क्या आम आदमी पार्टी को सत्ता विरोध का डर, दूसरी लिस्ट कर रही इशारा
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क्या आम आदमी पार्टी को सत्ता विरोध का डर, दूसरी लिस्ट कर रही इशारा

उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के मामले में बीजेपी और कांग्रेस से आप आगे निकल चुकी है। दूसरी लिस्ट में कुल 20 चेहरों के नाम सामने आए हैं जिनमें कुछ बदलाव है।


AAP Candidates Second List: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सियासी चौसर को सजाया जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस जहां उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर रहे हैं, वहीं सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट का ऐलान कर दिया है। इस लिस्ट की खास बात यह है कि पटपड़गंज का प्रतिनिधित्व करने वाले डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की सीट बदल दी गई है। अब वो जंगपुरा से किस्मत आजमाएंगे। आखिर इतने बड़े बदलाव के पीछे वजह रणनीति है या सत्ता विरोधी लहर का खतरा उसे समझने से पहले उम्मीदवारों की सूची पर नजर डालते हैं।

आप उम्मीदवारों के नाम

  • जंगपुरा- मनीष सिसोदिया
  • नरेला- दिनेश भारद्वाज
  • आदर्श नगर- मुकेश गोयल
  • मुंडका- जसबीर कराला
  • मंगोलपुरी- राकेश जाटव धर्मरक्षक
  • रोहिणी- प्रदीप मित्तल
  • चांदनी चौक- पुनर्दीप सिंह साहनी
  • पटेल नगर- प्रवेश रतन
  • मादीपुर- राखी बिड़लान
  • जनकपुरी- प्रवीण कुमार
  • बिजवासन- सुरेंद्र भारद्वाज
  • देवली- प्रेम कुमार चौहान
  • त्रिलोकपुरी- अंजना पार्चा
  • पटपड़गंज- अवध ओझा
  • गांधी नगर- नवीन चौधरी (दीपू)
  • शाहदरा- पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी
  • मुस्तफाबाद- आदिल अहमद खान

रणनीति या डर

वैसे तो चुनाव जीतने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को अपनी रणनीति बनाने का अधिकार है। लेकिन कोई दल या शख्सियत जब खुद को अलग होने का दावा करता है और उसके फैसले आम राजनीतिक दलों की तरह होते हैं तो आश्चर्य होता है। अगर आम आदमी पार्टी की दूसरी लिस्ट पर गौर करें तो मनीष सिसोदिया अब जंगपुरा से किस्मत आजमाएंगे। वहीं राखी बिड़लान को मादीपुर से टिकट दिया गया है। मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज सीट से हाल ही में पार्टी में शामिल अवध ओझा (Avadh Ojha) अपनी किस्मत आजमाएंगे। सियासत के जानकार कहते हैं कि सीटों को बदलने के पीछे एंटी इंकम्बेंसी एक वजह होती है। लेकिन सियासी जल अपने फैसले को इस तरह से प्रोजेक्ट करते हैं कि उनका कद्दावर चेहरा किसी भी सीट से ना सिर्फ चुनाव लड़ सकता है बल्कि उसे जीत भी सकता है। हालांकि यहां देखने वाली बात होगी कि विपक्षी दल इस लिस्ट पर किस अंदाज में प्रतिक्रिया देते हैं।

इसमें दो मत नहीं कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी पिछले 10 साल से सत्ता पर काबिज है। आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से जनता को मुफ्त ंमें सुविधाएं दी जा रही हैं। लेकिन चुनाव सिर्फ रेवड़ी पर ही नहीं लड़े जाते। अगर आप दिल्ली की तस्वीर देखें तो अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ जाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में वोटों का विभाजन होना तय है। दिल्ली में आप का वोटबैंक आमतौर पर कांग्रेस का रहा है। अब यदि वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ होता है तो निश्चित तौर पर उसका नुकसान आप को होगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी की तरफ से कोशिश की जा रही है कि पार्टियों में तोड़फोड़ या मौजूदा उम्मीदवारों के टिकट को काटकर या सीटों में बदलाव कर सत्ता विरोधी लहर को कम किया जाए।


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