तेलंगाना टनल हादसा: आखिर टूट गई सांसों की डोर, सभी 8 मजदूरों की हुई मौत!
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तेलंगाना टनल हादसा: आखिर टूट गई सांसों की डोर, सभी 8 मजदूरों की हुई मौत!

Telangana slbc tunnel collapse: जानकारी के अनुसार, शवों का पता नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) द्वारा तैनात ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार (GPR) के माध्यम से चला.


Telangana tunnel collapse: तेंलगाना के श्रीसैलम लेफ्ट बैंक नहर (SLBC) टनल परियोजना में काम कर रहे आठ श्रमिकों की मौत की पुष्टि हो गई है. यह हादसा छह दिन पहले उस समय हुआ था, जब सुरंग का एक हिस्सा गिर गया था. आच्छमपेट के विधायक वंशी कृष्णा ने बताया कि सुरंग के अंदर कीचड़ में आठ शव मिले हैं. आधिकारिक घोषणा जल्द की जा सकती है.

शुरुआत में मिले पांच शव

इससे पहले, अधिकारियों ने बताया था कि पांच शव मलबे से निकाले गए थे. नागरकुरनूल के अतिरिक्त कलेक्टर बी. देवसहायम ने द फेडरल को बताया कि हमने पांच शवों को मलबे से निकाला है और शवों को पूरी तरह से बाहर निकालने की कोशिशें जारी हैं.

ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार से शवों का पता चला

हादसा स्थल से मिली जानकारी के अनुसार, शवों का पता नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) द्वारा तैनात ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार (GPR) के माध्यम से चला. एक सूत्र ने बताया कि राडार ने सुरंग के क्षेत्र का स्कैन किया. लेकिन शवों की पहचान केवल तब हो पाएगी, जब उन्हें मलबे से बाहर निकाला जाएगा.

हादसा कहां हुआ?

यह हादसा श्रीसैलम लेफ्ट बैंक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के भूमिगत पावर स्टेशन में हुआ. यह प्रोजेक्ट कृष्णा नदी पर स्थित श्रीसैलम डेम के बड़े परिसर का हिस्सा है. मलबे में दबे हुए श्रमिकों में दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार श्रमिक शामिल हैं. ये सभी श्रमिक और इंजीनियर जयप्रकाश एसोसिएट्स द्वारा नियुक्त किए गए थे. जो SLBC सुरंग परियोजना के ठेकेदार है.

बचाव कार्य की जटिलता

हादसे के छह दिन बाद भी बचाव कार्य जारी है. इसमें सेना, नौसेना, रैट माइनर्स और NDRF की टीमें लगी हुई हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरंग विशेषज्ञ भी बचाव कार्य में शामिल हैं. इस दौरान कुछ श्रमिकों में डर का माहौल बना हुआ है और रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ श्रमिक काम छोड़कर घटनास्थल से भागने लगे हैं.

श्रीसैलम परियोजना में काम करने वाले लोग

श्रीसैलम लेफ्ट बैंक नहर परियोजना पर कुल 800 श्रमिक काम कर रहे हैं, जिनमें से 300 स्थानीय श्रमिक हैं और बाकी श्रमिक झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आए हैं. सूत्रों के मुताबिक, कुछ श्रमिकों ने भय के कारण सुरंग परियोजना से अपना काम छोड़ना शुरू कर दिया है.

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