चुनाव आयोग का दावा- निष्पक्ष है SIR, जनता ने दिखाई भागीदारी
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बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन प्रक्रिया को विपक्ष वोटबंदी बता रहा है और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के सामने है। वहीं चुनाव आयोग ने दावा किया है कि जनता की भागीदारी बढ़ रही है।

चुनाव आयोग का दावा- निष्पक्ष है SIR, जनता ने दिखाई भागीदारी

बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर घमासान, EC ने विपक्ष के आरोपों को बताया भ्रामक। सुप्रीम कोर्ट आज SIR प्रक्रिया पर याचिकाओं की सुनवाई करेगा।


बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे चुनाव आयोग (EC) ने विपक्षी नेताओं के आरोपों को खारिज करने के लिए एक सोशल मीडिया फैक्ट चेक अभियान शुरू किया है। आयोग ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से #ECIFactCheck हैशटैग का उपयोग करते हुए कम-से-कम 10 विपक्षी नेताओं के दावों को खारिज किया है, जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और मनोज झा, टीएमसी की सागरिका घोष और राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव शामिल हैं।

EC बनाम मनोज झा का विवाद

8 जुलाई को पोस्ट किए गए एक संदेश में आरजेडी सांसद मनोज झा ने एक कथित पत्र साझा किया और कहा कि चुनाव आयोग ने 10 जुलाई को बैठक के लिए सहमति जताई थी लेकिन बाद में वह पीछे हट गया। माननीय @ECISVEEP जी… क्या यह आपका ही पत्र नहीं है? जब हमने 10 जुलाई को दोपहर बाद समय का अनुरोध किया तो आपकी टीम, जो पहले सहमत थी, अब मिलने से मना कर रही है। मैं, एक सामान्य नागरिक, आपसे अनुरोध करता हूं कि किसी राजनीतिक पार्टी के दबाव में न आकर धारा 324 के तहत अपने कर्तव्य का पालन करें। क्या आप करेंगे?”

इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि झा का दावा भ्रामक है क्योंकि उसे न तो आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और न ही उनके अधिकृत प्रतिनिधि तेजस्वी यादव की ओर से कोई पत्र प्राप्त हुआ है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मनोज झा पार्टी की ओर से अधिकृत प्रतिनिधि नहीं हैं।किया गया दावा भ्रामक है। अब तक श्री लालू यादव या उनके अधिकृत प्रतिनिधि श्री तेजस्वी यादव की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मनोज झा को 3 अप्रैल 2025 के आरजेडी पत्र के अनुसार अधिकृत नहीं किया गया है।"

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्य बागची की पीठ गुरुवार, 10 जुलाई को SIR से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं में जहां कुछ संशोधन प्रक्रिया को चुनौती दे रही हैं, वहीं कुछ उसका समर्थन भी कर रही हैं।अब तक 10 याचिकाएं, जो कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (UBT), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई(एमएल) जैसे दलों और एनजीओ व अधिवक्ताओं द्वारा दायर की गई हैं, सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं। यह वही मामला है जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार चुनाव चुराने की साजिश करार दिया है।

CEC बोले: SIR में बिहार के मतदाताओं की भागीदारी उत्साहजनक

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार के मतदाताओं ने SIR प्रक्रिया में उत्साहपूर्वक भाग लिया है, जो दर्शाता है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए शुद्ध मतदाता सूची अनिवार्य है।नई दिल्ली में बूथ स्तर के अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक बिहार में 57 प्रतिशत से अधिक नामांकन फॉर्म इकट्ठे किए जा चुके हैं, जबकि इस प्रक्रिया के लिए अभी 16 दिन शेष हैं।भारत निर्वाचन आयोग भारत के मतदाताओं के साथ था है और हमेशा रहेगा।

CEC ने दोहराया कि यह पुनरीक्षण 22 वर्षों बाद हो रहा है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची से अपात्र और दोहराव वाले नामों को हटाना तथा योग्य नागरिकों को शामिल करना है।बिहार चुनावों से पहले मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक विवाद गर्म है। एक ओर जहां विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की साजिश बता रहा है, वहीं चुनाव आयोग इसे लोकतांत्रिक मजबूती के लिए जरूरी कदम बता रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और आयोग की पारदर्शिता पर टिकी हैं।

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