
ग्राहम स्टेन्स हत्याकांड : दारा सिंह का सहयोगी 25 साल बाद जेल से रिहा
1999 में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो नाबालिग बेटों की निर्मम हत्या के मामले में दारा सिंह का सहयोगी महेंद्र हेम्ब्रम भी सजा काट रहा था।
1999 में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो नाबालिग बेटों की दर्दनाक हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए महेंद्र हेम्ब्रम को बुधवार को ओडिशा की क्योंझर जेल से 25 साल बाद रिहा कर दिया गया। महेंद्र की रिहाई "अच्छे आचरण" के आधार पर की गई।
51 वर्षीय हेम्ब्रम को इस जघन्य अपराध में रवींद्र पाल सिंह उर्फ दारा सिंह के साथ दोषी ठहराया गया था, जिसने उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सुर्खियां बटोरी थी।
महेंद्र हेम्ब्रम 26 साल की उम्र में जेल गया था और अब 51 साल की उम्र में जेल से रिहा हुआ। हेम्ब्रम को 9 दिसंबर 1999 को जंगल से गिरफ्तार किया गया था, जबकि दारा सिंह को 31 जनवरी 2000 को पकड़ा गया था।
जेल से रिहा होने के बाद हेम्ब्रम ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया क्योंकि वे धार्मिक धर्मांतरण और गोहत्या का विरोध कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और समयपूर्व रिहाई
19 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि वह दारा सिंह की समयपूर्व रिहाई की याचिका पर निर्णय ले, जो इस समय एक अन्य जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार अगले कुछ हफ्तों में इस पर फैसला ले सकती है।
हेम्ब्रम की रिहाई ओडिशा राज्य सजा पुनरीक्षण बोर्ड की सिफारिशों और समयपूर्व रिहाई नीति के दिशा-निर्देशों के तहत की गई। उनके साथ विभिन्न मामलों में दोषी पाए गए 30 अन्य कैदियों को भी राज्य की विभिन्न जेलों से रिहा किया गया है।
1999 में क्या हुआ था?
21 जनवरी 1999 की रात ओडिशा के क्योंझर ज़िले के मनोहरपुर गांव में ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटे, टिमोथी (6) और फिलिप (10), अपनी जीप में सो रहे थे, जब एक भीड़ ने उन्हें ज़िंदा जला दिया। यह घटना कथित तौर पर धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर फैले तनाव का परिणाम थी।
1999 से 2000 के बीच इस मामले में कुल 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 37 को तीन वर्षों के भीतर बरी कर दिया गया।
न्यायिक कार्यवाही
22 सितंबर 2003 को भुवनेश्वर स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अदालत ने दारा सिंह को मृत्युदंड और 12 अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपी, जो अपराध के समय नाबालिग था, को किशोर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
बाद में, ओडिशा हाई कोर्ट ने हेम्ब्रम को छोड़कर 11 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। नाबालिग आरोपी को 2008 में रिहा कर दिया गया। वहीं, 19 मई 2005 को हाई कोर्ट ने दारा सिंह की सजा को मृत्युदंड से घटाकर उम्रकैद में बदल दिया।