दिल्ली विधानसभा चुनाव : सिसोदिया के बाहर आने के बाद क्या है आप के अन्दर का हाल
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दिल्ली विधानसभा चुनाव : सिसोदिया के बाहर आने के बाद क्या है 'आप' के अन्दर का हाल

मनीष सिसोदिया ने एक साक्षात्कार में सुनीता केजरीवाल की जमकर तारीफ की लेकिन जब उनसे सुनीता के मुख्यमंत्री बनने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अरविन्द के बाहर आते ही वो पीछे हो जायेंगी


AAP Inside : दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. ऐसे में दिल्ली की तीन प्रमुख पार्टियाँ पूरी तरह से तैयारी में जुट चुकी हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस किस तरह से चुनाव लड़ेंगी. लोकसभा चुनाव में साथ लड़ने वाली कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ये गठबंधन लोकसभा चुनाव तक भी रहने तक की बात कही थी और चुनाव बाद दोनों ने ये स्पष्ट भी कर दिया था कि विधानसभा चुनाव अलग अलग लड़ेंगे. लेकिन आम आदमी पार्टी के सामने ये सवाल है कि अगर केजरीवाल को जमानत नहीं मिलती है तो फिर पार्टी चुनाव के लिए किसे अपना प्रमुख चेहरा बनाएगी?


सिसोदिया के जमानत पर बाहर आने से पार्टी के अन्दर बंट सकती है राय

मनीष सिसोदिया हाल ही में जमानत पर बाहर आये हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से रेगुलर बेल मिली है. सिसोदिया दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अगर जनता के बीच उनकी पसंद की बात करें तो आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के बाद अगर कोई नेता है तो सिसोदिया ही हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अरविन्द केजरीवाल बेशक मुख्यमंत्री बने लेकिन दिल्ली की बात करें तो उपमुख्यमंत्री बनने के बाद सिसोदिया ने जमीनी स्तर पर ज्यादा काम किया. इसके पीछे का कारण ये भी रहा कि लम्बे समय तक केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के बावजूद अपने पास कोई पोर्टफोलियो नहीं रखा, नतीजा ये रहा कि सिसोदिया के पास अधिकतर विभाग रहे और उन्होंने उस पर काम किया. यही वजह है कि पार्टी के ही कुछ अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में अगर केजरीवाल बाहर नहीं आते हैं तो पार्टी क अन्दर ही ये सवाल उठने शुरू हो जायेंगे कि सिसोदिया को आगे क्यों नहीं किया जा रहा.


केजरीवाल के जेल में होने से नहीं हो पा रहा सरकार का काम

दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल फिलहाल जेल में हैं. हालाँकि उन्हें ईडी के मामले में जमानत मिल चुकी है लेकिन सीबीआई मामले में जमानत मिलनी बाकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. जेल में रहते हुए केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया है लेकिन इस दौरान वो किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते और न ही किसी मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं. यही वजह भी है कि दिल्ली सरकार की बात करें तो फिलहाल कोई बड़ा काम नहीं हो पा रहा है.


सुनीता केजरीवाल के राजनीती में सक्रीय होना

सुनीता केजरीवाल नौकरी छोड़ कर राजनीती में कदम रख चुकी हैं. खासतौर से जब से केजरीवाल जेल में गए तब से वो राजनीती में सक्रीय भी हो गयीं. हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसे लेकर सुनीता केजरीवाल पूरी तरह से सक्रीय हैं. लेकिन अब जब सिसोदिया भी बाहर आ चुके हैं तो फिर सवाल यही खड़ा होता है कि पार्टी किसे प्रमुखता से आगे रखती है.


सुनीता केजरीवाल की तारीफ की लेकिन मुख्यमंत्री बनने की बात पर कह दी ये बात

मनीष सिसोदिया के जमानत पर बाहर आने के बाद न्यूज़ एजेंसी को दिए एक साक्षातकार में मनीष सिसोदिया ने सुनीता केजरीवाल की जमकर तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि जब अरविन्द जेल में गये तो टीवी देख कर ऐसा लग रहा था कि पार्टी ही ख़त्म हो गयी. लेकिन सुनीता केजरीवाल ने ऐसे समय में पार्टी और जनता के बीच एक सेतु का काम किया. उन्होंने चुनाव प्रचार में भी सक्रियता दिखाई.

उन्होंने कहा कि टीवी में कुछ इस तरह का माहौल तैयार हो गया था कि सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. लेकिन मनीष सिसोदिया ने उन अटकलों पर भी विराम लगाया कि सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री बनेंगी. सिसोदिया से जब सुनीता केजरीवाल की भविष्य की राजनीतिक भूमिका के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद ये भूमिका समाप्त हो सकती है. सिसोदिया ने कहा 'मुझे नहीं लगता कि इससे आगे कुछ और है.'


सिसोदिया के इस जवाब को विश्लेषक बता रहे है पार्टी में बंटी हुई राय

मनीष सिसोदिया ने जिस तरह से अपना रुख स्पष्ट किया है, उससे ये साफ़ है कि सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद के लिए देखना मीडिया की नज़र से जरुरी हो सकता है लेकिन पार्टी की नज़र से नहीं. उनके इस जवाब में ये भी संकेत है कि अरविन्द केजरीवाल के बाद पार्टी में कोई है तो कहीं न कहीं वो सिसोदिया ही हैं.


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