हरियाणा के ये चार दिग्गज चारों की किस्मत दांव पर, जानें- क्या है जातीय गणित
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हरियाणा के ये चार दिग्गज चारों की किस्मत दांव पर, जानें- क्या है जातीय गणित

हरियाणा की सियासत में क्या बदलाव होगा या बीजेपी एक बार फिर सत्ता पर काबिज होगी। इसका फैसला 8 अक्टूबर को होगा। इन सबके बीच चार सीटों पर खास नजर डालते हैं।


Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव अब पांच अक्तूबर को होगा। यानी कि राजनीतिक दलों को चुनावी परीक्षा की तैयारी के लिए थोड़ा और वक्त मिल गया है। इन सबके बीच 2024 का चुनाव कई वजहों से खास होने जा रहा है। क्या बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आएगी या कांग्रेस जीत की राह में रोड़ा बनेगी या आइएनएलडी-बसपा कुछ अलग कर सकेंगे। हरियाणा चुनाव में पहले तीन लाल का नाम था। भजनलाल, बंशीलाल और देवीलाल, अब ये तीनों लाल इस दुनिया में नहीं लेकिन इनके लाल उस विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। यहां पर हम चार सीटों करनाल, गढ़ी-सांपला-किलोई, ऐलनाबाद और उचाना कलां की चर्चा करेंगे। करनाल से सीएम नायब सैनी अपनी किस्मत आजमां रहे हैं तो गढ़ी सांपला-किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, ऐलनाबाद से अभय चौटाला और उचाना कलां से दुष्यंत चौटाला चुनावी मैदान में हैं। अब इन सीटों की गणित क्या है उसे समझने की कोशिश करेंगे।

करनाल
नायब सैनी, हरियाणा का सीएम बनने से पहले कुरुक्षेत्र लोकसभा से सांसद थे। 2023 प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपी गई। मार्च 2024 में नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया तो उनका विधायक होना जरूरी था। इसी साल मई में उन्होंने करनाल विधानसभा से किस्मत आजमाई और जीत दर्ज की। लेकिन अब उनके ऊपर जिम्मेदारी किसी एक सीट की नहीं है, बल्कि पूरे हरियाणा की है। हालांकि करनाल की जातीय गणित क्या है उसे भी जानना जरूरी है। करनाल सीट पर 21 फीसद पंजाबी है, 50 फीसद एससी, बीसी ए- 22 फीसद और बीसी बी की आबादी पांच फीसद है। अगर चुनावी इतिहास देखें तो पंजाबी समाज का शख्स चुनाव जीतने में कामयाब रहा है, हालांकि तीन फीसद सैनी समाज वाले सीएम को जीत मिली। 1967 से लेकर 2019 तक कुल 13 चुनाव हुए हैं और बीजेपी को पांच दफा जीत मिली है।

गढ़ी-सांपला-किलोई

जहां एक तरफ करनाल हॉट सीट है तो गढ़ी सांपला-किलोई भी कम नहीं। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की किस्मत दांव पर है। सामान्य तौर पर यह हुड्डा परिवार की सीट मानी जाती रही है। इस विधानसभा में वोटर्स की संख्या 2 लाख से अधिक है और जाट मतदाता की संख्या अधिक है। 1969 से लेकर 2019 के चुनाव में 13 चुनाव हुए और सात दफा लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया। 2005 के बाइपोल में भूपेंद्र हुड्डा जीते थे। दो दफा लोकदल, एक एक बार कांग्रेस ओ, जनता पार्टी को भी जीत हासिल हो चुकी है। हालांकि बीजेपी इस सीट को नहीं जीत सकी है। मौजूदा समय में भूपेंद्र हुड्डा इस सीट से विधायक हैं।

ऐलनाबाद
सिरसा जिले में आने वाली ऐलनाबाद सीट आईएनएलडी की परंपरागत सीट रही है। यहां से अभय चौटाला किस्मत आजमां सकते हैं। इस समय वो अपनी पार्टी से एकलौते विधायक हैं। देवी लाल के ये पोते हैं। इस सीट पर सामान्य जाति का दबदबा है। करीब 54 फीसद मतदाता सामान्य वर्ग के हैं। जाट समाज की आबादी 37 फीसद के आसपास है,ओबीसी 24 और एससी समाज 22 फीसद है। यहां पर सामान्य तौर पर नतीजा आईएनएलडी के पक्ष में आता रहा है। 13 में से पांच दफा इनेलो और तीन बार कांग्रेस को जीत मिली है। यानी कि चुनावी परिणाम इनेलो के पक्ष में झुका हुआ है।

उचानाकलां

जींद जिले में यह सीट आती है। इस सीट पर पिछली दफा दुष्यंत चौटाला को जीत मिली थी। 2019 में वो किंग मेकर की भूमिका में भी थे। यह भी जाट बहुल सीट है। 1977 से अब तक कुल 10 चुनाव हुए हैं और कांग्रेस को चार दफा जीत मिली है। आमतौर पर जाट समाज ही जीत और हार को निर्धारित करता है। हालांकि इनेलो और दुष्यंत चौटाला के अलग होने के बाद दोनों की राजनीतिक शक्ति में कमी आई है। इसके अलावा बीएसपी का गठबंधन अभय चौटाला के साथ है लिहाज इस दफा की लड़ाई दुष्यंत के लिए आसान नहीं रहने वाली है।

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