गुजरात में दूध की बगावत: किसानों ने सड़क पर फेंका हजारों लीटर दूध, सप्लाई ठप
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गुजरात में दूध की बगावत: किसानों ने सड़क पर फेंका हजारों लीटर दूध, सप्लाई ठप

डेयरी अब 2024–25 में जबरदस्त चौतरफा विकास के बाद अपने शिखर पर पहुंची है, लेकिन किसान अपने हिस्से के लिए अब भी संघर्ष कर रहे हैं। क्या सरकार इनकी मदद करेगी किसानों की मांगों को पूरा करेगी।


गुजरात के केंद्रीय हिस्से में डेयरी किसानों और पशुपालकों में भारी आक्रोश फैल गया है। साबरकांठा में किसानों ने हजारों लीटर दूध सीधे सड़कों पर गिरा दिया, जिससे वहां की दूध आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है। वांटा रामपुर (बयाड तालुका) के किसानों ने कई दिनों तक साबर डेयरी को दूध सप्लाई करने से साफ इनकार कर दिया और सैकड़ों लीटर दूध सड़क पर बहा दिया। मोडासा तालुका के इस्रोल और उमेदपुर गांवों में महिलाओं ने प्रतीकात्मक अंत्येष्टि रथ निकाला और साबर डेयरी के प्रतीक का पुतला दहन कर विरोध जताया। उनका मुख्य आरोप है कि डेयरी ने 25% तक दूध खरीद भाव बढ़ाने की मांग को मानने से मना कर दिया।

कीमतों को मानने से इनकार?

अरविंदभाई पटेल, पिछले 15 वर्षों से डेयरी के साथ जुड़े किसान कहते हैं कि हमने एक साल से इस मांग को लेकर अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए अब हमें सड़क पर उतरना पड़ा। फ़िलहाल शुरुआती आंकड़ों से दूध की दरें (प्रत्येक किलो फैट पर):

भैंस का दूध: ₹810–850

गाय का दूध: ₹277–370 (गुणवत्ता पर निर्भर)

गिरती आय और बढ़ती लागत

बालुभाई चौधरी (ईडर तालुका) बताते हैं कि जून 2018 में दूध खरीद्ने की दरें लगभग ₹20 कम की गईं। सितंबर 2018 में फिर ₹40 प्रति किलो फैट कटौती हुई थी। बाद में कोविड काल में ग्राहक गिरकर किसान घाटे में चले गए। 2020 में 10–20 रुपये प्रति किलो फैट की और कटौती हुई। इसलिए 2025 में मात्र ₹10 की बढ़ोत्तरी किसान के लिए पर्याप्त नहीं, क्योंकि लागत बढ़ी है।

डेयरी का क्या कहना है?

सबास डेयरी के MD सुबोधचंद्र पटेल ने कहा कि कॉनसंप्शन लॉकडाउन के बाद गिरा, इसलिए 2020 में कीमतें कम करनी पड़ीं। हालांकि, 2024 में किसानों को लाभ देते हुए थोड़ी बढ़ी। वे जल्द ही किसानों की मांग पर बैठक करेंगे और फ़ैसला लेंगे। फिलहाल विरोध के कारण दूध नहीं मिल रहा, जिससे शहरों में दूध की कमी हो सकती है।

संतुलन में बड़ी छलांग

2023–24 में साबर डेयरी का टर्नओवर बढ़कर ₹8,938 करोड़ हो गया, जबकि 2022–23 में यह ₹6,805 करोड़ था। अब यह गुजरात की तीसरी सबसे बड़ी डेयरी बन चुकी है (आमूल और बनास डेयरी के बाद)। बोर्ड पर कांग्रेस नेता जशुभाई पटेल कहते हैं कि डेयरी लाभ कमा रही है लेकिन किसानों को उनका हिस्सा नहीं मिल रहा।

किसानों का आरोप

पीएम मोदी ने नवंबर 2022 में ₹1000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं—जैसे डेयरी पाउडर प्लांट, पैकेजिंग यूनिट, पनीर एवं व्हे प्लांट का उद्घाटन किया था। गृह मंत्री अमित शाह ने भी नवंबर 2024 में डेयरी के नए चारा प्लांट का उद्घाटन किया था। किसानों का कहना है कि जैसे डेयरी को लाभ मिला, अब किसान को भी उनका हिस्सा मिलना चाहिए।

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