protest against waqf amendment bill 2025
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वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 के पारित होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में इस कानून के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। फ़ाइल फ़ोटो : PTI

महाराष्ट्र की आधी वक़्फ़ ज़मीन पर अतिक्रमण, सख्त कार्रवाई की तैयारी

महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने राज्य में वक़्फ़ ज़मीन का जीआईएस के ज़रिए मैपिंग का काम शुरू कर दिया है और ₹8 करोड़ के टेंडर के लिए निविदाएँ भी आमंत्रित की हैं।


वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार जल्द ही राज्य में वक़्फ़ ज़मीन पर कथित अतिक्रमण और इसमें शामिल लोगों/संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर सकती है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार अतिक्रमण और उससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता भी वक़्फ़ ज़मीन कब्जाने में शामिल हैं।

फडणवीस के हवाले से मीडिया में कहा गया: “नया क़ानून पारदर्शिता लाने में मदद करेगा और इससे गरीब मुस्लिमों का जीवन बदलेगा। मौजूदा क़ानून में अगर कोई वक़्फ़ ज़मीन पर कब्जा कर ले तो अपील की कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन संशोधन के बाद अब यह सुविधा मिल गई है।”

वक़्फ़ ज़मीन की GIS मैपिंग

दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र स्टेट वक़्फ़ बोर्ड (MSBW) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की लगभग आधी वक़्फ़ ज़मीन पर अतिक्रमण हो चुका है — कुल 92,247 एकड़ ज़मीन पर 23,566 संपत्तियाँ।

इनमें सबसे ज्यादा मराठवाड़ा क्षेत्र में है, जहाँ 60% वक़्फ़ संपत्तियाँ अतिक्रमण की चपेट में हैं। इसी क्षेत्र में राज्य की सबसे अधिक वक़्फ़ संपत्तियाँ हैं — 15,877 संपत्तियाँ, 57,133 एकड़ पर फैली हुई।

भाजपा-नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने GIS (जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) के ज़रिए वक़्फ़ ज़मीन की मैपिंग शुरू कर दी है और ₹8 करोड़ की टेंडर प्रक्रिया के लिए निविदाएँ आमंत्रित की हैं। सरकार का लक्ष्य अतिक्रमण हटाना और ज़मीन को वक़्फ़ बोर्ड के अधीन वापस लाना है।

कानूनी कार्रवाई का हाल

वक़्फ़ बोर्ड ने अब तक वक़्फ़ अधिनियम, 1995 की धारा 54 के तहत 1,088 मामले दायर किए हैं, जो वक़्फ़ संपत्तियों पर अतिक्रमण से संबंधित हैं। इनमें से केवल 21 मामलों में ही अतिक्रमण हटाने का आदेश लागू किया गया है। 250 मामले अभी भी वक़्फ़ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में लंबित हैं।

सरकार को भेजी गई वक़्फ़ बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 483 मामलों में ज़िला कलेक्टर ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया, जबकि अतिक्रमण हटाने के आदेश धारा 55 के तहत पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

ट्रिब्यूनल और बोर्ड ने समय-समय पर 21 संपत्तियाँ बहाल करने के आदेश भी दिए, लेकिन किसी पर अमल नहीं हुआ।

जांच आयोग की रिपोर्ट

2007 में राज्य सरकार ने एटीएके शेख आयोग गठित किया था, ताकि राज्य में वक़्फ़ ज़मीन पर कथित अतिक्रमण की जांच की जा सके। यह कदम तब उठाया गया जब कुछ मामलों में वक़्फ़ ज़मीन पर राजनेताओं, व्यक्तियों और उनके संगठनों द्वारा कब्जा करने की शिकायतें सामने आईं।

2015 में सौंपे गए अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कांग्रेस और राकांपा के कुछ नेताओं को ज़मीन के दुरुपयोग के मामलों से जोड़ा। आयोग ने दोषियों पर कार्रवाई और वक़्फ़ बोर्ड को ज़मीन लौटाने की सिफारिश की, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मई 2015 में, भाजपा-शिवसेना सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने घोषणा की थी कि एक विशेष क़ानून लाया जाएगा जिससे अवैध रूप से कब्जाई गई या बेची गई ज़मीन बहाल की जा सकेगी, लेकिन सरकार ने कोई विधेयक नहीं पेश किया।

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