गुजरात चुनाव: कांग्रेस का खाका तैयार, त्रासदियों को हथियार बना सरकार को घेरने सड़क पर उतरी पार्टी
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गुजरात चुनाव: कांग्रेस का खाका तैयार, त्रासदियों को हथियार बना सरकार को घेरने सड़क पर उतरी पार्टी

गुजरात में एक दशक में पहली बार लोकसभा चुनावों में अपना खाता खोलने के बाद कांग्रेस ने खुद को पुनर्जीवित करने के लिए नई रणनीति तैयार की है.


Gujarat Assembly Elections: गुजरात में एक दशक में पहली बार लोकसभा चुनावों में अपना खाता खोलने के बाद कांग्रेस ने खुद को पुनर्जीवित करने के लिए नई रणनीति तैयार की है. पार्टी ने साल 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ा खाका बनाने और राज्य में हाल ही में हुई चार त्रासदियों को लेकर सरकार को घेरने के लिए गुजरात न्याय यात्रा के साथ सड़कों पर उतरी है.

इस महीने की शुरुआत में भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाने और यात्रा की शुरुआत करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मोरबी जुल्टो पुल सस्पेंशन ब्रिज के ढहने के पीड़ितों के कुछ परिवार के सदस्यों ने क्रांति सभा में शीर्ष कांग्रेस नेताओं के साथ मंच साझा किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि सूरत में साल 2019 में तक्षशिला आर्केड अग्निकांड, 2022 में मोरबी सस्पेंशन ब्रिज का ढहना, जनवरी में वडोदरा में हरनी नाव त्रासदी और मई में राजकोट टीआरपी जोन अग्निकांड के पीड़ितों के परिजनों को या तो केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या "भ्रष्टाचार मुक्त राज्य अधिकारियों" से जांच करानी चाहिए. मेवाणी ने दावा किया कि पीड़ित परिवार फास्ट-ट्रैक अदालतों में सुनवाई और प्रत्येक को 1.5 करोड़ रुपये का मुआवजा चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि अब जब सरकार इन मांगों को स्वीकार नहीं कर रही है तो मैं मोरबी, राजकोट और गुजरात के लोगों से अपील करता हूं कि वे जाग जाएं और भ्रष्ट और पापी भाजपा नेताओं को भगा दें. मेवाणी, बनासकांठा की सांसद गेनीबेन ठाकोर, कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई और गुजरात किसान कांग्रेस के अध्यक्ष पाल अंबालिया के साथ राजकोट अग्निकांड के बाद से सबसे मुखर रहे हैं और सड़कों पर उतरे हैं. सबसे पहले, उन्होंने 8 जून से तीन दिवसीय भूख हड़ताल की और 25 जून को राजकोट शहर में लगभग पूर्ण बंद का नेतृत्व किया – जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है. चारों नेताओं ने 7 जुलाई को पीड़ित परिवारों और लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी के बीच बैठक कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आखिरकार 9 अगस्त को न्याय यात्रा पर निकल पड़े.

देसाई ने कहा कि भ्रष्ट भाजपा प्रशासन ने राज्य को अन्याय, उत्पीड़न और बलात्कार की दुकान में बदल दिया है. गुजरात के आदिवासी, दलित, आम लोग और नोकरियात (मजदूर वर्ग) पीड़ित हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता न्याय की मांग करने वालों पर शांति भंग करने का आरोप लगाते हैं.

किसान अनिरुद्धसिंह जडेजा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा उपवास करने के बाद ही सीएम ने हमें बैठक के लिए बुलाया और गांधी के साथ हमारी बैठक की सुविधा प्रदान की. जब तक लोग विरोध नहीं करेंगे, भाजपा नहीं सुनेगी और इसलिए मैं न्याय यात्रा में शामिल हुआ. कांग्रेस नेता भी एक बड़ा उद्देश्य देखते हैं, जिसे यात्रा उन्हें हासिल करने में मदद कर सकती है.

मेवाणी का दावा है कि यह 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए खाका तैयार करने में मदद करेगी. दूसरी ओर, देसाई का दावा है कि यात्रा पार्टी को उन प्रमुख कार्यकर्ताओं की पहचान करने में मदद कर रही है, जो इसकी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 17 सीटों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर सिमट गई. जबकि इसका वोट शेयर 2017 में 41.11% से गिरकर 27.28% हो गया. मेवाणी ने कहा कि हम 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा खाका तैयार करना चाहते हैं. अपने कार्यक्रमों को उजागर करना चाहते हैं और कांग्रेस के बारे में लोगों की धारणा को बदलना चाहते हैं कि यह केवल चुनावों के दौरान दिखाई देने वाली पार्टी है. हमने पहले ही एक बढ़त हासिल कर ली है.

देसाई ने कहा कि पार्टी का विचार हाशिए पर पड़े वर्गों की मानसिकता को बदलना है. उन्हें "सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक गठजोड़" के बारे में जागरूक करना है, जिसने भाजपा को तीन दशकों तक सत्ता में बनाए रखते हुए उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया है. इस आशंका को खारिज करते हुए कि लोग 1995 से सत्ता से बाहर रही पार्टी से जुड़े हुए नहीं दिखना चाहते हैं. मेवाणी ने कहा कि यह गलत धारणा है कि कांग्रेस के पास गुजरात में समर्थन आधार नहीं है. हमने अपने सबसे बुरे समय में भी लगभग 30% वोट हासिल किए और विपक्ष के रूप में, हम न केवल लोगों के मुद्दे उठा रहे हैं, बल्कि उनका समाधान भी करवा रहे हैं.

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