RJD की टूटती ताकत ने तेजस्वी के सामने खड़ी की बड़ी चुनौती, अब कैसे संभलेगा विपक्ष?
x

RJD की टूटती ताकत ने तेजस्वी के सामने खड़ी की बड़ी चुनौती, अब कैसे संभलेगा विपक्ष?

RJD की हार कई कारणों से हुई—नेतृत्व संकट, परिवारिक कलह, गठबंधन में गड़बड़ी, देर से प्रचार, MY वोटों में सेंध और NDA की महिलाओं पर केंद्रित रणनीति। इस चुनाव ने साफ कर दिया कि तेजस्वी यादव को भविष्य की राजनीति के लिए अपनी शैली और रणनीति दोनों पर पुनर्विचार करना होगा।


Click the Play button to hear this message in audio format

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। हालांकि, तेजस्वी यादव खुद राघोपुर सीट से कड़ी टक्कर के बाद जीत गए। लेकिन पार्टी की भारी हार ने उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

2020 की तुलना में बड़ी गिरावट

2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव “परिवर्तन का चेहरा” बनकर उभरे थे। उनके 10 लाख सरकारी नौकरी देने के वादे ने युवाओं का दिल जीत लिया था और RJD 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। इस बार उन्होंने ‘हर परिवार को एक सरकारी नौकरी’ का नारा दिया, लेकिन युवाओं ने इसे विश्वसनीय नहीं माना। नौकरी और पेपर-लीक जैसे मुद्दों पर जब युवा सड़कों पर थे, तब तेजस्वी कई बार मैदान से गायब नज़र आए।

परिवार में कलह, चुनाव से पहले बड़ा झटका

चुनाव अभियान शुरू होने से पहले ही परिवारिक विवाद सामने आ गया। लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से अलग कर दिया। तेज प्रताप ने नई पार्टी बना ली, जिससे RJD को शुरुआती चरणों में बड़ा नुकसान हुआ।

महिलाओं का वोट NDA की तरफ, RJD पिछड़ गया

इस चुनाव में नीतीश कुमार और NDA ने महिलाओं को केंद्र में रखकर रणनीति बनाई। उनकी रैलियों में 60% तक महिलाएं मौजूद थीं। NDA ने पहले ही महिलाओं को 10,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा कर दी थी, जिसका असर साफ दिखा। तेजस्वी ने इसका जवाब 30,000 रुपये देने के वादे से देने की कोशिश की, लेकिन यह घोषणा बहुत देर से आई और असरदार नहीं रही। उनकी रैलियों में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम रही।

गठबंधन में गड़बड़ी और भ्रम

INDIA गठबंधन में सीटों का बंटवारा आखिरी दिन तक स्पष्ट नहीं हो पाया। हालत यह थी कि 10 सीटों पर गठबंधन के ही दल एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे। RJD ने VIP (मुकेश सहनी) और IIP को साथ लिया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। VIP तो एक भी सीट नहीं जीत सकी। कांग्रेस भी 61 में से सिर्फ 6 सीटें जीत पाई।

MY वोट बैंक भी खिसका

RJD का सबसे मजबूत आधार माना जाने वाला मुस्लिम–यादव (MY) समीकरण भी इस बार टूटता दिखा। सीमांचल क्षेत्र में AIMIM ने बढ़िया प्रदर्शन किया और MY वोटों में सेंध लगा दी, जिससे कई अहम सीटें RJD के हाथ से निकल गईं।

तेजस्वी का देर से प्रचार में आना नुकसानदायक

चुनाव की घोषणा 6 अक्टूबर को हुई, लेकिन तेजस्वी ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस 7 अक्टूबर को की और फिर 22 अक्टूबर तक प्रचार से गायब रहे। इस वजह से उनकी छवि “गायब रहने वाले नेता” की बन गई। हालांकि, 23 अक्टूबर को INDIA गठबंधन ने उन्हें CM उम्मीदवार घोषित किया, जिसके बाद उन्होंने एक दिन में 15 रैलियां भी कीं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि तब तक बहुमूल्य समय हाथ से निकल चुका था।

‘जंगल राज’ के आरोपों का प्रभावी जवाब नहीं दे पाए

NDA ने 21 साल पुराने ‘जंगल राज’ नैरेटिव को फिर से जोरदार तरीके से पेश किया। तेजस्वी यादव इस प्रचार का प्रभावी जवाब नहीं दे सके। यह मुद्दा चुनाव में RJD के खिलाफ एक बड़ा हथियार साबित हुआ।

Read More
Next Story