
साल 2025 : दिल्ली में 27 साल बाद BJP सरकार; नीयत दिखी, नतीजे पीछे रह गए
27 साल बाद सत्ता में लौटी BJP ने प्रदूषण और यमुना को बनाया सबसे बड़ा मुद्दा, लेकिन 2025 में दिल्ली को ठोस राहत क्यों नहीं मिली - एक विस्तृत वर्ष समीक्षा
Year Ender 2025 : साल 2025 दिल्ली की राजनीति और गवर्नेंस के लिहाज़ से बेहद अहम रहा। करीब 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने राजधानी दिल्ली में सत्ता में वापसी की। विधानसभा चुनाव के दौरान माहौल पूरी तरह बदल चुका था। आम आदमी पार्टी के दस साल के शासन के बाद जनता में नाराज़गी भी थी और उम्मीद भी। सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना प्रदूषण।
दिल्ली की जहरीली हवा, हर सर्दी में गैस चैंबर बनती राजधानी, यमुना में झाग और बदबू, जलभराव, टूटी सड़कें, पीने के पानी की कमी - ये सब दिल्ली वालों के रोज़मर्रा के दर्द बन चुके थे। BJP ने इन्हीं मुद्दों को चुनाव के केंद्र में रखा और वादा किया कि सत्ता में आते ही “एक्शन मोड” में काम होगा। जनता ने इस भरोसे पर मुहर लगाई और BJP ने 27 साल बाद सरकार बना ली।
लेकिन साल के अंत में जब पूरे 2025 को पलटकर देखा जाता है, तो सवाल उठता है कि क्या सिर्फ सत्ता बदलने से सिस्टम बदल पाया?
सत्ता संभालते ही यमुना से शुरुआत: प्रतीक या समाधान?
शपथ ग्रहण के साथ ही BJP सरकार ने यह संकेत देने की कोशिश की कि वो पिछली सरकारों से अलग है। शपथ लेने के बाद उसी दिन पूरी कैबिनेट शाम के समय यमुना घाट पहुँची और सामूहिक रूप से यमुना आरती की गई। यह दृश्य टीवी चैनलों और अख़बारों की सुर्खियों में रहा।
सरकार बनने से पहले ही यमुना में दो मशीनें लगाने की बात सामने आई। दावा किया गया कि ये मशीनें झाग और प्रदूषण कम करने में मदद करेंगी। सरकार का संदेश साफ था कि यमुना हमारी प्राथमिकता है।
हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों और जल विशेषज्ञों ने शुरू से कहा कि जब तक दिल्ली के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं करेंगे और औद्योगिक अपशिष्ट को सीधे यमुना में गिरने से नहीं रोका जाएगा, तब तक मशीनें सिर्फ कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट साबित होंगी।
गड्ढा मुक्त दिल्ली का वादा: ज़मीनी हकीकत अलग
2025 की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने “गड्ढा मुक्त दिल्ली” अभियान की घोषणा की। मंत्री सड़कों पर उतरे, अफसरों को फटकार लगी, और कई जगहों पर रातों-रात पैचवर्क किया गया। मीडिया में यह अभियान खूब चला।
लेकिन मानसून आते ही असली तस्वीर सामने आ गई। दक्षिण दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, बाहरी दिल्ली हर तरफ जलभराव और गड्ढों की शिकायतें आने लगीं। ट्रैफिक जाम बढ़ा, हादसे हुए और जनता फिर सवाल पूछने लगी।
यह साफ हो गया कि समस्या सिर्फ गड्ढों की नहीं, बल्कि खराब प्लानिंग, घटिया निर्माण और एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी की है।
वायु प्रदूषण पर जल्दबाज़ी: End of Life Vehicle विवाद
BJP सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की कि वो प्रदूषण को लेकर सख्त है। इसी कड़ी में एक बड़ा फैसला लिया गया End of Life Vehicles (EOL) को ईंधन न देने का आदेश। पेट्रोल पंपों को निर्देश मिले और कई जगहों पर ऐसे वाहनों की जब्ती भी शुरू हुई।
लेकिन जनता की नाराज़गी, तकनीकी दिक्कतें, विपक्ष का बीजेपी पर गंभीर आरोप और कानूनी सवाल खड़े होते ही सरकार को महज़ 24 घंटे के भीतर इस फैसले पर पीछे हटना पड़ा।
