पराली में आग से दिल्ली बेहाल, क्या सैटेलाइट को चकमा दे रहे हैं किसान
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पराली में आग से दिल्ली बेहाल, क्या सैटेलाइट को चकमा दे रहे हैं किसान

दिल्ली में प्रदूषण के लिए कई वजहों में से पराली भी एक है। दिल्ली सरकार जवाब में पराली को जिम्मेदार बताती है। ऐसे में यह खबर आ रही है कि सैटेलाइट को किसान चकमा दे रहे हैं।


Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है, एक्यूआई Severe Plus कैटिगरी में है यानी 450 के पार। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई तो जजों ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने पूछा कि जब आपको पता था कि वायु की गुणवत्ता और खराब होने वाली है तो ग्रेप 4 को अमल में लाने में देरी क्योंकि। अब ग्रेप 4 पर कोई भी फैसला अदालत को बिना जानकारी में दिए नहीं करेंगे। यही नहीं इसके तहत जो प्रावधान हैं उनमें भी किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। इन सबके बीच सियासत भी जोरों पर है। दिल्ली की सीएम आतिशी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली(Parali Fire news) जलाए जाने की वजह से दिक्कत सामने आ रही है। ऐसे में हम पराली की ही बात करेंगे। सवाल यह है कि हरियाणा, पंजाब पर पराली जलाए जाने पर निगहबानी सैटेलाइट के जरिए की जा रही है। हालांकि अब ऐसी भी खबरें आ रही हैं। किसान सैटेलाइट को भी चकमा दे रहे हैं।

इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। लेकिन जानकार थोड़े हैरान भी हैं। उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान के किसान आग की पहचान से बचने के लिए सैटेलाइट ओवरपास समय से बच रहे हैं। नासा के एक वैज्ञानिक ने हाल ही में बताया कि हालांकि धान के अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन एरोसोल के स्तर में कोई कमी नहीं आई है। नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने 25 अक्टूबर को एक्स पर लिखा, "क्या उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान के किसान पराली जलाने के लिए सैटेलाइट ओवरपास समय से बच रहे हैं? GEO-KOMPSAT 2A भूस्थिर उपग्रह चित्रों का बारीकी से निरीक्षण करने पर दोपहर के समय स्थानीय स्तर पर धुएं के गुबार/बादल दिखाई देते हैं और इसकी जमीनी स्तर पर जांच की आवश्यकता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 28 अक्टूबर को एक पोस्ट में, जेठवा ने लिखा: "2022 से उत्तर-पश्चिम भारत में आग का पता लगाने में (भ्रामक) भारी गिरावट आई है, लेकिन वायुमंडल में एरोसोल लोडिंग बढ़ गई है (या स्थिर के करीब है)। अगर सैटेलाइट ओवरपास समय के बाद खेत में आग लगती है तो संदेह पैदा होता है।" नासा का एक्वा सैटेलाइट और नासा-एनओएए संयुक्त साझेदारी का सुओमी-एनपीपी सैटेलाइट भारत और पाकिस्तान के ऊपर दोपहर 1.30 से 2 बजे IST के आसपास से गुजरा।

हालांकि, एक कोरियाई सैटेलाइट भूस्थिर कक्षा में है, जो हर 10 मिनट में उसी क्षेत्र को देख रहा है। जेठवा ने रविवार को TOI को बताया कि एक्स पर अपने पोस्ट में, उन्होंने सैटेलाइट डेटा के आधार पर सबूत दिखाए कि पंजाब में आग की गतिविधियाँ दोपहर के बाद के घंटों में बदल गईं। जेठवा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "इरादतन, नासा-एनओएए उपग्रह के ओवरपास समय को टालना, जो भारतीय समयानुसार दोपहर 1.30 से 2 बजे के बीच होता है, एक कारण हो सकता है.... कोरिया के भूस्थिर उपग्रह जीईओ-कोम्पसैट-2ए (जीके2ए) से प्राप्त लघुतरंग अवरक्त विकिरण डेटा और इमेजरी से पता चलता है कि आग की गतिविधियां नासा-एनओएए उपग्रह ओवरपास समय के बाद दोपहर के बाद केंद्रित थीं।

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