राज्यपाल कर रहे केंद्र और BJP-JDS के कठपुतली के रूप में काम: सिद्धारमैया
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राज्यपाल कर रहे केंद्र और BJP-JDS के 'कठपुतली' के रूप में काम: सिद्धारमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत पर केंद्र सरकार और भाजपा-जद(एस) की 'कठपुतली' के रूप में काम करने का आरोप लगाया.


MUDA Scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए निशाना साधा और उन पर केंद्र सरकार और भाजपा-जद(एस) की 'कठपुतली' के रूप में काम करने का आरोप लगाया. सिद्धारमैया ने नोटिस जारी करने को 'अवैध और असंवैधानिक' बताया, जिसमें उनसे पूछा गया है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा साइटों के वितरण में कथित अनियमितताओं के मामले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए.

अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर राज्यपाल ने 26 जुलाई को नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री को निर्देश दिया था कि वे सात दिनों के भीतर उनके खिलाफ लगे आरोपों पर अपना जवाब प्रस्तुत करें और बताएं कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति क्यों न दी जाए. मंत्रिपरिषद ने गुरुवार को यहां एक बैठक में राज्यपाल से नोटिस वापस लेने का आग्रह किया.

MUDA 'घोटाले' में, यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक अपमार्केट इलाके में मुआवजा देने वाली जगहें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी उस ज़मीन की तुलना में ज़्यादा था, जिसे MUDA ने 'अधिग्रहित' किया था. MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ ज़मीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत 14 साइटें आवंटित की थीं, जहां MUDA ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था.

विवादास्पद योजना के तहत MUDA ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए भूमि खोने वालों को उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की. भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि MUDA घोटाला 4000 करोड़ रुपये से 5000 करोड़ रुपये तक का है. कांग्रेस सरकार ने 14 जुलाई को MUDA घोटाले की जांच के लिए हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीएन देसाई की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था.

मुख्यमंत्री ने कथित 'घोटाले' में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया. उन्होंने कहा कि मेरी कोई भूमिका नहीं है. मेरी भूमिका कहां है? उन्होंने केंद्र सरकार पर 'राजभवन का दुरुपयोग' करने का आरोप लगाया और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल पूरी तरह से केंद्र सरकार, भाजपा-जद(एस) की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे गुरुवार की कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए. क्योंकि वे 'गलत मिसाल' कायम नहीं करना चाहते थे. उन्होंने बैठक की अध्यक्षता के लिए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को नामित किया था. सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने (शिवकुमार ने) कारण बताओ नोटिस पर विस्तृत बैठक की. उन्होंने (बैठक में मौजूद मंत्रियों ने) कहा कि यह कारण बताओ नोटिस अवैध है और इसे वापस लिया जाना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्यपाल को अब्राहम के पिछले इतिहास पर भी ध्यान देना चाहिए था. सिद्धारमैया ने कहा कि इसके अलावा, अगर आप टीजे अब्राहम के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो वह एक ब्लैकमेलर है. उसकी शिकायत पर कार्रवाई करना गैरकानूनी है. वह इस तरह के कई लोगों के खिलाफ शिकायत कर चुका है. मैंने ऐसा कोई अपराध नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि अब्राहम ने 26 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई थी और उसी दिन राज्यपाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था. सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि मेरे खिलाफ कानूनी मामले से जुड़ी शिकायत मिलने के एक ही दिन में नोटिस जारी करने से पहले गहन आकलन किया जाना चाहिए था. क्योंकि मैं 136 निर्वाचित सदस्यों वाली एक निर्वाचित सरकार का मुख्यमंत्री हूं. उन्होंने इस पर गौर नहीं किया. यह बहुत जल्दबाजी में किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा मंत्रियों शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और जी जनार्दन रेड्डी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगने वाली इसी तरह की याचिकाएं थीं. लेकिन वे वर्षों से लंबित थीं और कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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