जाटलैंड में इस बार जोरदार टक्कर, इस दफा हरियाणा में हुड्डा, सैनी या कोई और
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जाटलैंड में इस बार जोरदार टक्कर, इस दफा हरियाणा में हुड्डा, सैनी या कोई और

लोकसभा चुनाव के चार महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव को बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अग्निपरीक्षा की तरह माना जा रहा है।


Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजते ही राजधानी दिल्ली से सटे इस राज्य में चुनावी हलचल और गहमागहमी शुरू हो गई है अपना घर संवारे जा रहे हैं तो दूसरे के घर में सेंध लगाने की तरकीब भिड़ाई जा रही है। चुनावी बिसात पर मोहरों को बिछाकर शह और मात देने के केलिए चालें चली जा रही हैं। चूंकि दांव-पेंच का यह पहला चरण है तो अभी दलबदूल नेताओं की बहार है पार्टी बदलने का सुनहरा मौसम चल रहा है। जजपा के 10 में से पांच विधायक तो ताक में थे और समीकरण बैठते ही पतझड़ के पेड़ के पत्तों की तरह पार्टी से टूटकर अपने नए सफर पर निकल गए।

क्या कांग्रेस दर्ज कर सकेगी जीत
चूंकि हरियाणा में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के चार महीने बाद होने जा रहा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबर्दस्त वापसी की वापसी भी ऐसी कि उसने भाजपा से 5 सीटें छीन लीं। 2019 में भाजपा ने राज्य की 10 में से 10 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। लेकिन इस जीत के बाद कांग्रेस आत्मिवश्वास काफी बढ़ गया है और वह दोगुने जोश में है उसे पूरी उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में वह भाजपा को पटखनी देने में कामयाब हो जाएगी।

कांग्रेस में यह आत्मविश्वास ऐसे नहीं आया है एक तो हरियाणा में कांग्रेस हमेशा से मजबूत रही है। अलग -अलग धड़ों और क्षत्रपों के आपसी खींचतान के बावजूद कांग्रेस इस स्थिति में हमेशा रहती है कि वह भाजपा को टक्कर दे सके। हरियाणा में इस वक्त भाजपा की सरकार जरूर है लेकिन जजपा के सरकार से बाहर जाने के बाद भाजपा के ऊपर कम से कम अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने का दबाव जरूर होगा... जजपा के कई विधायक जिस तरह से सत्तारूढ़ दल भाजपा में न जाकर कांग्रेस में गए हैं उससे कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं और भाजपा बैकफुट पर है।

ये हैं हरियाणा के आंकड़े

  • 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी
  • 2024 में कांग्रेस ने सेंध लगाई और जीत का आंकड़ा 5-5 पर कर दिया
  • 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन बहुमत से दूर थी
  • बीजेपी- 40, कांग्रेस-31 जेजेपी-10, इनेलो-1. हरियाणा लोकहित पार्टी-1 निर्दलीय- 7 थे.
  • जेजेपी की मदद से बीजेपी ने सरकार बनाई हालांकि 2024 आम चुनाव से पहले जेजेपी अलग हो गई थी
  • फिलहाल बीजेपी की सरकार निर्दलियों की मदद से चल रही है।

बीजेपी के समीकरण अब तक उल्टे पड़े

हरियाणा में पिछले कुछ समय से भाजपा के लिए राजनीतिक समीकरण ठीक नहीं रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को हराकर भाजपा ने नायब सिंह सैनी को कमान सौंपी चूंकि सैनी पिछड़े वर्ग से आते हैं...तो उसे उम्मीद थी कि वह लोकसभा की सभी 10 सीटें जीताने में अहम भूमिका निभाएंगे लेकिन वह 10 सीट तो नहीं जिता पाए लेकिन इतना जरूर है कि वह खट्टर के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी लहर को कम करने में कामयाब रहे और कम से कम पांच सीट भाजपा के लिए सुरक्षित कर पाए।
आप भी चुनावी मैदान में
हरियाणा छोटा राज्य जरूर है लेकिन यहां यहां कई बड़े दल और क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव लड़ती हैं...परंपरागत रूप से मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच तो है ही इस बार आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी। जाट राजनीति के दबदबे वाले इस राज्य में अभी कई नए समीकरण उभरेंगे। चर्चा है कि आप और जजपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे अगर ऐसा हुआ तो कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो जाएगा। इससे कांग्रेस और भाजपा दोनों की राह मुश्किल होगी बहरहाल हरियाणा का चुनावी दंगल इस बार बहुत दिलचस्प होने वाला है मुकाबला कांटे का होगा, राह भाजपा के लिए आसान नहीं कांग्रेस के लिए भी मुश्किलें हैं लोकसभा चुनाव 50-50 का रहा है।

क्या है एक्सपर्ट का नजरिया

हरियाणा की सियासत पर नजर रखने वाले लोग कहते हैं कि इसमें शक नहीं कि बीजेपी के सामने मुश्किल है। किसान आंदोलन का मुद्दा, अग्निवीर का मुद्दा, एससी-एसटी कोटे में कोटा और वक्फ एक्ट खास है।हाल ही में नायब सिंह सैनी सरकार ने इन मुद्दों को लेकर ऐलान किया है और असंतुष्ट समाज को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। वहीं जाट समाज की बड़ी नेता किरण चौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला लेकर इस समाज की नाराजगी को कम करने की कोशिश की है। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि जनता बीजेपी की इस कवायद को समझ रही है आखिरकार चुनाव आते ही इतना प्रेम क्यों उमड़ पड़ा। लेकिन यह भी सच है कि जनता इन फैसलों को कम अवधि या अपने मतलब से लिया गये फैसले को गलत भी नहीं मानती है। कुल मिलाजुलाकर विधानसभा की लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के लिए अहम है।
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