
दुलारचंद यादव हत्याकांड ने बदले मोकामा सीट के समीकरण, पहली बार ‘अगड़ा बनाम पिछड़ा’ की लड़ाई
बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या से पहले मोकामा में विकास के मुद्दे की बात हो रही थी लेकिन अब भूमिहार वर्सेज यादव की बात होने लगी है
मोकामा में पहली बार विधानसभा चुनाव में अगड़ा वर्सेज पिछड़ा की चर्चा छिड़ गई है। भूमिहार का वोट तेजी से अनंत सिंह के पक्ष में गोलबंद हो रहा है। जनसुराज के कैंडिडेट को भावनात्मक सपोर्ट मिल रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान सूरजभान सिंह की पत्नी राजद कैंडिडेट वीणा देवी को हो रहा है।
30 अक्टूबर को जनसुराज कैंडिडेट पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार के दौरान दुलारचंद की हत्या हुई थी। भूमिहार के बीच चर्चा है कि अनंत सिंह को फंसाया जा रहा है। मोकामा में भूमिहारों के बीच दो वीडियो को तेजी से सर्कुलेट किया जा रहा है। एक जिसमें शवयात्रा के दौरान भूमिहारों को कथित तौर पर गाली दी जा रही है और दूसरा जिसमें दुलारचंद यादव अनंत सिंह के काफिले पर पत्थर मारते हुए दिखाई दे रहे हैं।
इन दो वीडियो के आधार पर इनके बीच सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि अनंत सिंह को जानबूझ कर फंसाया जा रहा है। शुक्रवार देर रात हत्या के 29 घंटे बाद दुलारचंद यादव का अंतिम संस्कार किया गया। लोग बोले- जितना अनंत सिंह को फंसाएंगे भूमिहार एकजुट होंगे।
मकोमा में बदल गया मुद्दा
इस घटना से पहले सूरजभान सिंह ने घर का बेटा का मुद्दा छेड़ा था। सूरजभान सिंह मोकामा के शंकरवार टोला के रहने वाले हैं। जबकि मोल्दियार टोला का सपोर्ट अनंत सिंह को है। ऐसे में यहां की लड़ाई मोल्दियार टोला वर्सेज शंकरवार टोला बना दिया गया था।
लोग बताते हैं कि पहली बार मोकामा में विकास के मुद्दे की बात हो रही थी, कोई मेडिकल कॉलेज की बात कर रहे थे तो कोई हॉस्पिटल की। अब भूमिहार वर्सेज यादव की बात होने लगी है।
भूमिहार एकजुट हुए तो सूरजभान को नुकसान
हालांकि सूरजभान सिंह भी भूमिहार हैं लेकिन वो आरजेडी में हैं। लोग कह रहे हैं कि भूमिहार हम कभी भी तेजस्वी यादव को अपना नेता नहीं मानता। अगर पोलराइजेशन होता है तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान सूरजभान को होगा। वो बीच में पड़ गए है। अब सूरजभान सिंह इस सिचुएशन को कैसे हैंडल करते हैं, यह उनपर डिपेंड करता है।
पिछड़ों ने कहा, सालों बाद हमें हमारी जाति का कैंडिडेट मिला जदयू और राजद ने यहां बाहुबली भूमिहारों पर दांव लगाकर पारंपरिक पॉलिटिक्स को ही आगे बढ़ाया है। लेकिन जनसुराज ने यहां एक बड़ा प्रयोग किया है। आबादी के हिसाब से मोकामा में तीसरी बड़ी आबादी वाले धानुक जाति के पीयूष प्रियदर्शी को अपना कैंडिडेट बनाया है। इसका एक बड़ा असर यहां जमीन पर दिखाई दे रहा है।
मोकामा में जनसुराज फैक्टर
मोकामा के चुनाव में जनसुराज पार्टी एक बड़ा फैक्टर है। आज तक मोकामा विधानसभा में बैकवर्ड का कैंडिडेट नहीं मिला है। इस बार बढ़िया कैंडिडेट मिले हैं। पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं। बदलाव बहुत जरूरी है।
