
विजय के खिलाफ उत्तर प्रदेश से फतवा, तमिलनाडु में मचा सियासी घमासान
फतवे में विजय की फिल्म 'बीस्ट' और उनके इफ्तार कार्यक्रम का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि वह इस्लाम विरोधी हैं। लेकिन फिल्म स्टार-राजनेता के समर्थकों का कहना है कि यह राजनीति से प्रेरित है।
उत्तर प्रदेश के एक सुन्नी मौलाना द्वारा तमिल अभिनेता और नेता विजय के खिलाफ फतवा जारी किए जाने से तमिलनाडु में राजनीतिक बहस तेज हो गई है। मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उन्होंने 16 अप्रैल को एक वीडियो मैसेज जारी कर तमिलनाडु के मुसलमानों से अपील की कि वे विजय से दूरी बनाएं और उसे किसी कार्यक्रम में न बुलाएं। मौलाना बरेली (उत्तर प्रदेश) से हैं, जो तमिलनाडु से करीब 2000 किलोमीटर दूर है। उन्होंने दावा किया कि यह फतवा चेन्नई के एक मुस्लिम व्यक्ति की शिकायत पर जारी किया गया है। उनका आरोप है कि विजय की छवि मुसलमानों के खिलाफ है। मुसलमानों को उससे दूरी बनानी चाहिए।
विवाद की वजह
मौलाना ने फतवे की दो प्रमुख वजहें बताईं:-
1. विजय की 2022 की फिल्म 'Beast' में मुस्लिम किरदारों को आतंकवादी के रूप में दिखाया गया। इस पर उस समय तमिलनाडु के मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी जताया था।
2. मार्च 2025 में विजय द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में कुछ ऐसे लोगों को बुलाया गया था, जो जुए और शराब जैसे हराम कामों से जुड़े हुए बताए गए। इसे इस्लामी परंपराओं के खिलाफ बताया गया।
फतवा अब क्यों?
हालांकि, 'Beast' फिल्म को आए लगभग तीन साल हो चुके हैं। लेकिन अब फतवा जारी होने पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, विजय हाल ही में अल्पसंख्यकों के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं, जिससे उनका राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है। उन्होंने इफ्तार पार्टी रखी थी। वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया। इन्हीं कारणों से उन्हें अल्पसंख्यक-समर्थक नेता के रूप में देखा जा रहा है, खासकर 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों को देखते हुए।
क्या यह राजनीतिक चाल है?
विजय के समर्थकों का कहना है कि यह फतवा एक राजनीतिक साज़िश है। वीएमएस मुस्तफा (तमिलनाडु मुस्लिम लीग के नेता) ने आरोप लगाया कि यह फतवा बीजेपी और अन्य पार्टियों की मिलीभगत का हिस्सा है। मौलाना शहाबुद्दीन को मुस्लिम समाज मान्यता नहीं देता। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मुसलमान विजय को पसंद करते हैं और वह अल्पसंख्यकों के हक़ में सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं।
राजनीतिक असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय की पार्टी 'तमिलगा वेट्ट्री कझगम (TVK)' की बढ़ती लोकप्रियता DMK, AIADMK और BJP के वोटबैंक में सेंध लगा सकती है, खासकर तमिलनाडु के उत्तरी, दक्षिणी और तटीय इलाकों में जहां अल्पसंख्यक आबादी प्रभावशाली है।