
दिल्ली क्लासरूम गड़बडी मामला: मजदूरों के नाम पर खोले गए खातों से पैसे की हेराफेरी का शक
ED के मुताबिक, छापेमारी के दौरान दिल्ली सरकार की मूल फाइलें और 322 पासबुक मिली हैं, जो मज़दूरों के नाम पर बनाए गए म्यूल खातों से जुड़ी थीं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान क्लासरूम निर्माण में कथित अनियमितताओं की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत 322 बैंक पासबुक बरामद की हैं, जो मजदूरों के नाम पर खोले गए 'म्यूल' खातों से जुड़ी हैं। इन खातों का उपयोग सरकारी धन की हेराफेरी में किया गया था। इस मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया आरोपी हैं।
ईडी ने कहा कि तलाशी के दौरान निजी ठेकेदारों और शेल कंपनियों के फर्जी लेटरहेड, सरकारी खरीद से जुड़े फर्जी बिल, दिल्ली सरकार की असली फाइलें, और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के नाम और पदनाम वाली मुहरें भी बरामद की गईं।
एजेंसी के बयान के अनुसार, “एक निजी ठेकेदार के परिसर से तलाशी के दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री मिली। इसमें दिल्ली सरकार की मूल फाइलें और 322 पासबुक शामिल थीं, जो मज़दूरों के नाम पर बनाए गए म्यूल खातों से जुड़ी थीं। इनका इस्तेमाल वैध भुगतान के नाम पर जनता के धन को ग़लत तरीके से स्थानांतरित करने के लिए किया गया था।”
ईडी ने बताया कि ये म्यूल खाते और फर्जी दस्तावेज एक बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा थे, जिसमें नकली चालान, बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए या पूरी तरह फर्जी निर्माण कार्य के दावे शामिल थे। जांच में यह भी सामने आया कि डमी फर्मों, जिनके पास कोई आधारभूत ढांचा या वैध परिचालन नहीं था, को भारी भुगतान दर्शाया गया।
37 ठिकानों पर 18 जून को छापे मारे गए। ईडी की जांच दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) द्वारा दर्ज की गई FIR पर आधारित है, जिसमें 12,748 अर्ध-स्थायी कक्षाओं के निर्माण परियोजना में प्रक्रियागत खामियों और संभावित भ्रष्टाचार की जांच की जा रही है।
इस परियोजना की शुरुआती लागत ₹860 करोड़ आंकी गई थी, जो 2015 से 2023 के बीच बिना नए टेंडर या मानक खरीद नियमों का पालन किए ₹2,800 करोड़ से ज्यादा तक पहुंच गई।
आप के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन इस मामले में ACB और ED की जांच के घेरे में हैं।
18 जून की छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर कहा, "इन तथाकथित छापों का मकसद जनता का ध्यान भटकाना है। ये आरोप निराधार, राजनीति से प्रेरित और भाजपा की जनविरोधी नीतियों से ध्यान हटाने का प्रयास हैं।”