fadanvis and shinde
x
शिंदे का कैबिनेट बैठक में शामिल न होना भाजपा को एक राजनीतिक संकेत देने की कोशिश माना जा रहा है।

BMC चुनाव से पहले बीजेपी-शिंदे में बढ़ी खटपट, साल की आखिरी कैबिनेट बैठक से दूर रहे शिंदे

महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में बवाल मचा हुआ है। एकनाथ शिंदे साल की आखिरी कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे तो चर्चाएं शुरू हो गईं। इसे निकाय चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर विवाद के तौर पर देखा जा रहा है।


Click the Play button to hear this message in audio format

महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में साल 2025 के आख़िरी दिन भी तनाव साफ़ दिखाई दिया। साल की अंतिम कैबिनेट बैठक में डिप्टी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की गैरहाज़िरी ने एक बार फिर राजनीतिक अटकलों को हवा दे दी। शिंदे इससे पहले भी कई मौकों पर अपनी नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं, ऐसे में उनके बैठक में न पहुंचने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। उनकी अनुपस्थिति को आगामी बीएमसी समेत अन्य नगर निकाय चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है।

दरअसल, नगर निकाय चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच खींचतान जारी है। कई निकायों में सहमति नहीं बन पाने की वजह से दोनों दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं। ऐसे में शिंदे का कैबिनेट बैठक में शामिल न होना भाजपा को एक राजनीतिक संकेत देने की कोशिश माना जा रहा है। हालांकि शिवसेना नेता उदय सामंत ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे अस्वस्थ हैं और इसी कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके।

भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच कुल 11 नगर निकायों में गठबंधन और सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी है। लेकिन 18 निकायों में दोनों दल किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए, जिसके चलते वहां अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है।

स्थानीय शिवसेना नेताओं का आरोप है कि भाजपा ने जानबूझकर बातचीत को लंबा खींचा। उनका कहना है कि भाजपा ने पहले ही अधिकांश सीटों पर अपनी तैयारियां पूरी कर ली थीं और बाद में गठबंधन तोड़कर अलग रास्ता अपनाया। इससे भाजपा को तो चुनावी फायदा मिला, लेकिन शिवसेना को नुकसान उठाना पड़ा।

इसी नाराज़गी को जाहिर करने के लिए एकनाथ शिंदे के बैठक में शामिल न होने की चर्चा भी सामने आ रही है। हालांकि उदय सामंत ने दोहराया कि शिंदे की तबीयत ठीक नहीं है और वे ठाणे स्थित अपने आवास पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया को उन 11 नगर निकायों पर भी ध्यान देना चाहिए, जहां भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन और सीट बंटवारा तय हो चुका है।

सामंत ने विपक्षी गठबंधन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वहां भी सीट बंटवारे को लेकर भारी खींचतान है। मराठी अस्मिता के नाम पर चुनाव लड़ने वाले दल आपस में उलझे हुए हैं और ज्यादातर सीटों पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना अकेले चुनाव मैदान में है।

Read More
Next Story