सड़क पर अव्यवस्था-बिजली चोरी का दाग, क्या आतंक का दूसरा नाम है ई-रिक्शा
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सड़क पर अव्यवस्था-बिजली चोरी का दाग, क्या आतंक का दूसरा नाम है 'ई-रिक्शा'

इसमें दो मत नहीं कि ई रिक्शा की वजह से सहूलियत मिली है। लेकिन कोई सहूलियत सुरक्षा के लिए खतरा और अव्यवस्था का निर्माण करे तो क्या उसे सही माना जाएगा।


E Rickshaw Chaos: दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर आप ई रिक्शा को सड़कों पर सरपट भागते देखे होंगे। इससे लोगों को राहत मिली है। पर्यावरण की सेहत में भी सुधार हुआ है। लेकिन इसका दूसरा पक्ष जिसके बारे में हम बताएंगे उसे आप महसूस करते होंगे। दिल्ली या एनसीआर का कोई भी इलाका हो ई रिक्शा चालकों के आतंक से दो चार होते होंगे। ई रिक्शा ड्राइवरों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी भी बड़ा मुद्दा है। आप अक्सर ई रिक्शा से होने वाले हादसों के बारे में भी सुनते होंगे। इसके साथ ही किस तरह से बैटरी चार्जिंग का कारोबार अवैध तरीके से फल फूल रहा है उसे जानकर भी हैरान रह जाएंगे।

अवैध चार्जिंग अहम मुद्दा
दिल्ली या एनसीआर में ई-रिक्शा की अवैध चार्जिंग एक अहम है। इसकी वजह से काफी नुकसान हो रहा है। दिल्ली में करीब 1.2 लाख पंजीकृत ई-रिक्शा हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इस आंकड़े से दोगुनी हो सकती है। सरकारी एजेंसियों को भेजी गई डिस्कॉम रिपोर्ट के अनुसार इनमें से करीब आधे बिजली चोरी में लगे हुए हैं, जिसके कारण पूरे शहर में 15-20 मेगावाट बिजली का नुकसान हो रहा है। इसका अर्थ यह है कि सालाना करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान। दिल्ली में हर साल करीब 3 मेगावाट लोड वाले करीब 200 ई-रिक्शा चार्जिंग लोकेशन पर चोरी का मामला दर्ज किया जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ई-रिक्शा बड़े पैमाने पर सीधे चोरी और घटिया बैटरी के इस्तेमाल के जरिए अवैध चार्जिंग में लगे हुए हैं, जो सुरक्षा के लिए काफी खतरा पैदा करता है।
आपकी सुरक्षा रामभरोसे
अवैध चार्जिंग के दौरान खुले छोड़े गए बिजली के तार और सुरक्षा मानकों का पालन न करने से अक्सर चिंगारी और शॉर्ट सर्किट होता है। ये तार जनता के लिए भी खतरा पैदा करते हैं, खासकर दिन के समय इन इलाकों में खेलने वाले बच्चों के लिए। ऐसे खुले तारों की वजह से पहले भी करंट लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एकल, अनियोजित स्थानों पर बड़े पैमाने पर ई-रिक्शा को अवैध रूप से चार्ज करने से ब्रेकडाउन और वोल्टेज की समस्या हो सकती है उन्होंने कहा कि मालिक 'पार्किंग और चार्जिंग' माफिया को प्रति ई-रिक्शा 200-300 रुपये प्रतिदिन का तय शुल्क देते हैं। उन्होंने कहा कि चार्जिंग में आमतौर पर 6-7 घंटे लगते हैं और यह काम रात में होता है।
शाहाबाद में हुआ था हादसा
हाल ही में शाहबाद डेयरी में एक अवैध चार्जिंग स्टेशन पर करंट लगने से 40 वर्षीय ई-रिक्शा चालक की मौत हो गई। वह अपने वाहन में बैठा था, जबकि वाहन चार्ज हो रहा था। पीड़ित के परिवार ने चार्जिंग स्टेशन के मालिक पर लापरवाही का आरोप लगाया था। परिवार ने दावा किया था कि चार्जिंग तार कुछ जगहों पर खुला हुआ था, जिसकी वजह से करंट लग गया।रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपरेटरों ने बिजली चोरी करने के लिए कम वोल्टेज मेन से अवैध वायर-टैपिंग का इस्तेमाल किया। कुछ मामलों में, स्थानीय दबंगों के पास कई ई-रिक्शा हैं, जो उन्हें ड्राइवरों को किराए पर देते हैं और चार्जिंग भी करते हैं। ये लोग पास के एलवी मेन से बिजली लेते हैं, जिससे सुरक्षा को अतिरिक्त जोखिम होता है। ऐसे इलाके जहां इस तरह के अवैध कारोबार पनप रहे हैं, उनमें दक्षिण और पश्चिम दिल्ली में संगम विहार, जामिया, कालकाजी, तुगलकाबाद, सराय काले खां, पश्चिम विहार, मटियाला और महावीर एन्क्लेव शामिल हैं। पूर्वी दिल्ली में, इस तरह की गतिविधि के लिए शास्त्री पार्क, करावल नगर और मुस्तफाबाद हैं, जबकि उत्तरी दिल्ली में सिविल लाइंस, मुखर्जी नगर और रोहिणी हॉटबेड हैं।
क्या है लोगों की राय
बिजली चोरी और सड़क पर बेतरतीब ई रिक्शा पर हमने कुछ यात्रियों से जानने की कोशिश की। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचशील ग्रीन्स वन सोसायटी के रहने वाले आशुतोष कहते हैं कि इसमें दो मत नहीं कि सुविधा हुई है। लेकिन जिस तरह से इसके ड्राइवर ड्राइव करते हैं वो खुद उनके साथ साथ दूसरों के लिए खतरनाक है। जहां तक बिजली चोरी की बात है को अवैध तौर पर चोरी होती है। लेकिन आप इसके लिए सिर्फ ई रिक्शा वालों को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। आप के पास पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन की कमी है। अब जब सरकार व्यवस्था नहीं दे पाएगी तो किसी को भी तोहमत लगाने से बचना चाहिए।
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