इस पूरे मामले ने सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए। विपक्ष ने इसे “बिना होमवर्क का फैसला” बताया, जबकि आम लोगों को लगा कि सरकार सिर्फ सख्ती दिखाने की कोशिश कर रही थी।
मानसून और यमुना: हालात संभले, सवाल बरकरार
बरसात के दौरान यमुना का जलस्तर बढ़ा और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बने। हालांकि 2023 जैसी गंभीर स्थिति नहीं बनी। सरकार ने इसे अपनी तैयारी और बेहतर मैनेजमेंट का नतीजा बताया।
लेकिन जानकारों का मानना रहा कि इस बार भारी बारिश कम हुई और जलप्रवाह का दबाव भी सीमित रहा, जिससे हालात काबू में रहे। यानी राहत ज्यादा तर प्राकृतिक कारणों से मिली, न कि किसी ठोस नीति के कारण।
दिवाली और पटाखे: सरकार का दोहरा संदेश
दिवाली से पहले प्रदूषण फिर बड़ा मुद्दा बन गया। इस बार दिल्ली सरकार ने पटाखों को लेकर कुछ रियायतें दीं। तर्क दिया गया कि वायु प्रदूषण सिर्फ पटाखों से नहीं बढ़ता।
नतीजा वही हुआ पटाखे फूटे और इनसे निकलने वाले ज़हरीले धुएं ने राजधानी का प्रदूषण को बढ़ाने में आग में घी का काम किया। दिल्ली एनसीआर की हवा और ज़हरीली हुई और AQI खतरनाक स्तर पर पहुँच गया। सरकार के इस फैसले को लेकर यह सवाल उठा कि जब हर साल दिवाली पर हालात बिगड़ते हैं, तो फिर रियायत क्यों?
छठ पूजा और झाग वाला विवाद
छठ पूजा के दौरान यमुना में जहरीले झाग की तस्वीरों ने एक बार फिर सरकार को घेर लिया। दिल्ली मी विपक्ष की भूमिका में रही आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाने शुरू किये।
दिल्ली सरकार ने छठ व्रतियों की सुविधा के लिए यमुना में केमिकल स्प्रे करवाया गया ताकि झाग कम किया जा सके।
आप की तरफ से दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी मंत्री जो प्रवेश वर्मा का 2024 का एक विडियो भी साझा किया, जिसमें वो स्प्रे करवा रहे दिल्ली सरकार के एक अधिकारी से बहस कर रहे हैं।
यहीं BJP सरकार अपने ही पुराने बयानों के जाल में फँस गई। क्योंकि विपक्ष ख़ास तौर से आम आदमी पार्टी ने याद दिलाया कि इसी केमिकल को पिछले साल तक BJP “ज़हर” बताती रही थी। इस कदम को लेकर सरकार पर यू-टर्न राजनीति का आरोप लगा।
सर्दी आते ही दिल्ली फिर गैस चैंबर
नवंबर-दिसंबर आते ही दिल्ली की हवा एक बार फिर खतरनाक हो गई। AQI ‘सीवियर’ कैटेगरी में पहुँचा। स्कूल बंद हुए, GRAP लागू हुआ और लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई।
इस बार दिल्ली सरकार ने जनता से माफी मांगी, लेकिन साथ ही पिछली आम आदमी पार्टी सरकार पर भी जिम्मेदारी डाली। मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बयान दिया कि सिर्फ 8 महीने में प्रदूषण से छुटकारा पाना संभव नहीं है।
यह बयान सरकार की सीमाओं की संस्वीकृति ( Confession ) भी था और भविष्य के लिए चेतावनी भी।
2025 का निष्कर्ष: इरादे बनाम असर
2025 में दिल्ली की BJP सरकार ने यह तो दिखाया कि वह मुद्दों को गंभीरता से लेने का प्रयास ( या दिखावा ) कर रही है, लेकिन फैसलों और उनके अमल के बीच बड़ी खाई नज़र आई। कई फैसले जल्दबाज़ी में हुए, कई कदम प्रतीकात्मक साबित हुए।
दिल्ली को साल के अंत तक न साफ हवा मिली, न साफ यमुना। जनता के सामने वही पुराना सवाल खड़ा है कि क्या अगले साल सिर्फ बयान बदलेंगे या ज़मीन पर हालात भी?
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