पितृसत्ता ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोका: निर्मला सीतारमण
महिला सशक्तिकरण के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सीतारमण ने जोर देकर कहा कि पितृसत्ता एक अवधारणा है जिसका आविष्कार वामपंथियों ने किया है.
Nirmala Sitharaman : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूछा कि अगर पितृसत्ता भारत में महिलाओं को वह हासिल करने से रोकती है जो वे चाहती हैं, तो इंदिरा गांधी कैसे प्रधानमंत्री बनीं. ये बात उन्होंने शनिवार को बेंगलुरु के सीएमएस बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों से मुलाकात के दौरान कही. निर्मला सीतारमण नवाचार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों तथा युवाओं के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं पर चर्चा करने के लिए युवाओं के बीच पहुंची थीं. इन योजनाओं में 21 से 24 वर्ष आयु वर्ग के 'बेरोजगार युवाओं' के लिए एक करोड़ इंटर्नशिप की योजना भी शामिल है.
महिला सशक्तिकरण के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सीतारमण ने जोर देकर कहा कि पितृसत्ता एक अवधारणा है जिसका आविष्कार वामपंथियों ने किया है. वित्त मंत्री ने वहां उपस्थित युवतियों/महिलाओं को सलाह दी कि "अजीब शब्दावली के बहकावे में न आएं. यदि आप अपने लिए खड़ी होंगी और तार्किक ढंग से बात करेंगी, तो पितृसत्ता आपको अपने सपने पूरे करने से नहीं रोक पाएगी." हालांकि, उन्होंने माना कि महिलाओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी जाती हैं जबकि उन्हें अधिक सुविधाएं दिए जाने की आवश्यकता है.
इनोवेशन के लिए बाज़ार तैयार करेगी सरकार
भारत में इन्नोवेटर्स (नवप्रवर्तकों) की संभावनाओं के बारे में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार नवप्रवर्तकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही है. उन्होंने कहा, "हम सिर्फ नीतियां बनाकर ही नवाचार का समर्थन नहीं करते हैं." उन्होंने कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है कि ऐसे इनोवेशन ( नवाचारों ) को बाजार भी मिले. उदाहरण के तौर पर उन्होंने एमएसएमई के लिए उपलब्ध सहायता तंत्र का हवाला दिया. उनके अनुसार, सरकारी खरीद में उन्हें प्राथमिकता दी जाती है.
सीतारमण ने कहा कि सरकार की 40 प्रतिशत खरीद एमएसएमई से हो रही है. उन्होंने कहा, "यही कारण है कि आज भारत में 2 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं और 130 से अधिक यूनिकॉर्न बन चुके हैं. अवसर बहुत अधिक हैं, लेकिन उनका पूरा उपयोग नहीं हो रहा है."
डिजिटल बैंकिंग में भी हो रहा है परिवर्तन
वित्तमंत्री ने कहा कि भारत में डिजिटल बैंकिंग में भी यही परिवर्तन हो रहा है. उनके अनुसार, जन धन योजना के माध्यम से आम लोगों के लिए अवसर पैदा किए गए. सीतारमण ने कहा, "डिजिटल नेटवर्क फैलाने के लिए भारत के दृष्टिकोण को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जबकि कई अन्य देशों ने निजी खिलाड़ियों के माध्यम से काम किया, जिसके परिणामस्वरूप कहीं-कहीं नाममात्र शुल्क लगे. इसकी वजह से, यहां तक कि छोटे स्तर के उपयोगकर्ता भी बिना किसी भुगतान के डिजिटल बैंकिंग का उपयोग कर सकते हैं," उन्होंने कहा कि भविष्य में यह और बढ़ेगा. "इसलिए, प्रौद्योगिकी को लगातार अपडेट करना होगा ताकि हम बेकार न हो जाएं." उन्होंने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक द्वारा पेश किए गए 'फंड ऑफ फंड्स' की अवधारणा को भी समझाया, जिसे केंद्र सरकार ने छोटे व्यवसायों और समर्थन की आवश्यकता वाले अभिनव विचारों की मदद के लिए 10,000 करोड़ रुपये देकर सक्षम बनाया है.
उन्होंने कहा, "निजी इक्विटी फंड भी इसका समर्थन कर रहे हैं क्योंकि हमने उन्हें रियायतें दी हैं."
बेरोजगारों को एक करोड़ इंटर्नशिप देने की नवीनतम सरकारी योजना के संबंध में सीतारमण ने उपस्थित छात्रों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक युवाओं को मंच पर लाने में मदद करें ताकि अधिक युवा कुशल बन सकें.
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)
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