कुछ लोगों का कहना है कि इस वारदात से अनंत सिंह को फायदा-नुकसान दोनों होगा। इस घटना के बाद बैकवर्ड अनंत सिंह से दूर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनंत सिंह 15-20 साल से विधायक हैं। वे फॉरवर्ड क्षेत्र में ज्यादा विकास कराते हैं और बैकवर्ड क्षेत्र में कम विकास कराते हैं।
हालांकि अनंत सिंह के समर्थक कहते रहे हैं कि उनके नेता ने कभी अगड़ा-पिछड़ा नहीं किया, वे सबका विकास किए।
मोकामा में अगड़ा वर्सेज पिछड़ा होने पर क्या होगा, इसे ऐसे समझिए कि मोकामा में लगभग 2.90 लाख वोटर्स हैं। यहां भूमिहार निर्णायक फैक्टर हैं। भूमिहार वोटर्स की आबादी लगभग 30 प्रतिशत से ज्यादा है। इनमें अगर ब्राह्मण और राजपूत को जोड़ दिया जाए तो सवर्ण की आबादी लगभग 40 प्रतिशत हो जाएगी।
भूमिहार के बाद पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा है। यहां लगभग 22-25 प्रतिशत यादव तो 20-22 प्रतिशत धानुक की आबादी है। इनके अलावा दलित, पासवान और मुस्लिम की संख्या लगभग 30 प्रतिशत के करीब है।
भूमिहार और धानुक अभी तक एनडीए के वोटर्स रहे हैं और यही अनंत सिंह की जीत के सबसे बड़े फैक्टर्स रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से राजद बड़ी तेजी से यहां यादव के साथ धानुक वोटर्स में सेंधमारी की कोशिश में जुटी है।
पीयूष प्रियदर्शी विधानसभा से पहले 2024 का लोकसभा चुनाव भी निर्दलीय लड़े थे, तब उन्हें 11 हजार वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव में ये समीकरण बिगड़ता है तो इसका अनंत सिंह को नुकसान हो सकता है।
2024 के लोकसभा चुनाव का सबक
दूसरी बात यह है कि अगड़ा वर्सेज पिछड़ा की लड़ाई में मोकामा में ललन सिंह पिछड़ गए थे। 2024 मे लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने पहली बार मुंगेर लोकसभा चुनाव में अगड़ा के खिलाफ पिछड़ा को मैदान में उतारा था। जदयू से ललन सिंह चुनाव लड़ रहे थे तो राजद ने धानुक समाज से आने वाली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को कैंडिडेट बनाया था।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र भी मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में आता था। ललन सिंह की जीत को पक्की करने के लिए तब पेरोल पर बाहर निकले अनंत सिंह ने भी इलाके में जनसंपर्क चलाया था। तब जो नतीजे आए थे 2000 के बाद पहली बार मोकामा में अनंत सिंह के रहते हुए ललन सिंह पिछड़ गए थे। मोकामा में वे अशोक महतो की पत्नी से 1079 वोट से पीछे रह गए।
अगर लोकसभा में विधानसभा के नतीजों को देखें तो मोकामा के 290 बूथों में से 126 बूथों पर ललन सिंह पिछड़े थे। मोकामा के शिवनार टोला दक्षिणी, उत्तरी भाग, हाथीदह के 4 बूथ पर, गोसाइ गांव, रैली इंग्लिश, ममरखाबाद, लेमुआबाद, मेकरा, कन्हायपुर, मोर, पंचमहला जैसे इलाकों में ललन सिंह बड़ी मार्जिन से पिछड़े। अगर ओवर ऑल मोकामा विधानसभा की बात करें तो यहां से ललन सिंह 1079 वोट से कुमारी अनीता से पीछे रहे।

