
ED के निशाने पर डीएमके एमपी जगतरक्षकन, क्या है 20 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन
ईडी अधिकारियों का कहना है कि नए सबूत 1,000 करोड़ रुपये के TASMAC शराब घोटाले से जुड़े हैं, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है
चेन्नई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी राज्य की दो प्रमुख शराब कंपनियों, SNJ डिस्टिलरीज़ और एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ के बीच ₹20 करोड़ के 'संदिग्ध' लेन-देन की जांच कर रहे हैं। एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ की संलिप्तता सवाल खड़े करती है क्योंकि यह सत्ताधारी डीएमके के सांसद एस जगत्रक्षकन के परिवार के स्वामित्व में है।
ED अधिकारियों का कहना है कि नया सबूत कथित ₹1,000 करोड़ के TASMAC शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं।
'मार्केटिंग खर्च' पर संदेह
6 मार्च को ED ने TASMAC की शराब आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े कम से कम 25 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई तमिलनाडु के आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी के सहयोगियों और SNJ डिस्टिलरीज़, एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ जैसी कंपनियों से संबंधित संपत्तियों पर की गई।छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों की जांच में SNJ डिस्टिलरीज़ की बहीखातों में एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ के पक्ष में ₹20 करोड़ का लेन-देन मिला, जो जून 2020 में 'मार्केटिंग खर्च' के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन उसी वित्तीय वर्ष में इसे राइट-ऑफ कर दिया गया, जिससे संदेह गहरा गया।
'लेन-देन की वैधता संदिग्ध'
एक ED अधिकारी ने कहा,"एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ द्वारा किसी भी मार्केटिंग सेवा का कोई प्रमाण नहीं मिला, जिससे यह ₹20 करोड़ का ट्रांसफर वैध ठहराया जा सके। यह शक पैदा करता है कि कहीं यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तो नहीं।"
डिस्टिलरीज़ ने समन के बावजूद जवाब नहीं दिया
अधिकारियों को शक है कि यह वित्तीय लेन-देन अवैध धन को घुमाने की एक चाल हो सकता है। हालांकि, SNJ और एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ ने ED के समन का जवाब नहीं दिया। जांच एजेंसी, डिस्टिलरीज़ के जवाब मिलने के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करेगी।
ED अधिकारी ने कहा,"यह ट्रांजेक्शन AIADMK सरकार के कार्यकाल में हुआ था। इससे हमें शक होता है कि एकॉर्ड डिस्टिलरीज़ ने SNJ डिस्टिलरीज़ को TASMAC ऑर्डर दिलाने में मदद की होगी, शायद TASMAC अधिकारियों के साथ मिलकर सौदेबाजी की गई हो।"
बोतलिंग कंपनियां बनीं बिचौलिया
ED को पहले भी 'फर्जी खर्च', 'जाली बिल' और TASMAC अधिकारियों को 'किकबैक' देने के सबूत मिले थे, जिनमें SNJ, कॅल्स, एकॉर्ड, SAIFL और शिवा डिस्टिलरीज़ शामिल हैं।बोतलिंग कंपनियों जैसे देवी बॉटल्स और क्रिस्टल बॉटल्स को भी काले धन के लेन-देन में प्रमुख भूमिका निभाने वाला पाया गया।
कैसे तैयार हुआ 'स्लश फंड'
ED की रिपोर्ट के अनुसार, शराब घोटाले में बोतलिंग कंपनियों ने TASMAC अधिकारियों को रिश्वत देने का काम किया।बार और फुटपाथ विक्रेताओं से पुरानी शराब की बोतलें ₹1-2 प्रति बोतल में खरीदी गईं।इन्हें डिस्टिलरीज़ को ₹6-8 प्रति बोतल की ऊंची कीमत पर बेचा गया, जिससे भारी मुनाफा कमाया गया।कमाई गई नकदी का लगभग आधा हिस्सा निकालकर डिस्टिलरीज़ को लौटा दिया गया।यह धन "स्लश फंड" के रूप में इस्तेमाल हुआ, जिससे TASMAC अधिकारियों को रिश्वत देकर शराब आपूर्ति अनुबंध हासिल किए गए।ED ने आरोप लगाया कि यह "वैध व्यावसायिक लेन-देन" के रूप में छिपाया गया भ्रष्टाचार का एक संगठित तंत्र था।
ED पर 'पक्षपात' का आरोप
इस बीच, विपक्ष ने ED पर आरोप लगाया है कि वह केवल विपक्ष से जुड़े नेताओं और कंपनियों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही।