राम रहीम को कानूनी राहत लेकिन सियासी मायने भी ! हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर असर
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राम रहीम को कानूनी राहत लेकिन सियासी मायने भी ! हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर असर

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो दी गयी है, जिसके बाद वो रोहतक की सुनारिया जेल से बागपत स्थित आश्रम पहुँच गया है. 2020 से लेकर 2024 तक राम रहीम को 9 बार परोल/फरलो पर छोड़ा गया है.


Dera Sachcha Sauda Ram Rahim: हत्या, दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर से 21 दिन की फरलो मिली है. वो रोहतक की सुनारिया जेल से बाहर आ गया है. 2020 से लेकर 2024 तक की बात करें तो गुरमीत राम रहीम अब तक 9 बार परोल या फिर फरलो पर बाहर आ चुके हैं. इन 21 दिनों में गुरमीत राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम में रहेंगे. इसी वर्ष 19 जनवरी को गुरमीत राम रहीम को 50 दिन की पैरोल दी गई थी. इस फरलो को हरियाणा में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. राम रहीम का हरियाणा के नौ जिलों की करीब 30 से ज्यादा सीटों पर दखल है. पिछले विधानसभा चुनाव में गुरमीत राम रहीम के बीजेपी को समर्थन के एलान से इन 30 में से 12 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.


परोल और फरलो का एसजीपीसी कर चुका है विरोध
गुरमीत राम रहीम को बार बार मिल रही फरलो या परोल के विरोध में एसजीपीसी की ओर से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की गयी थी. लेकिन हाई कोर्ट ने इस याचिका का ये कहते हुए निपटारा कर दिया कि हरियाणा सरकार के सक्षम प्राधिकारी को नियुक्त करे, जो ये तय करे कि फरलो या परोल दिए जाने में नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है.
एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका के जवाब में हरियाणा सरकार की तरफ से ये तर्क दिया गया कि गुरमीत राम रहीम फरलो या परोल पाने वाला अकेला कैदी नहीं है. बल्कि हत्या/रेप जैसे मामलों में सजा काट रहे 80 से ज्यादा कैदियों को भी नियमों के तहत इसी तरह से परोल या फरलो के तहत छोड़ दिया जाता है.

बीजेपी सरकार पर लगते रहें हैं चुनाव में लाभ लेने के आरोप
जब जब राम रहीम को परोल या फरलो मिलती है तब तब हरियाणा राज्य की सत्ता से बाहर पार्टियाँ सत्ताधारी बीजेपी पर ये आरोप लगाते हैं कि ये सब चुनाव में लाभ लेने के लिए किया जा रहा है. दरअसल राम रहीम के अनुयायी हरियाणा और पंजाब में बहु-संख्या में हैं. इसलिए ऐसा भी माना जाता है कि राम रहीम का प्रभाव हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर काफी प्रभाव है. इसलिए हरियाणा की सत्ता से दूर पार्टियाँ अपरोक्ष तौर पर बीजेपी पर ये आरोप लगाती हैं कि राम रहीम को जेल से बाहर निकालने का मकसद सिर्फ और सिर्फ चुनाव में लाभ लेने का है.

2020 से 2024 तक 9 बार मिल चुकी है परोल/फरलो
- 24 अक्टूबर 2020 - मान की तबियत ख़राब होने पर उनसे अस्पताल में मिलने के लिए गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल दी गयी.
- 21 मई 2021 - 12 घंटे की परोल दी गई, माँ से मिलने के लिए.
- 7 फरवरी 2022 - परिवार से मिलने के लिए डेरा प्रमुख को 21 दिन की फरलो मिली.
- जून 2022 - गुरमीत राम रहीम को 30 दिन की परोल मिली. इस दौरान यूपी के बागपत आश्रम भेजा गया.
- 14 अक्टूबर 2022 - राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई. वो बागपत आश्रम में रहा. इस बार राम रहीम ने म्यूजिक वीडियो भी जारी किए.
- 21 जनवरी 2023 - अपने गुरु शाह सतनाम सिंह की जयंती के समारोह में शामिल होने के लिए राम रहीम को छठीं बार 40 दिन की परोल मिली.
- 20 जुलाई 2023 - सातवीं बार 30 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया.
- 21 नवंबर 2023 - 21 दिन की फरलो पर राम रहीम बागपत आश्रम गया.
- जनवरी 2024 - रोहतक की सुनारिया जेल में बंद गुरमीत राम रहीम को 50 दिन की परोल पर छोड़ा गया.

क्या होती है परोल और फरलो
फरलो की बात करें तो इसे सीधे शब्दों में सजा याफ्ता कैदी को दी जाने वाली छुट्टी बोल सकते हैं. फरलो उसी को मिलती है, जिसे पांच साल से अधिक की सजा दी जाती है और कैदी 3 साल की सजा पूरी कर चूका हो. कैदी के अच्छे आचरण और अनुशासन को देखते हुए उसे फरलो की सुविधा दी जाती है.

परोल - ये एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है. इसमें कैदी को सशर्त छोड़ा जाता है, जो आमतौर पर कैदी के व्यवहार पर निर्भर करती है, जिसमें समय-समय पर अधिकारियों को रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है.
पैरोल एक अधिकार नहीं है, इसे एक विशिष्ट कारण के लिये कैदी को दिया जाता है. जैसे- परिवार में किसी अपने की मृत्यु या करीबी रिश्तेदार की शादी आदि.
इसमें एक कैदी को पैरोल देने से मना भी किया जा सकता है यदि सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि दोषी को रिहा करना समाज के हित में नहीं है.


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