वडवासा की सरपंच बनीं 25 साल की दलित वकील: गुजरात में SFI का पहला तिहैती प्रतिनिधित्व
x

वडवासा की सरपंच बनीं 25 साल की दलित वकील: गुजरात में SFI का पहला तिहैती प्रतिनिधित्व

गुजरात में SFI की ओर से सरपंच बनने वाली यह पहली दलित महिला बनने का गौरव सातेयशा लेउवा के पीछे उनके अभूतपूर्व संघर्ष, युवा समर्थन और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का परिणाम है। अब वे साबित करना चाहतीं हैं कि ग्रामीण विकास में सामंजस्य, समानता और मेहनत से अलग रास्ते पर भी सफलता हासिल की जा सकती है।


गुजरात के साबरकांठा जिले के वडवासा गांव में 25 वर्ष की दलित वकील सातेयशा लेउवा ने सरपंच के पद पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। खास बात यह है कि वह SFI (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) की सदस्य हैं, जो CPI(M) से जुड़ी छात्र संगठन है और गुजरात में इनका लगभग कोई राजनीतिक आधार नहीं है।

फैमिली बैकग्राउंड

सातेयशा के पिता वकील हैं, माता ने लॉ की पढ़ाई की लेकिन कभी पैरवी नहीं की। उनके भाई इंडिया पोस्ट में काम करते हैं, जबकि बहन नर्स हैं। पारिवारिकता में कांग्रेस समर्थक रहीं, मगर सातेयशा ने SFI और CPI(M) में राजनीतिक पहचान बनायी।

एक्टिविज़्म की शुरुआत

सातेयशा ने साबरकांठा के एक शिक्षित विद्यालय से पढ़ाई की, इसके बाद गुजरात यूनिवर्सिटी से BSc, LLB और LLM की। उनसे राज्य में SFI का पुनरुद्धार इमरिटस केरल इंजीनियर नितीश मोहन द्वारा प्रेरित किया गया। उनके बड़े भाई आगमन ने 2019 में SFI में प्रवेश लिया और सातेयशा भी जुड़ गईं। उन्होंने कहा कि “दरवाजा मार्केट, अहमदाबाद में भगत सिंह की पुण्यतिथि पर फंड इकट्ठा करते वक्त मुझे एहसास हुआ कि यह मेरी जगह है।”

सामाजिक संघर्ष

COVID-19 लॉकडाउन और हाथरस कांड के दौरान सातेयशा ने 11-12 गांव में सामुदायिक सभाएं आयोजित कीं। हिम्मतनगर में हुई रैली में 35 गांवों के लोग शामिल हुए, जिससे उन्हें राजनीतिक नेतृत्व के गुण पहचाने गए। शुरूआत में परिवार ने SFI की सदस्यता और उनकी गतिविधियों पर आपत्ति जताई, खासकर जब उन्हें बाहर जमीन पर 3-4 दिन बिताने पड़ते थे। लेकिन लोकहित के मुद्दों पर उनके संघर्ष — जैसे छात्र फीस समस्या, टीसी रोक, और स्कॉलरशिप मुद्दे ने पारिवारिक समर्थन हासिल किया।

वडवासा से निकली राजनीति की नई कहानी

2025 पंचायत चुनाव में जब नामांकन की घोषणा हुई तो गांव के युवाओं ने उनका समर्थन किया। उन्होंने door-to-door प्रचार किया और व्हाट्सएप पर छोटे वीडियो जारी कर ग्रामीण मुद्दों—खराब सड़कों, स्वास्थ्य, पूल, लाइब्रेरी जैसी बुनियादी समस्याओं पर बात की। नाम वापस लेने के दबाव के बावजूद, उन्होंने चुनाव लड़ा और 596 वोट प्राप्त कर BJP समर्थित Savita Ben के against104 वोट से जीत गईं। यह सीट SC महिला आरक्षित थी, लेकिन OBC युवा भी उनका समर्थन लेकर सक्रिय रहे।

योजनाएं और प्राथमिकताएं

प्राथमिक स्कूल में केवल चार क्लासरूम हैं; प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), ड्रेनेज, स्ट्रीटलाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं गायब हैं। सातेयशा का लक्ष्य है हर वार्ड में लाइब्रेरी और खेल का मैदान स्थापित करना। केरल जैसे मॉडल को अपनाना चाहती हैं। उनका मानना है कि Left ideology (वाम राजनीति)— समानता और सम्मान—उनके कार्यों में झलकती है और वह चाहते हैं कि SFI-CPI(M) का प्रभाव गांवों में बढ़े।

Read More
Next Story