
Talking Sense With Srini: रुपया प्रतीक विवाद और क्षेत्रीय पहचान की राजनीति
श्रीनिवासन ने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा कानूनी से अधिक राजनीतिक है. क्योंकि यह तमिलनाडु की गहरी जड़ें जमाए हुए द्रविड़ पहचान से जुड़ा है, जिसने 1940 के दशक से राज्य की राजनीति को आकार दिया है.
“Talking Sense With Srini” के एक एपिसोड में The Federal के एडिटर इन चीफ श्रीनिवासन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस विवादास्पद फैसले पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने राज्य के बजट दस्तावेज़ में रुपया प्रतीक (₹) को "रू" से बदल दिया. इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा दिया है. भाजपा और AIADM के नेताओं ने इसे एक प्रचार स्टंट करार दिया है. भाजपा का कहना है कि यह निर्णय राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बन सकता है.
क्षेत्रीय पहचान
श्रीनिवासन ने इस बदलाव के पीछे की राजनीतिक प्रेरणाओं पर रोशनी डाली. उनका कहना था कि यह निर्णय तमिल पहचान को मजबूती देने का एक जानबूझकर प्रयास था. स्टालिन इसे तमिलनाडु के लोगों के लिए तमिल की अहमियत को उजागर करने के रूप में देख रहे हैं. यह कदम क्षेत्रीय गौरव को बढ़ावा देने की दिशा में था.
हालांकि, भाजपा ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है. तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे खतरनाक मानसिकता करार दिया. जो अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दे सकता है. अन्नामलाई ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने 2010 में एक IIT प्रोफेसर द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रतीक को बदलने की कोशिश की है, जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया था.
द्रविड़ पहचान
श्रीनिवासन ने कहा कि कानूनी नजरिए से इस बदलाव में कोई समस्या नहीं है. तमिल संविधान की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. इस लिहाज से यह कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि यह मुद्दा कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है. क्योंकि यह तमिलनाडु की गहरी द्रविड़ पहचान से जुड़ा हुआ है, जिसने राज्य की राजनीति को दशकों से प्रभावित किया है. रुपया प्रतीक विवाद एक बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक संदर्भ का हिस्सा है. श्रीनिवासन ने यह भी कहा कि जबकि भाजपा राष्ट्रवाद का एक प्रमुख राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करती है. वहीं, क्षेत्रीय दल जैसे कि DMK द्रविड़ उप-राष्ट्रवाद को बढ़ावा देते हैं. यह एक संघर्ष है—राष्ट्रवाद बनाम द्रविड़ उप-राष्ट्रवाद, साथ ही उन्होंने तमिलनाडु में इन दो विचारधाराओं के बीच चल रही तकरार को रेखांकित किया.
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
जैसे-जैसे तमिलनाडु 2026 के विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, राज्य में राजनीतिक संघर्ष और भी तेज़ हो रहा है. डीएमके, जो अपने गठबंधन में आंतरिक मतभेदों के बावजूद एक मजबूत राजनीतिक शक्ति बनी हुई है, चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतरेगी. वहीं, भाजपा, जो हाल ही में अन्य राज्यों में मिली सफलता से उत्साहित है, अब तमिलनाडु में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तत्पर है. श्रीनिवासन ने कहा कि राजनीतिक परिदृश्य अब बहुध्रुवीय होता जा रहा है और इन दोनों ताकतों के बीच टकराव होना निश्चित है. रुपया प्रतीक पर यह विवाद केवल तमिलनाडु की बदलती राजनीति का एक पहलू है. यहां क्षेत्रीय पहचान और राष्ट्रीय विचारधाराओं के बीच संघर्ष गहरा हो रहा है और यह विवाद आगामी चुनावों से पहले और भी अधिक गंभीर हो सकता है.