उद्योगपति हुआ डिजिटल अरेस्ट का शिकार गंवाए सात करोड़, जानें- क्या है ये
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उद्योगपति हुआ डिजिटल अरेस्ट का शिकार गंवाए सात करोड़, जानें- क्या है ये

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में इजाफा हुआ है। वर्धमान ग्रुप के मालिक को ठगों ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बन घंटों तक डिजिटली बंधक बनाए रहे और सात करोड़ रुपए ट्रांसफर करा लिए।


What is Digital Arrest: अपराध और ठगी का नाता हर सदी से रहा है। बदलते समय और तकनीक के साथ अपराध के तरीकों में बदलाव आता गया। इस समय डिजिटल अरेस्ट की खूब चर्चा है। खास बात यह है कि इसके जरिए पढ़े लिखे संपन्न लोग निशाना बनाए जा रहे हैं। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, बड़े व्यापारी इस अपराध का शिकार हो चुके हैं। अपराधी इस तरह से डराते हैं कि पीड़ित बड़ी रकम लुटा दे रहा है.. जब उसे गड़बड़ी का अहसास होता है तब तक देर हो चुकी होती है। ताजा मामला वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन से जुड़ी हुई है जो ऑनलाइन ठगी का शिकार बन गए और सात करोड़ की रकम लुटा दी। असम और बंगाल से नाता रखने वाले साइबर ठगों ने पद्म भूषण से सम्मानित उद्योगपति एस पी ओसवाल के साथ धोखाधड़ी की। खास बात यह कि ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी की।

वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन के साथ फ्रॉड
लुधियाना पुलिस ने इस संबंध में गुवाहाटी से दो संदिग्धों की गिरफ्तारी की है। इसके साथ ही पांच करोड़ 20 लाख की रकम की बरामदगी भी की है। पुलिस ने बताया कि ठगों ने एस पी ओसवाल से कहा कि आपके आधार कार्ड का पासपोर्ट और वित्तीय धोखाधड़ी में इस्तेमाल किया गया है। टीम उसकी जांच कर रही है। जांच करने वाले अधिकारियों का कहना है कि साइबर ठगी के मामले में इतनी बड़ी रकम की बरामदगी पहली बार की गई है। लुधियाना के पुलिस कमिश्नर ने कहा कि इस संबंध में ओसवाल ग्रुप की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई थी।
9 का गैंग, दो गिरफ्तार
पुलिस के मताबिक कुल 9 लोगों का यह गैंग है जिनमें से अंटू चौधरी और आनंद चौधरी की गिरफ्तारी हुई है। इस गैंग ने ओसवाल को यह समझाने में कामयाब हुए कि आधार कार्ड के कथित दुरुपयोग मामले में सीबीआई केस दर्ज करने वाली है। इस आधार कार्ड के जरिए मलेशिया एक पार्सल भेजा गया था जिनमें 58 जाली पासपोर्ट और 16 डेबिट कार्ड थे। अब ठगी की कहानी मुंबई से शुरू होती है। एक शख्स सीबीआई अधिकारी बनकर उद्योगपति एस पी ओसवाल को धमकाता, डराता है।

आरोपी खुद को सीबीआई का अफसर साबित करने के लिए यूनिफॉर्म में वीडियो काल करता है। यही नहीं वो जाली अरेस्ट वारंट उद्योगपति के व्हाट्सऐप पर भेजता है जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट से प्रमाणित होने की बात बताता है। ठग कहता है कि बेल की कार्रवाई पूरी करने के लिए सात करोड़ की रकम दो बैंक खातों में भेजे। जब उद्योगपति एस पी ओसवाल को कुछ अजीब सा लगता है तो वे अपने साथ ठगी के बारे में कंपनी के बड़े अधिकारियों से जिक्र करते हैं, तत्काल पुलिस में शिकायत दर्द होने के बाद जांच शुरू की जाती है।
जांच कर रहे अधिकाी जतिंदर सिंह बताते हैं कि ओसवाल से एक खाते में चार करोड़ और दूसरे खाते में 3 करोड़ जमा करने के लिए कहा गया। हालांकि जिस समय खातों को फ्रीज किया गया उसमें से एक करोड़ 70 लाख की निकासी हो चुकी थी। शेष पांच करोड़ 20 लाख पीड़ित को वापस किया गया है।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल अपराधियों पर नकेल कसने के लिए किया जाता है। संचार माध्यमों पर अलग अलग तरह से निगरानी की जाती है। लेकिन अब इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। साइबर ठग इसके जरिए लोगों से खासतौर से समृद्ध लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं। सुरक्षा के लिहाज से पीड़िता के नाम और जगह का जिक्र नहीं किया जा रहा है। पीड़िता के अनुसार उसने बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप देखा। साथ ही वायरलेस पर फ्लैश होनी वाली जानकारी सुनाई दे रही थी।

पूरे सत्र के दौरान, घोटालेबाजों ने उसे चुप रहने और लगातार ऑनलाइन रहने पर जोर दिया। उसे यह सुनिश्चित किया गया कि वह इस जानकारी को किसी के साथ साझा न करे या कॉल को डिस्कनेक्ट न करे। राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देते हुए उसने डराने की कोशिश की। पुलिस ने डिकोड को बताया कि इस कथित वरिष्ठ अधिकारी ने उससे लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की। उन्होंने उसे बताया कि उन्हें मुख्य आरोपी, एयरलाइन के संस्थापक के घर से 246 डेबिट कार्ड मिले हैं। उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इनमें से एक कार्ड पर नोएडा की महिला का नाम था और उसका इस्तेमाल उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके बैंक खाता खोलने के लिए किया गया था।

साइबर स्कैम में आई तेजी

इस साल साइबर घोटाले बढ़े हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार मई 2024 तक 7000 साइबर अपराध रिपोर्ट दर्ज की गई थीं। यह 2021 और 2023 के बीच की अवधि की तुलना में 114% और 2022 की तुलना में 61% अधिक था। साइबर घोटाले में उछाल आने का एक कारण है। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि कोई भी अपराध एक छोटी इकाई के रूप में शुरू होता है, बिल्कुल एक छोटी कंपनी की तरह। जैसे-जैसे अधिक लोग ठगे जाते हैं और घोटालेबाज अधिक से अधिक पैसा कमाते हैं, इकाइयां बढ़ती जाती हैं।

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