नतीजे: जीत भी, झटका भी
बीजेपी ने 12 में से 7 सीटें जीतकर बढ़त कायम रखी, लेकिन साथ ही दो सीटों का नुकसान भी हुआ।
बीजेपी – 7 सीट
AAP – 3 सीट
कांग्रेस – 1 सीट (लंबे अरसे बाद वापस)
AIFB – 1 सीट
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के समय जिस कांग्रेस को जनता ने पूरी तरह खारिज कर दिया था, लेकिन वही दल एक उपचुनाव में वापसी कर गया। ये भी एक दिलचस्प राजनीतिक संकेत है। वहीं ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की जीत ने लोकल राजनीति में समीकरणों के बदलने की कहानी भी कही।
दिल्ली MCD उपचुनाव 2025 में किस सीट पर किसे मिली जीत किसे मिली हार
मुंडका वार्ड
आप: अनिल लाकड़ा (जीत)
भाजपा: जयपाल सिंह दराल (जयपाल सिंह सरल) (हार)
शालीमार बाग बी वार्ड
भाजपा: अनीता जैन (जीत)
आप: बबीता राणा (हार)
अशोक विहार वार्ड
आप: सीमा विकास गोयल (जीत)
भाजपा: नीलम असीजा (वीना असीजा) (हार)
चांदनी चौक वार्ड
भाजपा: सुमन कुमार गुप्ता (जीत)
आप: हर्ष शर्मा चिंटू (हार)
चांदनी महल
एआईएफबी - मोहम्मद इमरान (जीत)
आप - मुदस्सर उस्मान (हार)
द्वारका बी वार्ड
भाजपा: मनीषा देवी (राजपाल सहारावत) (जीत)
आप: राजपाल सेहरावत (राजबाला सहारावत) (हार)
ढिंचाऊं कलां वार्ड
भाजपा: रेखा रानी (जीत)
आप: नीतू केशव चौहान (हार)
नारायणा वार्ड
आप: राजन अरोड़ा (जीत)
भाजपा: अंजुम मंडल (चंद्रकांता शिवानी) (हार)
संगम विहार ए वार्ड
कांग्रेस: सुरेश चौधरी (जीत)
भाजपा: शुभ्रजीत गौतम (सुभ्रजीत गौतम) (हार)
आप: अनुज कुमार शर्मा (हार)
दक्षिणपुरी वार्ड
आप: रामस्वरूप कनौजिया (जीत)
भाजपा: रोहिणी राज (हार)
ग्रेटर कैलाश वार्ड
भाजपा: अंजुम मंडल (जीत)
आप: ईशना गुप्ता (हार)
विनोद नगर वार्ड
भाजपा: सरला चौधरी (जीत)
आप: गीता रावत (हार)
पहले क्या था?
इन 12 में से:
बीजेपी के पास 9 सीटें थीं
AAP के पास 3 सीटें
मतलब साफ है कि भले ही बीजेपी पहले नंबर पर रही, लेकिन उसे दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। भले ही बीजेपी 7 सीटों पर जीत को जनता के सामने रखते हुए अपनी राज्य सरकार की उपलब्धि की तरह दर्शाने का प्रयास कर रही है लेकिन हकीकत ये है कि उसे 2 सीटों का नुक्ड़ेसान हुआ है।
रेखा गुप्ता की परीक्षा - शालीमार बाग ने दिया संदेश, लेकिन…
बीजेपी की ओर से सबसे ज़्यादा निगाहें शालीमार बाग सीट पर थीं, जहां से खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पार्षद रही हैं। यह सीट पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी और यहां बीजेपी की अनिता जैन ने 10,101 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की।
यह नतीजा रेखा गुप्ता के लिए बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला है, क्योंकि दिल्ली में एमसीडी सरकार उनसे ही जुड़ी है। लेकिन दूसरी तरफ भाजपा के कुल नुकसान ने उनकी रणनीति पर सवाल भी खड़े कर दिए, जिसकी वजह से अंदरूनी तौर पर जीत का रंग फीका पड़ गया।
बीजेपी ने उपचुनावों से पहले कई अहम बैठकें की थीं, जिनमें बीएल संतोष जैसे केंद्रीय नेतृत्व के चेहरे भी शामिल थे। इतना फोकस होने के बावजूद दो सीटें गंवाना अंदरूनी चिंता बढ़ाने वाला है।
सौरभ भारद्वाज के लिए दोहरी चुनौती
इन उपचुनावों को आम आदमी पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज के लिए भी लिटमस टेस्ट माना जा रहा था।
उनके नेतृत्व में ये पहला चुनाव था। उनका खुद का गढ़ ग्रेटर कैलाश हाथ से निकल गया।
आप की जीत का आंकड़ा बेशक तीन ही रहा लेकिन पुरानी दो सीटें गंवानी पड़ी
उपचुनाव जिन 12 सीटों पर हुआ था, उनमें से आप के पास पहले भी 3 सीटें थीं। इस उपचुनाव में भी आप को 3 सीट ही मिली हैं लेकिन ये तीन सीटें पुरानी नहीं है, उनमें से 2 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ा झटका ग्रेटर कैलाश की हार रही, जहां से भारद्वाज वर्षों से विधायक रहे। चुनाव के ठीक पहले लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वे सरकार को हवा–पानी–बिजली–शिक्षा जैसे मुद्दों पर घेरते रहे, लेकिन जनता से वह संदेश नहीं जोड़ पाए जिसे विपक्ष जोड़ना चाहता था।
उनकी प्रतिक्रिया भी दिलचस्प रही, उन्होंने कहा कि “चुनाव छोटा था, हम जहां थे वहीं हैं, भाजपा बेईमानी करके भी घट गई।”
लेकिन राजनीतिक तौर पर यह सफाई कम और दबाव ज्यादा दिखाता है।
AAP के गढ़ों में सेंध चांदनी महल और चांदनी चौक
दिल्ली के पुराने राजनीतिक क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
चांदनी महल - यहां AAP की सीट पर ही शोएब इकबाल के समर्थित AIFB उम्मीदवार ने जीत दर्ज की।
चांदनी चौक - AAP अपनी मौजूदा सीट गंवा बैठी।
इन दोनों सीटों से हार यह संकेत देती है कि AAP का पुराना कोर वोटबेस अब कुछ इलाकों में दरकता दिख रहा है।
कांग्रेस की वापसी - छोटा कदम, लेकिन मनोबल बढ़ाने वाला
कांग्रेस ने भले ही सिर्फ एक सीट जीती हो, लेकिन यह जीत उस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है, जिसने विधानसभा चुनाव में जीरो सीट पाई थी। यह नतीजा बताता है कि जहां AAP और BJP आमने-सामने होते हैं, वहां तीसरा विकल्प फिर से धीरे–धीरे जगह बनाने की कोशिश कर रहा है।
बीजेपी की चुप्पी ने बढ़ाया सवाल
दिल्ली बीजेपी ने सोशल मीडिया पर जीते हुए प्रत्याशियों को बधाई तो दी, लेकिन पार्टी के आधिकारिक हैंडल पर कोई बड़ा बयान नहीं दिया गया। यह चुप्पी बताती है कि पार्टी भीतर ही भीतर दो सीटों के नुकसान को समझ रही है और बड़ी जीत का ढोल पीटने से बच रही है।