लाचार सरकार, लचर व्यवस्था और बेहाल दिल्ली- एक रुका हुआ शहर
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लाचार सरकार, लचर व्यवस्था और बेहाल दिल्ली- एक रुका हुआ शहर

दिल्ली में बुधवार शाम को इतनी बारिश हुई कि पूरा शहर ही थम गया। प्रगति मैदान इलाके में एक घंटे में 112.5 एमएम बारिश दर्ज की गई जिसे बादल फटना माना जाता है।


Delhi Rain News: बुधवार शाम का वक्त था दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की लाइट ऑन थी। कार सवार हो या बाइक सवार वो अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए तैयार भी थे। लेकिन बारिश ने ब्रेक लगा दिया। हर सड़क पर सैकड़ों की संख्या में लोग फंसे भी हुए थे। वजह यह नहीं कि किसी सड़क से वीवीआईपी गुजर रहा था। वजह ये थी कि दिल्ली ही भीग चुकी थी। बारिश में दिल्ली की सड़कें इस कदर डूबीं कि एक एक कदम तय करने में मिनट की जगह घंटो लगे।
ऐसा लग रहा था कि जुलाई के महीने में दिल्ली वालों के साथ मानसून वाले बादल दगा करेंगे। लेकिन 31 जुलाई को शाम के करीब सात बजे थे काले काले बादलों ने अपना डेरा जमा लिया। लोगों को यकीन हुआ कि शायद इस दफा ये काले मेघ जमकर बरसें। इंद्र देवता ने निराश भी नहीं किया। बादल जमकर बरसे और एक घंटे में इतना पानी बरसा की जिसे बादल फटना माना जाता है। उदाहरण के लिए प्रगति मैदान इलाके में 112.5 एमएम, मयूर विहार इलाके में 119 एमएम बारिश हो गई। जो दिल्ली थोड़ी सी बारिश के बाद ही हांफने लगती है उसका हाल इतनी बारिश के बाद क्या होता अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होता। यह वो समय था जब दफ्तर छूटने के बाद लोग अपने घरों को निकलने के लिए सड़कों पर थे। बारिश मे उनके पहियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया और घंटों तक ना सिर्फ जाम में फंसना पड़ा। बल्कि 2 से 4 किमी की दूरी तय करने के लिए 10 किमी लंबा सफर तय करना पड़ा।

आफत की बारिश

बुधवार की बारिश में गाजीपुर के खोड़ा इलाके में एक महिला और उसका बच्चा नाले में डूब गए। बता दें कि नाला निर्माणाधीन था.इसके साथ ही चाहे राजेंद्र नगर हो, मुखर्जी नगर हो,आईटीओ, पंजाबी बाग अंडरपास, किराड़ी, बारापुला फ्लाइओवर,सावित्री फ्लाइओवर पूर्वी दिल्ली के इलाके हों हर जगह सड़कों पर सिर्फ पानी ही पानी। दिल्ली सरकार के विभाग अपने कामकाज में जुट गए थे। लेकिन बारिश की रफ्तार इतनी अधिक कि उनकी कोशिश रंग नहीं ला पा रही थी। ऐसे में कई तरह के सवाल उठते हैं कि जो काम सरकार अब कर रही है क्या वो पहले नहीं कर सकती थी. हाल ही में जब ओल्ड राजेंद्र नगर में जलभराव की वजह से बेसमेंट में आईएएएस की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हुई तो आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक व्यवस्था का रोना रहे थे. वो अपनी व्यवस्था से अधिक दोषारोपण कर रहे थे कि 15 साल तक दिल्ली नगर निगम बीजेपी के अधीन रहा और एक पैसे का काम नहीं हुआ।

इन आंकड़ों में देखें कितनी हुई बारिश
जेल से केजरीवाल चला रहे सरकार
सवाल यह है कि जब सूबे के सीएम जेल में हो और वो वहीं से सरकार चला रहा हो तो क्या हालात में सुधार होंगे। इस सवाल के जवाब के लिए आप को थोड़ा पीछे चलना होगा। कुछ साल पहले कनॉट प्लेस के करीब रेलवे अंडरपास में फंसी हुई डीटीसी बस की नजारा याद होगा। उस समय दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल जेल में नहीं थे। तब उन्होंने वादा किया कि दिल्ली में अब ऐसा नहीं होने देंगे। हालांकि ब्लेम गेम की राजनीति तब भी हुई क्योंकि एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा था। बीजेपी के मेयर कहा करते थे कि हम काम करें भी तो कैसे करें दिल्ली सरकार जरूरी फंड रिलीज नहीं कर रही है। उस समय दिल्ली सरकार इस तरह की बात कर सकती थी। लेकिन अब जब दिल्ली सरकार और एमसीडी पर आम आदमी पार्टी काबिज है तो भी आरोप यही है कि पिछले 15 साल के खामियों का नतीजा है. हमारे पास जो साधन है बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अपनी नाकामी छिपाने के लिए मौसम, भारी बारिश बहाने के तौर पर काम कर जाते हैं जिसका फायदा उठाने में मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं चूक रही है।
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