यूपी पंचायत चुनाव से पहले खाद संकट पर बवाल, बीजेपी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!
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ख़ाद की मांग को लेकर किसान परेशान

यूपी पंचायत चुनाव से पहले 'खाद' संकट पर बवाल, बीजेपी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!

उत्तर प्रदेश में खाद का संकट गंभीर हो गया है। खाद की कालाबाज़ारी को लेकर भी किसानों में आक्रोश है। यूपी में अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं। ऐसे में आने वाले समय में इस मुद्दे पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


उत्तर प्रदेश में यूरिया, डीएपी का संकट पंचायत चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। यूपी सरकार ने संकट और किसानों के विरोध को देखते हुए नई रणनीति बनाई है, पर इस बीच कई जिलों में किसानों ने खाद के लिए विरोध-प्रदर्शन किया है। अयोध्या, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच जिलों में आंदोलित किसानों ने सहकारी गोदामों में ख़ाद ना होने की शिकायत की है तो खाद की बोरियों को यूपी की नेपाल से लगी सीमा पर भी पाया गया है। वहीं, विरोध कर रहे किसानों पर कई जगह पुलिस ने बल प्रयोग किया। इससे आने वाले समय में पंचायत चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

उत्तर प्रदेश में खाद की कमी को लेकर किसानों का विरोध जारी है। अयोध्या, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच जिलों में खाद की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन के बाद पुलिस को कई जगह लाठीचार्ज करना पड़ा, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। सहकारी समिति के गोदामों में ख़ाद की उपलब्धता किसानों की मांग से बहुत कम है। आरएसएस के संगठन भारतीय किसान संघ ने भी अब इसका सवाल उठाया है।

किसान संघ के प्रांत महामंत्री रविशेखर ने 9 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के विकास खंड मुख्यालयों में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद खाद की कमी बनी हुई है। ये भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर यूपी सरकार को यह बताया जाएगा कि अक्टूबर में रबी की फसल की बुवाई शुरू होनी है और खाद की कमी और दूसरी परेशानियां किसानों को न हों।

नेपाल के बॉर्डर पहुंच रही ख़ाद की बोरियां

इधर यूपी सरकार ने खाद की उपलब्धता और बिक्री की जानकारी देते हुए दावा किया है कि अब तक 42.64 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की बिक्री हुई, जो पिछले सालों की तुलना में 4.37 लाख मीट्रिक टन अधिक है। इसके बाद किसान संगठनों के उस आरोप को बल मिला है कि खाद की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी ( blackmarketing) हो रही है। हालांकि, किसानों की शिकायत को देखते हुए यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही में जब इसकी समीक्षा की तो इसमें से कई बातों को सही पाया। कई जगह पर इस विवाद की वजह से तनाव बढ़ा कि जो खाद की बोरियां मिलीं वो सरकारी गोदामों को थीं या निजी दुकानों की इस पर विवाद हो गया। ये भी बात सामने आई कि यूपी से खाद की अवैध रूप से बोरियां नेपाल बॉर्डर तक पहुंच रही हैं। ये बात भी सामने आई कि जिन किसानों के नाम छोटी ज़मीन भी नहीं हैं, उनके नाम से 40-50 बोरी खाद की बोरियां समिति से ली गई हैं।

बाराबंकी में एक किसान दंपती को 85 बोरी यूरिया बेचे जाने का मामला सामने आया, जबकि उनके पास केवल 6 बीघा जमीन थी। इस मामले में दुकानदार का लाइसेंस रद्द कर एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, इसके बाद सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है, लेकिन किसानों का कहना है कि उनको ख़ाद अभी भी नहीं मिल रहा। इस बीच समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी इस पर विरोध किया है।

सरकार की बढ़ सकती है मुश्किल

यूपी में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव होने हैं और खाद संकट से सीधे किसान और ग्रामीण जनता परेशान होती है तो सवाल उठ रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि यूरिया की उत्पादन से ज़्यादा मांग, खरीफ और रबी की फसलों की बुवाई पैटर्न में बदलाव और कुछ हद तक मौसमी कारकों की वजह से यह समस्या बढ़ी है। बाजार में में इन खादों की कीमतें काफी ऊंची हैं। इसलिए किसानों को सरकारी और सहकारी केन्द्रों का सहारा है। ऐसे में खाद की उपलब्धता न होने और कालाबाजारी के आरोपों के चलते किसान सरकारी दरों से अधिक मूल्य पर खाद खरीदने को मजबूर हैं।

इस साल भारी बारिश के चलते उर्वरकों के उपयोग पर भी असर पड़ रहा है, जिससे भी खाद का संकट बढा है। खाद की कमी की एक वजह चीन से आ रहे कच्चे माल की चेन प्रभावित होना भी है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ख़ाद की कमी का सवाल उठाया है। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कृषि मंत्री को पत्र लिखकर यह कहा कि उनके जिले प्रतापगढ़ में किसानों को खाद नहीं मिल रहा और उनको खाद उपलब्ध कराया जाए। खाद की कमी की वजह खरीफ की मुख्य फसल धान का उत्पादन कम होने की आशंका बढ़ गई है।

खाद संकट के सामना कर रहे सीतापुर के किसान शान सिंह कहते हैं कि यूरिया के संकट के चलते किसान कम्पोस्ट, गोबर की ख़ाद और अन्य जैविक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन यह उपाय पर्याप्त नहीं है। उर्वरक की कमी को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल और बेहतर योजना की ज़रूरत है।

खाद की हर बोरी पर लगेगी मुहर

इस बीच कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने एक नया फ़ैसला किया है। यूपी में अब खाद की हर बोरी पर सहकारी समिति (cooperative federation) और संबंधित गोदाम की मुहर लगेगी। जिससे खाद की बोरी से यह पता चल सके कि खाद किस समिति से या किस गोदाम से उठायी गई है। जैसे ही समिति के गोदाम में बोरी पहुंचेगी, उस पर मुहर लगायी जाएगी। इसके साथ ही औचक निरीक्षण और दुकानदारों के रजिस्टर का मिलान भी किया जाएगा।

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