ED ने तमिलनाडु में 1 हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले का किया खुलासा, द फेडरल की रिपोर्ट पर लगी मुहर
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ED ने तमिलनाडु में 1 हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले का किया खुलासा, द फेडरल की रिपोर्ट पर लगी मुहर

ईडी ने डिस्टिलरी और बॉटलिंग फर्मों द्वारा फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. आरोप है कि बड़े आपूर्ति ऑर्डर हासिल करने के लिए तस्मैक अधिकारियों को रिश्वत के रूप में आय भेजी गई थी,


चेन्नई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 13 मार्च (गुरुवार) को एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें राज्य-स्वामित्व वाली शराब कंपनी तस्मैक (Tamil Nadu State Marketing Corporation) और निजी डिस्टिलरी कंपनियों, बोटलिंग कंपनियों और सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है. इस घोटाले की रकम लगभग 1,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है और इसकी जानकारी The Federal ने सबसे पहले दी थी.

घोटाले का खुलासा?

ED ने इस मामले की जांच कई FIRs (प्रथम सूचना रिपोर्ट) के आधार पर शुरू की थी, जो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत तस्मैक के संचालन में अनियमितताओं को लेकर दर्ज की गई थीं. FIRs में तस्मैक के संचालन में तीन मुख्य आरोपों का खुलासा हुआ:-

1. MRP से अधिक मूल्य वसूली: तस्मैक के आउटलेट्स पर ग्राहकों से अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक कीमत वसूलने की शिकायत.

2. रिश्वतखोरी: डिस्टिलरी कंपनियों द्वारा आपूर्ति अनुबंध प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने का आरोप.

3. तस्मैक अधिकारियों द्वारा रिश्वत की मांग: वरिष्ठ तस्मैक अधिकारियों द्वारा खुदरा विक्रेताओं से लाभकारी ट्रांसफर और पोस्टिंग के बदले रिश्वत लेने की बात.

चौंकाने वाले सबूत

तस्मैक के कार्यालयों में की गई जांच में कई चौंकाने वाले सबूत सामने आए हैं. इनमें परिवहन और बार लाइसेंस टेंडरों में हेराफेरी, कुछ डिस्टिलरी कंपनियों के पक्ष में पक्षपाती रवैया और तस्मैक के स्टोर्स में शराब के मूल्य में 10-30 रुपये प्रति बोतल की अधिक वसूली शामिल हैं. ED के मुताबिक, परिवहन टेंडर्स, जिनकी लागत तस्मैक को सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा थी, में हेराफेरी की गई. कुछ टेंडरों में केवल एक ही आवेदनकर्ता था और कई बार ऐसे निविदाकर्ता सफल हो गए, जिनके पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं थे. इसके अलावा, बार लाइसेंस टेंडर्स भी उन आवेदकों को दिए गए जिनके पास GST या PAN नंबर नहीं थे, जो एक स्पष्ट हेराफेरी का संकेत है.

Modus Operandi

जांच में यह भी सामने आया कि प्रमुख डिस्टिलरी कंपनियां जैसे SNJ, Kals, Accord, SAIFL, और Shiva Distillery तथा बोतलिंग कंपनियां जैसे Devi Bottles, Crystal Bottles और GLR Holding इस घोटाले में शामिल थीं. ED ने बताया कि इन डिस्टिलरी कंपनियों ने अपने खर्चों को बढ़ाकर और झूठी खरीददारी दिखाकर अवैध तरीके से धन जुटाया. इस धन का इस्तेमाल तस्मैक अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया, ताकि वे बड़ी आपूर्ति आदेश हासिल कर सकें. बोटलिंग कंपनियां इस प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा थीं. क्योंकि उन्होंने बिक्री के आंकड़ों को बढ़ाकर डिस्टिलरी कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान दिलवाया, जिसे बाद में कमीशन काटने के बाद नकद में निकाल लिया गया.

अपराध की आय

ED के बयान में कहा गया है कि इस घोटाले में वित्तीय दस्तावेजों में बदलाव, छिपे हुए नकद प्रवाह और कर चोरी का खेल खेला गया, जिसके परिणामस्वरूप इसमें शामिल पक्षों को भारी लाभ हुआ. डिस्टिलरी कंपनियों और तस्मैक अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत ने इस आरोप को और मजबूत किया कि वे गलत तरीके से लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहे थे. ED ने बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 का उल्लंघन हुआ है और अपराध की आय को धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत वर्गीकृत किया गया है.

राजनीतिक प्रभाव

घोटाले के खुलासे ने जनता में भारी आक्रोश पैदा किया है और राजनीतिक हलकों में भी इसका असर हो सकता है. विपक्षी दलों को इस घोटाले को लेकर सत्तारूढ़ DMK सरकार को घेरने का बड़ा अवसर मिल सकता है. यह 1,000 करोड़ रुपये का घोटाला तमिलनाडु के शराब उद्योग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जो राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है.

आगे की जांच

ED ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच अभी भी जारी है और सभी व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान की जा रही है जो इस घोटाले में शामिल हैं. एजेंसी ने कहा कि हमारी टीम इस समय यह जांच कर रही है कि इस घोटाले में कौन लोग और संस्थाएं शामिल हैं और यह भी संकेत दिया है कि आगामी हफ्तों में और गिरफ्तारियां और छापेमारी हो सकती हैं. इस खुलासे से तमिलनाडु के शराब क्षेत्र में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. यह राज्य के सबसे प्रमुख और लाभकारी उद्योगों में से एक की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है.

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