
कांग्रेस ने असम चुनावों की तैयारी शुरू की, बीजेपी के दशक भर के राज को समाप्त करने का लक्ष्य
पार्टी ने पिछले 10 वर्षों में नेताओं के लगातार बीजेपी में जाने से कमजोर होने के कारण अपनी वोट-बेस को ताइ अहोम और मुस्लिम समुदायों से आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
पिछले महीने बिहार में भारी हार झेलने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाले असम विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। असम में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के दशक भर के शासन को समाप्त करना है।
पार्टी ने पिछले 10 वर्षों में नेताओं के लगातार बीजेपी में जाने से कमजोर होने के कारण अपनी वोट-बेस को ताइ अहोम और मुस्लिम समुदायों से आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, पार्टी को यह सुनिश्चित करना है कि असम में संभावित प्री-पोल गठबंधन बिहार में बड़े गठबंधन (RJD, लेफ्ट पार्टियों और अन्य छोटे दलों के साथ) की तरह विवादों में न फंसे। सूत्रों के अनुसार, ये दोनों मुद्दे नई दिल्ली में कांग्रेस हाई कमान और असम कांग्रेस नेतृत्व के बीच हुई बैठक में प्रमुख चर्चा का हिस्सा रहे।
संकटपूर्ण मुद्दा
बैठक में एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा यह था कि असम के छह आदिवासी समुदाय ताइ अहोम, मोरान, मोटोक, चुतिया, कोच-राजबोंगशी और टी ट्राइब्स को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए, बिना वर्तमान अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को प्रभावित किए। 29 नवंबर को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने राज्य विधानसभा में मंत्रियों के एक समूह (GoM) की रिपोर्ट पेश की, जिसमें छह समुदायों को ST सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई। हालांकि, कांग्रेस और असम के मौजूदा आदिवासी समूह मानते हैं कि यह संभव नहीं है।
असम में वर्तमान ST समुदाय ST (Plains) और ST (Hills) में विभाजित हैं, जिनका आरक्षण क्रमशः 10% और 5% है। GoM ने सुझाव दिया कि मोरान, मोटोक और कोच-राजबोंगशी को ST (Plains) में शामिल किया जाए और अहोम, चुतिया, टी ट्राइब्स और कोच-राजबोंगशी (Goalpara क्षेत्र से बाहर) को ST (Valley) के तहत नई श्रेणी में शामिल किया जाए। कांग्रेस को डर है कि इस वर्गीकरण से मौजूदा आदिवासियों और नई शामिल समुदायों में संघर्ष हो सकता है।
आरक्षण और केंद्रीय सूची में जटिलताएं
केंद्रीय आरक्षण (Central Quota) के तहत स्थिति और जटिल हो जाएगी, क्योंकि राष्ट्रीय ST सूची एक है, जबकि असम में तीन-स्तरीय वर्गीकरण प्रस्तावित है। इसका मतलब है कि सभी ST समूह केंद्रीय आरक्षण में हिस्सेदारी के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। बीजेपी का मानना है कि ST सूची का विस्तार उसे मोरान, मोटोक, चुतिया, कोच-राजबोंगशी और टी ट्राइब्स के वोट बैंक को मजबूत करने में मदद करेगा, जो पिछले दशक से कांग्रेस से दूर जा रहे हैं। वहीं अहोम, असम का सबसे बड़ा समुदाय, कांग्रेस के लिए पारंपरिक वोट बैंक रहा है।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस ने मौजूदा अनुसूचित जनजाति समुदायों द्वारा ST सूची विस्तार के खिलाफ जारी विरोध को चुनावी अवसर के रूप में देखा है। पार्टी ने 2011 के असम विधानसभा प्रस्ताव को याद किया, जब पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगई के नेतृत्व में यह प्रस्ताव पास हुआ था। कांग्रेस ST सूची में छह आदिवासी समुदायों के शामिल होने का समर्थन करती है, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मौजूदा ST समूहों के अधिकारों और आरक्षण पर असर न पड़े। असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोइयो ने मुख्यमंत्री शर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने मौजूदा ST समुदायों के अधिकार सुरक्षित रखने में विफलता दिखाई और नई समुदायों और मौजूदा ST समूहों में संघर्ष भड़का रहे हैं।
चुनावी रणनीति और गठबंधन
कांग्रेस ने असम विधानसभा चुनाव में गठबंधन की रणनीति पर भी विचार किया। पार्टी ने 2021 के AIUDF (बदरुद्दीन अजमल) के साथ गठबंधन को “भूल” बताया, जिसने बीजेपी को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ाने का मौका दिया। इस बार कांग्रेस अखिल गोगई की Raijor Dal, अंजलिक गना मोर्चा, CPI-CPM, CPI-ML (L) और असम जातीय परिषद जैसे संभावित सहयोगियों से गठबंधन करना चाहती है। हाई कमान ने असम नेतृत्व को कहा कि गठबंधन योजना जल्दी फाइनल की जाए, ताकि बिहार चुनावों की तरह सीटों के लिए देरी और भ्रम से बचा जा सके।

