसे ऑफर दे रहा है। इसे समझने से पहले महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly Result 2024 में दलीय आंकड़ों को समझना भी जरूरी है। 2024 में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए तो हर कोई दंग था। प्रचंड बहुमत पाने में महायूति कामयाब रही। बीजेपी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। संख्या बल जादुई आंकड़े 145 के करीब। वहीं महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghdai) के घटक दल 50 सीट भी नहीं जीत सके। लेकिन अब महाविकास अघाड़ी के घटक कांग्रेस ने एकनाथ शिंदे (Eknatah Shinde) और अजित पवार (Ajit Pawar) दोनों को सीएम बनने का ऑफर दिया है।

महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole Ex Congress President) ने कहा कि यदि एकनाथ शिंदे और अजित पवार चाहें तो आधे आधे टर्म के लिए सीएम बन सकते हैं। महाविकास अघाड़ी उनका समर्थन करेगी। इस तरह के बयान पर कांग्रेस के ही एक बड़े नेता विजय वेड्डीवार से पूछा गया कि क्या यह संभव है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति में संभावनाओं पर कभी ब्रेक नहीं लगता। सियासत में कुछ भी संभव है। ऐसे में पहले यह जानना होगा कि संख्या बल में पिछड़े कांग्रेस को क्यों इस तरह की संभावना नजर आ रही है। इसके लिए पहले विधानसभा की गणित को समझना होगा।

एमवीए के तीनों घटक दलों (कांग्रेस, एनसीपी शरद गुट, शिवसेना यूबीटी) को 47 सीटें मिली थी। इसी तरह महायूति में बीजेपी को 132 शिवसेना शिंदे को 57 और एनसीपी 41 सीटें मिलीं।महाराष्ट्र में किसी भी गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 145 सीट चाहिए। अगर एमवीए, शिंदे और अजित गुट को जोड़ा जाए तो यह संख्या 145 बैठती है। इसका अर्थ यह हुआ कि नाना पटोले अगर ढाई ढाई साल सीएम पोस्ट का ऑफर दे रहे हैं तो उसके पीछे उनकी यह गणित है। लेकिन सियासत का एक ही पक्ष नहीं होता।

बीजेपी के पास अपने दम पर विधायकों की संख्या 132 है, यह संख्या मैजिक फिगर से महज 13 कम है, इसका अर्थ यह हुआ कि महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के विधायकों का मन बीजेपी पर डोला तो तस्वीर कुछ अलग ही होगी, वैसी सूरत में देवेंद्र फणनवीस वाली सरकार अपने दम पर राजकाज कर सकती है। यानी कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी हो सकता है। सुविधा के हिसाब से पाला बदला जा सकता है।

2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एक पॉडकास्ट में अजित पवार से विचाराधारा के मुद्दे पर सवाल किया गया था। उस सवाल के जवाब में उन्होंने बेबाकी से कहा कि देखिए अब राज्य की राजनीति में विचारधारा का कोई खास मतलब नहीं है। उन्होंने फिर आगे कहा कि देखिए उनके कहने का अर्थ यह नहीं कि विचारधारा से समझौता करना चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र की सियासत की कड़वी सच्चाई है। ऐसे में यह समझना कठिन नहीं है कि कांग्रेस की तरफ से इस तरह की बात क्यों कही जा रही है। दरअसल हाल ही में एकनाथ शिंदे कैंप और अजित पवार कैंप की तरफ से यह खबर आई कि सरकार में रहते हुए उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। शिंदे के कार्यकाल के दौरान कुछ कामों की फाइलें सीएम दफ्तर ने मंगाई और उसकी जांच हो रही है। इस तरह के घटनाक्रम के बाद अंदर ही अंदर तल्खी बढ़ गई।

जानकारों के मुताबिक जो दल अधिक संख्या के साथ सरकार का हिस्सा होता है उसका दमखम नजर आता है। जिस तरह से हाल ही में देवेंद्र फणनवीस सरकार ने कुछ फैसले किए उसकी वजह से उनके घटक दलों में निराशा का भाव है। अब इस तरह की स्थिति में विपक्ष के पास मौका है कि वो सीएम पद की बात उछाल कर मन टटोले। एक तरह से कहें तो चारा फेंक दिया है। एकनाथ शिंदे हों या अजित पवार उन्हें अपने भविष्य और राजनीतिक चाल को खुद चलना होगा। अगर जमीनी स्तर पर गंभीरता के साथ अगर इन दोनों चेहरों ने ठोस मन बनाया तो महाराष्ट्र की सियासत में कई रंग दिखाई पड़ेंगे।

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