प्रेम की खातिर पाकिस्तान से भागकर भारत आए जोड़े का सच मेडिकल जांच में पकड़ा गया, दोनों बालिग निकले
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पाकिस्तान से भागकर भारत पहुंचे टोटो और मीना ने खुद को नाबालिग बताया था, लेकिन मेडिकल जांच में दोनों वयस्क पाए गए

प्रेम की खातिर पाकिस्तान से भागकर भारत आए जोड़े का सच मेडिकल जांच में पकड़ा गया, दोनों बालिग निकले

पाकिस्तान से भागकर आया ये प्रेमी जोड़ा बगैर किसी दस्तावेज के भारत आया था। उनका कहना था कि उनके घरवाले उनके प्रेम के खिलाफ थे, इसलिए वो उनसे बचकर भारत भाग आए।


साल 2000 में रिलीज हुई अभिषेक बच्चन और करीना कपूर की पहली फ़िल्म 'रिफ्यूजी' का एक गाना बहुत पॉपुलर हुआ था-

'ये पंछी, पवन, हवा के झोंके

कोई सरहद ना इन्हें रोके।'

उससे पहले मशहूर ग़ज़ल गायक अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन की गाई एक ग़ज़ल भी बहुत लोकप्रिय हुई थी-

'मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा

दश्त मेरा, न ये चमन मेरा।'

तो पक्षियों का झुंड हो, हवा हो...उन्हें भला कौन सी सरहद रोक सकती है। इसी तरह प्रेम भी कहां कोई सरहद मानता है। लेकिन पाकिस्तान के एक प्रेमी जोड़े ने अपनी मोहब्बत को बचाने के लिए जो किया, वह तो दुस्साहस की मिसाल कही जा सकती है। वह प्रेमी जोड़ा भी हवा की तरह अपने मुल्क से उड़ा और सरहद पार करके पहुंच गया भारत, वह भी गुजरात के कच्छ के रास्ते।

बगैर दस्तावेज सीमा पार

लड़के का नाम है तारा रणमल चुडी उर्फ टोटो और लड़की का नाम है पूजा कारसन चुडी उर्फ मीना। हैरानी की बात यह है कि टोटो और मीना, ये दोनों पाकिस्तानी नागरिक बगैर किसी दस्तावेज के साथ कच्छ पहुंच गए थे। पाकिस्तान के थारपारकर ज़िले के लास लेरी गांव से होने का दावा करने वाला वह पाकिस्तानी प्रेमी जोड़ा अक्टूबर में सीमापार कच्छ पहुंचा था।

दोनों ने तब दावा किया था कि परिवारों के विरोध के चलते वे भारत भाग आए। लड़के ने खुद को 16 साल का बताया और लड़की ने अपनी उम्र बताई 15 साल। यानी दोनों ने खुद को नाबालिग बताया था।

लेकिन अब मेडिकल जांच में दोनों नाबालिग नहीं, बल्कि वयस्क पाए गए हैं। मेडिकल जांच में सामने आया कि टोटो तो 20 वर्ष से ज्यादा बड़ा है और मीना की उम्र भी 18 से 20 वर्ष के बीच है। इस खुलासे के बाद टोटो और मीना दोनों पर विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कैसे पता चली असली उम्र?

दरअसल टोटो और मीना की उम्र का वैज्ञानिक सबूत मिला हड्डियों और दांतों के परीक्षण से। कानून में मेडिकल एज एस्टीमेशन (Medical Age Estimation) की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से निर्धारित है। इसमें किसी व्यक्ति की हड्डियों और दांतों का परीक्षण किया जाता है, जिससे उम्र का अनुमान लगाया जाता है।

हड्डियों और दांतों का विकास जैविक पैटर्न का पालन करता है और पर्यावरणीय बदलावों से कम प्रभावित होता है। इसी कारण न्यायिक प्रक्रिया में उम्र निर्धारण के लिए ये सबसे विश्वसनीय माने जाते हैं।

आमतौर पर नाबालिगों से जुड़े आपराधिक मामलों में और आग, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या अपराध में मृत व्यक्तियों की पहचान के लिए या न्यायालय या जांच एजेंसियों के आग्रह पर उम्र की जांच कराई जाती है। ऐसे मामलों में एक मेडिकल एज एस्टीमेशन बोर्ड गठित किया जाता है, जिसका नेतृत्व सिविल सर्जन या CDMO करते हैं। पाकिस्तानी जोड़े का परीक्षण भुज स्थित GK जनरल अस्पताल ने किया।

सटीक उम्र जानने की लंबी प्रक्रिया

तो यह साबित हो गया कि पाकिस्तान का ये प्रेमी जोड़ा नाबालिग नहीं, बल्कि वयस्क है। वैसे जब लक्ष्य केवल यह न हो कि व्यक्ति बालिग है या नाबालिग, बल्कि उम्र का सटीक अनुमान चाहिए, तब विस्तृत प्रक्रिया अपनाई जाती है। जैसे कि अहमदाबाद एयर इंडिया 171 क्रैश पीड़ितों की पहचान में किया गया था।

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