हाइटेक व्यवस्था का दावा लेकिन बारिश खोल देती है पोल, दिल्ली की ये है तस्वीर
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हाइटेक व्यवस्था का दावा लेकिन बारिश खोल देती है पोल, दिल्ली की ये है तस्वीर

दिल्ली में भारी बारिश की वजह से लोगों को राहत तो मिली है। लेकिन उसका दूसरा पक्ष यह है कि सड़कों पर नदी बह रही है और अंडरपास बारिश के पानी में समा गए हैं।


Delhi Rain: बारिश के मौसम में देश के सभी शहरों का हाल करीब करीब एक जैसा ही रहता है। चाहे मेगा सिटी हो तो छोटे शहर। सरकार किसी की हो सड़कों पर नदी बहने लगती है तो अंडरपास पानी में समा जाते हैं। ट्रैफिक जाम की समस्या को छोड़ दीजिए। इन सभी शहरों के बीच एक ऐसे शहर की बात करेंगे जिसका नाम दिल्ली है। दिल्ली, देश की राजधानी है तो जेहन में पहला विचार यही आता है कि सब कुछ चाक चौबंद होगा। लेकिन बारिश कम हो या अधिक सरकारी दावों की पोल खुल जाती है। जो सरकार में है वो अपनी पहले वाली सरकार को कोसता है। जो विपक्ष में है उसका तो नैतिक अधिकार ही सरकार को कोसने का है। यानी कि आरोप- प्रत्यारोप के बीच आम जनता को समस्याओं के बीच अपने दफ्तर जाना है, स्कूल जाना है, बाजार जाना है। दिल्ली पर इंद्र देवता मेहरबान हैं लोगों को उमस और गर्मी से राहत मिली है। लेकिन दिल्ली की सड़कों पर उतरते ही सब आफत में तब्दील हो जाता है।

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27 जून वाला वो हादसा
महीना जून का और तारीख 27 जून, जगह ओल्ड राजेंद्र नगर। एक कोचिंग इंस्टीट्यूट का गेट टूट जाता है। बारिश का पानी बेसमेंट में घुसता है, करीब 12 फुट पानी की वजह से आईएएस की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हो जाती है। उस घटना के बाद एमसीडी के साथ साथ दूसरे विभाग हरकत में आए। दिल्ली की आप सरकार ने वादा भी किया कि बारिश की वजह से जो दिक्कत हुई उसे दूर करने की कोशिश की जारी है। यह बात सच है कि सरकारें कोशिश भी करती हैं लेकिन वो कोशिश कहीं जमीन पर नजर नहीं आती। ओल्ड राजेंद्र नगर वाले हादसे के बाद आप की सरकार का पहला आरोप यही था कि एमसीडी पर बीजेपी का 15 साल तक शासन था आखिर उन्होंने क्या किया। यानी कि आप एक दूसरे पर दोष मढ़ने वाली बात सुनने के लिए तैयार रहें।

दिल्ली बोली, कुछ नहीं बदला
बात चाहे जखीरा अंडरपास की हो या मिंटो ब्रिज अंडरपास की या आईटीओ वाले इलाके की। तस्वीर एक जैसी। अगर बारिश अधिक हुई तो एजेंसियों को बहाना मिल ही जाता है कि कम समय में इतनी बारिश की उम्मीद नहीं थी। दिल्ली के पुष्प विहार इलाके में रहने वाले देव कहते हैं कि वो पिछले 30 साल से राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं। ऐसा नहीं है कि विकास के काम नहीं हुए हैं। लेकिन जब बारिश में इस तरह की तस्वीर नजर आती है तो दिमाग में सवाल तो उठता है कि अगर यह हाइटेक व्यवस्था है तो निश्चित तौर पर हमें सोचना होगा कि क्या संसाधन का बेहतर इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। कुछ ऐसा ही विचार द्वारका इलाके में रहने वाले सुशांत का है। उनका कहना है कि द्वारका को सब सिटी कहा जाता है। इस इलाके में अत्याधुनिक व्यवस्था का दावा किया गया है। लेकिन बारिश होने के बाद इसकी सूरत भी डाबड़ी, नवादा, उत्तम नगर, पालम की तरह हो जाती है।

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