पुरानी गाड़ियों पर बैन: सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, कहा- मिडिल क्लास को नुकसान
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पुरानी गाड़ियों पर बैन: सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, कहा- 'मिडिल क्लास को नुकसान'

Supreme Court vehicle age ban: दिल्ली सरकार का यह रुख दिखाता है कि अब प्रदूषण नियंत्रण नीति को वैज्ञानिक आंकड़ों और तकनीकी प्रगति के अनुरूप ढालने की जरूरत है, जिससे जनता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े.


Delhi old vehicle ban challenge: दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे बैन को चुनौती दी है. सरकार का तर्क है कि इस बैन के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह नीति आम जनता, खासकर मध्यम वर्ग पर प्रतिकूल असर अनुचित प्रभाव डाल रही है.

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई करेंगे, सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. दिल्ली सरकार ने 29 अक्टूबर 2018 को दिए गए उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसमें अदालत ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशानिर्देश को बरकरार रखा था.

सरकार की याचिका में कहा गया है कि साल 2018 के बाद से टेक्नोलॉजी में भारी प्रगति हुई है, खासकर अप्रैल 2020 से BS-VI उत्सर्जन मानकों के अनिवार्य क्रियान्वयन और PUC (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) प्रमाणपत्र की सख्ती के चलते अब वाहनों की वास्तविक स्थिति के आधार पर मूल्यांकन ज़रूरी है, न कि केवल उम्र के आधार पर बैन. सरकार ने यह भी कहा कि BS-VI इंजन पुराने BS-IV इंजनों की तुलना में 80% कम पार्टिकुलेट मैटर और 70% कम नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं. अगर 2018 का आदेश लागू रहा तो वैज्ञानिक आधार के बिना सड़क पर चलने योग्य BS-VI जैसे कम प्रदूषणकारी वाहन भी कुछ वर्षों में बैन हो जाएंगे.

मध्यम वर्ग को नुकसान

सरकार ने याचिका में यह भी तर्क दिया कि यह नीति उन मध्यम वर्गीय परिवारों को ज्यादा प्रभावित करती है, जिनकी गाड़ियां कम चलती हैं, अच्छी स्थिति में होती हैं और प्रदूषण मानकों का पालन करती हैं. महज उम्र के आधार पर गाड़ियों को सड़क से हटाना अनुचित है. इससे सेकंड हैंड कार बाज़ार पर भी बुरा असर पड़ा है, जो कम आय वाले परिवारों के लिए एकमात्र विकल्प होता है.

पुनर्मूल्यांकन की मांग

सरकार ने यह भी कहा कि अब तक कोई ऐसा डेटा-आधारित सबूत नहीं है, जो यह साबित करता हो कि सभी पुराने वाहन समान रूप से प्रदूषण फैला रहे हैं. न ही कोई प्रभाव विश्लेषण या लागत-लाभ अध्ययन यह दिखाता है कि इस बैन से हवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.

सरकार ने यह भी बताया कि 2018 के बाद से कई अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपाय अपनाए गए हैं. जैसे:- PUC उल्लंघन पर भारी चालान, सार्वजनिक परिवहन में सुधार, इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार, दिल्ली मेट्रो नेटवर्क का विस्तार आदि.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हमने शीर्ष अदालत से 2018 के आदेश पर दोबारा विचार करने की अपील की है. क्योंकि अब हालात बदल चुके हैं. हमारा मकसद जनस्वास्थ्य की रक्षा और जिम्मेदार वाहन मालिकों के अधिकारों का सम्मान है.

दिल्ली-NCR में बहस

यह विवाद केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है. यह एनसीआर क्षेत्र के उन हिस्सों को भी प्रभावित करता है, जो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में आते हैं, जहां इसी तरह के प्रतिबंध लागू हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच और निजी नागरिक अरुण कुमार सिंह की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा, जिन्होंने इस प्रतिबंध को अलग से चुनौती दी है.

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