सिर्फ सरकारों की सूरत बदली हांफ रही है दिल्ली, फिर ब्लेम गेम शुरू
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सिर्फ सरकारों की सूरत बदली हांफ रही है दिल्ली, फिर ब्लेम गेम शुरू

दिल्ली ने अब हांफना शुरू कर दिया है। वायु की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है। राजनीतिक दलों का हाल यह है कि वो एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हो चुके हैं।


Air Quality Index: अक्टूबर का महीना आते ही दिल्ली और एनसीआर के इलाके हांपने लगते हैं। लोगों का दम फूलता है, सरकारें योजनाओं के जरिए प्रदूषण पर लगाम लगाने की बात करती है। नतीजा कुछ नहीं फिर एक और आगे का साल। अक्टूबर महीने के 15 दिन बीत चुके हैं. दिल्ली और एनसीआर की वायु गुणवत्ता बेहद खराब। अभी तो हवा की रफ्तार में तेजी है लिहाजा थोड़ी सी राहत। लेकिन आने वाले समय में जब हवा की रफ्तार में कमी आएगी को आप सिर्फ सोच सकते हैं सांसों पर स्मॉग का पहरा किस कदर और सख्त होता चला जाएगा। वायु की गुणवत्ता के मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत फटकार पर फटकार लगाती है और सरकारें एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण करना शुरू कर देती हैं।

एक दूसरे पर निशाना
सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में सुनवाई हुई। पराली के मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने कहा कि हमारी तरफ से कोशिश हो रही है। अगर हम पराली जाने वाले किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे तो कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है। यानी कि कानून व्यवस्था का हवाला देकर हरियाणा सरकार एक तरह से अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रही है। वहीं इस विषय पर दिल्ली की सरकार तरह तरह के वादे और दावे दोनों कर रही है। इस विषय पर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने दो बड़ी बात कहीं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा क्या कहते हैं।
उनके मुताबिक आज की दिल्ली 1998 से भी बदतर है। 15 साल तक दिल्ली में सुधार हुआ जब उद्योग हटा दिए गए, स्वच्छ ईंधन लाया गया और सीएनजी शुरू की गई। पेड़ों की संख्या 300% बढ़ गई। लेकिन उन 15 सालों के बाद के 10 सालों में सारी प्रगति खत्म हो गई। केंद्र सरकार राज्य सरकार को दोषी ठहराती है। राज्य सरकार पंजाब और हरियाणा सरकारों को दोषी ठहराती है। फिर उन्होंने पंजाब में सरकार बनाई और भ्रमित हो गए कि किसे दोष दें। फिर उन्होंने इसके लिए हरियाणा को दोषी ठहराया। यह ऐसे नहीं चलेगा..."
संदीप दीक्षित, एक्स सीएम शीला दीक्षित के बेटे कहते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में खराब होती वायु गुणवत्ता पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित कहते हैं, अब जब मानसून खत्म हो गया है, तो वास्तविक स्थिति (वायु गुणवत्ता की) सामने आ रही है... अभी तक कोई पराली नहीं जल रही है, इसलिए उनके पास यह बहाना नहीं है... इसका कारण एक सरकार की अक्षमता और भ्रष्टाचार है सड़कें क्षतिग्रस्त हैं उड़ती धूल और गड्ढों के कारण वाहन धीमी गति से चलते हैं इससे वाहनों से प्रदूषण होता है। दिल्ली में पार्षदों, विधायकों और पुलिस के संरक्षण में खूब अवैध निर्माण हो रहा है। ज्यादातर पार्षद, विधायक और एमसीडी कर्मचारी आप के हैं। दिल्ली में हरियाली कम हो गई है। यह सरकार हर स्तर पर विफल रही है उन्होंने मुफ्त चीजें देकर वोट तो बटोरे लेकिन दिल्ली को बर्बाद कर दिया। एक आम दिल्लीवासी भ्रष्टाचार के कारण अपने जीवन के 6-7 साल खो रहा है जब हम सत्ता में थे, हमने पटाखा विरोधी अभियान चलाया लेकिन हमने पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया, फिर उस समय वायु गुणवत्ता बेहतर कैसे थी? सार्वजनिक बसें ठीक से काम नहीं कर रही हैं। लोग निजी वाहनों का उपयोग करने को मजबूर हैं। दिल्ली मेट्रो के चरणों के निर्माण में भी देरी हो रही है।
इस विषय पर आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि विरासत में हमें ऐसी व्यवस्था मिली कि उसे दुरुस्त करने में मुश्किल आ रही है। हम काम तो करना चाहते हैं कि लेकिन हर पग पर हम लोगों को अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार ने पौधारोपण की दिशा में काम किया है। ऑड ईवन जैसे प्रयोग को अमलीजामा पहुंचाया। लेकिन पड़ोस के राज्यों की जिम्मेदारी भी बनती है। अगर हरियाणा और यूपी की तरफ से मदद नहीं मिलेगी तो हमारे लिए काम करना मुश्किल होगा। हालांकि आप के नेता पंजाब में अपनी पार्टी को दोष देने से बचते हुए नजर आते हैं।
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