
वक्फ बिल का विरोध कर क्या कांग्रेस केरल में खतरा ले रही मोल, इनसाइड स्टोरी
वक्फ बिल का विरोध करके कांग्रेस- सीपीआई एम दोनों केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल और उसके अनुयायियों को अलग-थलग करने का जोखिम उठा रहे हैं, जिनका मध्य केरल में प्रभाव है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक के संसद में पारित होने से कांग्रेस पार्टी को केरल में झटका लग सकता है, भले ही उसने इस विधेयक का दृढ़ता से विरोध किया हो।इस संभावित नुकसान के कई कारण हैं। यह विधेयक लोकसभा में 288 पक्ष और 232 विपक्ष तथा राज्यसभा में 128 पक्ष और 95 विपक्ष मतों से पारित हुआ, और देशभर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
केरल में कांग्रेस की स्थिति कमजोर
केरल में, जहां धार्मिक सौहार्द और भूमि अधिकार चुनावी राजनीति से गहराई से जुड़े हैं, कांग्रेस विधेयक का विरोध करने और सही तरीके से विरोध न कर पाने—दोनों ही कारणों से बैकफुट पर है।
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति और राहुल गांधी की बहस में भाग न लेना केरल में विशेष रूप से नोट किया गया है। इसके विपरीत, राज्यसभा में सीपीआई(एम) के नेता जॉन ब्रिटास और लोकसभा में के. राधाकृष्णन की विधेयक के खिलाफ मजबूत दलीलों ने आग में घी डालने का काम किया है।
ईसाई समुदाय नाराज़
कांग्रेस के इस विधेयक के विरोध ने केरल के ईसाई समुदाय, खासकर प्रभावशाली केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) को नाराज़ कर दिया है, वहीं मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह संतुष्ट भी नहीं कर पाया।फ्रैटरनिटी मूवमेंट (जो जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा छात्र संगठन है) और सुप्रभातम (केरल के एक प्रमुख सुन्नी समूह का मुखपत्र) की आलोचना से यह स्थिति उजागर हुई।
मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी
सुप्रभातम के एक संपादकीय में लिखा गया:"यह शर्मनाक है कि वायनाड सांसद प्रियंका गांधी, जिनसे पूरे देश को लोकसभा में बड़ी उम्मीदें थीं, व्हिप का उल्लंघन कर संसद से अनुपस्थित रहीं। जब बीजेपी मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों को रौंद रही थी, प्रियंका कहां थीं—यह सवाल हमेशा अनुत्तरित रहेगा।"फ्रैटरनिटी मूवमेंट ने राहुल और प्रियंका गांधी के खिलाफ पोस्टर लगाए, जिनमें लिखा था:“उनकी चुप्पी न भूली जाएगी, न माफ की जाएगी।”
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस का आधिकारिक तर्क है कि प्रियंका गांधी एक गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदार से मिलने गई थीं, जबकि राहुल गांधी ने रणनीतिक कारणों से बहस से दूरी बनाई ताकि बीजेपी व्यक्तिगत हमलों से बहस को भटका न सके।लेकिन यह सफाई मुस्लिम संगठनों को संतुष्ट नहीं कर पाई है।
केरल में विवादास्पद भूमि विवाद
केरल में यह विधेयक मुन्नंबम भूमि विवाद के कारण विशेष रूप से विवादास्पद है, जहां केरल राज्य वक्फ बोर्ड 404 एकड़ जमीन का स्वामित्व दावा करता है, जबकि 600 से अधिक परिवार ज्यादातर ईसाई और हिंदूअपने वैध रजिस्टर्ड दस्तावेजों के आधार पर स्वामित्व का दावा करते हैं।
कांग्रेस हमेशा से मुस्लिम और ईसाई समुदायों के गठबंधन, साथ ही कुछ हिंदू वर्गों के समर्थन के जरिए वामपंथी मोर्चे (LDF) को चुनौती देती रही है। लेकिन इस बार कांग्रेस की रणनीति उलटी पड़ती दिख रही है।मुस्लिम समर्थन पाने के प्रयास में ईसाई समुदाय को खो बैठी है।
गांधी परिवार पर नाराज़गी
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इस विधेयक को “संविधान पर हमला” और “मुसलमानों को हाशिए पर डालने का हथियार” बताया, लेकिन संसद में बहस के दौरान उनकी गैरमौजूदगी की आलोचना पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह से हुई।प्रियंका गांधी, जो हाल ही में वायनाड से सांसद चुनी गई हैं, से उम्मीद थी कि वह इस विधेयक के खिलाफ कांग्रेस की आवाज बनेंगी। लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने समर्थकों को निराश किया।
वायनाड के एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी अब्दुल हमीद ने कहा:“चाहे कोई निजी कारण रहा हो, लेकिन वक्फ बिल एक पूरे समुदाय के लिए विनाशकारी हो सकता है। प्रियंका को अपनी प्राथमिकताएं बदलनी चाहिए थीं।”
सीपीआई(एम) का फायदा
हालांकि कांग्रेस नेताओं केसी वेणुगोपाल और हिबी ईडन ने संसद में अच्छा विरोध किया, लेकिन वायनाड सहित उत्तरी केरल के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में यह पर्याप्त नहीं माना गया।सीपीआई(एम) के नेता राधाकृष्णन और जॉन ब्रिटास ने इस मौके को भुनाया और प्रभावित समुदायों की तरफ से संसद में जोरदार ढंग से अपनी बात रखी।ब्रिटास का केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी से वाकयुद्ध वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने बीजेपी पर “घड़ियाली आंसू बहाने” और “केरल की सेकुलर पहचान को दूषित करने” का आरोप लगाया।
कैथोलिक बेल्ट में संकट
कांग्रेस की इस विधेयक का विरोध करने से केसीबीसी (Catholic Bishops’ Council) नाराज़ हो गई है, जो कि मुन्नंबम के 600 से अधिक ईसाई परिवारों की ज़मीन की रक्षा के लिए इस विधेयक का समर्थन कर रही थी।इससे केरल के केंद्रीय और दक्षिणी क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है, जहां केसीबीसी का प्रभाव अत्यधिक है।
राजनीतिक असर
जैसे-जैसे केरल स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, वक्फ बिल का मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है। अगर कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव नहीं किया। जैसे केरल नेताओं को ज्यादा मुखर करना या केसीबीसी से सीधा संवाद बढ़ाना है तो वह अपना परंपरागत आधार खो सकती है।
फिलहाल, यह विरोध जो कांग्रेस की ताकत बनना था, वह क्रिश्चियन बेल्ट में उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनता दिख रहा है और इससे फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है, न कि सीपीआई(एम) को।